हरीश सेठी 'झिलमिल' Tag: कविता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid हरीश सेठी 'झिलमिल' 23 Mar 2019 · 1 min read भ्रम ताँका भ्रम 1. कस्तूरी ढूँढ़े जंगल बियाबान मृग का भ्रम नहीं टटोले नाभि व्यर्थ हो जाये श्रम 2. मानव बोला लालच बुरी बला है मेरे भ्राता बिम्ब के भ्रम में... Hindi · कविता 475 Share हरीश सेठी 'झिलमिल' 21 Mar 2019 · 1 min read जीवन का अंतिम पड़ाव जीवन के अंतिम पड़ाव पर बैठी स्त्री स्मरण करती है बार बार बचपन से बुढ़ापे तक का सफर संन्यास आश्रम की इस पगडंडी पर अनायास ही प्रस्तुत हो उठते हैं... Hindi · कविता 1 286 Share