Md Danish 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Md Danish 14 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ बन्द दरवाजों के पल्ले खुलने लगे हैं सूरज की पहली किरण की लाली उन्हें छूने लगी है पथरीली,अनचीन्ही,उदास पगडंडियों पर अपने अरमानों की रंगोली वो रचने लगी हैं मेरे गाँव... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 602 Share