धीरेन्द्र वर्मा "धीर" Tag: मुक्तक 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid धीरेन्द्र वर्मा "धीर" 21 Apr 2020 · 1 min read अधूरे ख्बाव मैं राजे-दिल सब-कुछ' बताना चाहता हूँ| मैं उस पर अपनी 'जाँ' लुटाना चाहता हूँ| अभी तक जो अधूरे ख्बाव पूरे नही हुए, मिलकर सभी वो अब जुटाना चाहता हूँ| --धीरेन्द्र... Hindi · मुक्तक 1 1 333 Share धीरेन्द्र वर्मा "धीर" 20 Apr 2020 · 1 min read रघुवर गान हे अपना ये प्यारा 'भारत' देश महान| गूँजते यहाँ 'पीर-फकीरों' के यशगान| जहाँ जन्मे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम| करें मिलकर श्री रघुवर का गुणगान|| --धीरेन्द्र वर्मा Hindi · मुक्तक 430 Share धीरेन्द्र वर्मा "धीर" 26 Nov 2019 · 1 min read राजनीति इंसान को इंसान से मरवा दे ऐसी रखेल सी राजनीति। नेताओं के सर चढ़कर बोले ऐसी चुड़ेल सी राजनीति। भाई को भाई से करे दूर और शोषण का विस्तार करे,... Hindi · मुक्तक 2 518 Share धीरेन्द्र वर्मा "धीर" 21 Feb 2019 · 1 min read मुक्तक *मेरा_कोटि_कोटि_नमन* """"""""""""""""""""""""""" प्रथम नमन वीणावादिनी को, दूजा भारत माँ को करते हैं, त्रतीय नमन उस मातु-पिता को, जो कष्ट सभी के हरते हैं, करूँ नमन मैं गुरू आदि को, जिनसे... Hindi · मुक्तक 539 Share धीरेन्द्र वर्मा "धीर" 11 Jan 2019 · 1 min read संसार मैं बहुत बिखरा बहुत टूटा मगर कुछ कर नहीं पाया हवाओं के इशारों पर भी मैं खुद बदल नहीं पाया अधूरा सा रह गया #संसार में मेरे प्यार का किस्सा... Hindi · मुक्तक 307 Share धीरेन्द्र वर्मा "धीर" 7 Nov 2018 · 1 min read (दीप उत्सव) (दीप उत्सव) ---------------- मेरी भी एक आशा है वह आशा यूं ही बनी रहे दीपों की इस बस्ती में ,यूँ दिली तमन्ना सजी रहे कहना है मेरा अब सबसे हर... Hindi · मुक्तक 4 1 667 Share धीरेन्द्र वर्मा "धीर" 28 Mar 2017 · 1 min read प्रेम भावना बजाकर हाँथों की चूड़ी अब हृदय से रूबरू हो गया कोई। ह्रदय के इस कोने कोने में बेला जेसा महँका गया कोई। अभी तक ह्रदय की तप्ती जमी पर प्रेम... Hindi · मुक्तक 530 Share धीरेन्द्र वर्मा "धीर" 24 Feb 2017 · 1 min read एक प्रीति राधा के लिए... यूँ वो चाहें तो हम भी संभल जाएँगें । वो जाएँ जिधर हम भी ऊधर ही जाएँगे । यूँ वो बनकर देखें भी तो राधा हमारे लिए । कान्हाँ बनकर... Hindi · मुक्तक 398 Share धीरेन्द्र वर्मा "धीर" 24 Feb 2017 · 1 min read बचपन इस बड़े-बड़े के चक्कर में उन छोटों को क्यों भूल गये ..... यह क्यों न समझ सके कि एक दिन थे हम भी छोटे.... अपने पन की इस चाहत में... Hindi · मुक्तक 1 888 Share