Rashmi Shrivastav 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Rashmi Shrivastav 5 Jun 2016 · 1 min read मुक्तक बने बैठे थे पत्थर से , कभी जो खार मंज़र से , दिवाने बन के निकले हैं, मुहब्बत के समन्दर से.... Hindi · मुक्तक 321 Share