रमा प्रवीर वर्मा Language: Hindi 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid रमा प्रवीर वर्मा 2 Feb 2017 · 1 min read जिंदगी हर घड़ी कितना हमे है आजमाती जिंदगी | रोज आँखों में कई सपने जगाती जिंदगी || रौशनी की आड़ में छलती रहें हमको सदा | दीप खुशियों के जला फिर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 408 Share रमा प्रवीर वर्मा 17 Jan 2017 · 1 min read बेटियां घर में खुशियों की पहचान हैं बेटियां अपनी दहलीज का मान हैं बेटियां .. कोख में मार देना कभी मत इन्हें रूप की जैसे भगवान है बेटियां .. मन की... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1k Share