Mamta Devi 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Mamta Devi 23 Jan 2017 · 1 min read मेरी बेटी मेरी रचना, देहांश हो तुम। मेरे मन का पूर्णांश हो तुम। मेरी अनुकृति! मेरी बेटी ! मेरे होने का सारांश हो तुम। अपनेपन का लिबास पहने, रिश्तों का चेहरा चिपकाये।... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 3 739 Share