Rita Yadav Tag: मुक्तक 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rita Yadav 29 Jun 2017 · 1 min read गुलिस्ता गुल का गुलिस्ता से है ,.....रिश्ता ए पुराना अजीज कोई बन जाता, जीवन में अनजाना शुरू होता है तब जीवन का नया अफसाना खिलता आंगन में फूल ,महक जाता आशियाना... Hindi · मुक्तक 302 Share Rita Yadav 28 Jun 2017 · 1 min read चाहत चाहत न हो जब तक, यूं ही मुलाकात नहीं होती धड़कता दिल न जब तक, दिल की बात नहीं होती तलबगार न हो जब तक ,.....दो दिल इक दूजे का... Hindi · मुक्तक 435 Share