Kapil khandelwal Tag: कविता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Kapil khandelwal 25 Dec 2016 · 1 min read 00000 पतंग 00000 मेँ भी एक पतंग बन जाऊ छू लूँ आसमान की ऊँचाईयो को उनमुक्त हो रंग - बिरंगी तितलियों की तरह लहराऊँ मैं भी लहर-लहर खुले आकाश में उड़ती रहूँ अपने... Hindi · कविता 297 Share