Kavita Nagar 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Kavita Nagar 27 Nov 2018 · 1 min read माँ रुखी सी रोटियों पर घी की धार सी माँ, रुखे से मन पर लगा देती थी,अपनी बातों का स्नेहन। और दमक उठता था मन और तन। मुश्किलें, परीक्षाएँ चलती रहती... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 10 58 911 Share