Kapil khandelwal 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kapil khandelwal 1 Jan 2017 · 1 min read ***** ०००० मुक्तक ०००० ***** 1. हिंदी से ही शान, हिंदी से ही मान, हिंदी से हमारी, दुनिया में पहचान| 2. बचपन खेल खेल में बीता, जवानी मौज से जीता, बुढ़ापा देख वो हर पल',... Hindi · मुक्तक 348 Share Kapil khandelwal 25 Dec 2016 · 1 min read 00000 पतंग 00000 मेँ भी एक पतंग बन जाऊ छू लूँ आसमान की ऊँचाईयो को उनमुक्त हो रंग - बिरंगी तितलियों की तरह लहराऊँ मैं भी लहर-लहर खुले आकाश में उड़ती रहूँ अपने... Hindi · कविता 296 Share