Ashok sapra Language: Hindi 28 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ashok sapra 11 Feb 2018 · 1 min read मिलता नहीं मेरी इन रचनाओं का कोई खरीददार मिलता नहीं मेरी इन रचनाओं का कोई खरीददार कविताएं पहुंच गई हाशिए पर शिल्प हुआ बेकार कब तक याद रखेंगे हम प्रेमचंद, महादेवी वर्मा को कब चर्चित कृतियां ही बनी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 282 Share Ashok sapra 6 Feb 2018 · 1 min read जुनून मुझमें देशभक्ति का जुनूँ मुझमें देश भक्ति का देश से ही दिल लगाया है बन्दगी करता हूँ माता की जों जन्म हिन्द में पाया है तबस्सुम सजाकर लबों पे राष्ट्रगीत का मान करता... Hindi · कविता 653 Share Ashok sapra 6 Feb 2018 · 1 min read हमारा देश और हम ही काफ़िर कहलाये हमारा देश और हम ही काफ़िर कहलाये चलो चलकर हम कासगंज को देख आये बहुत हो गई बदमाशी नर्मदिल वालों पर चलो चलकर अपने दो दो हाथ कर आये काफ़िरों... Hindi · कविता 585 Share Ashok sapra 6 Feb 2018 · 1 min read चलो आज थोड़ी तुम भी पियो चलो आज तुम भी पियो थोड़ी हम भी पीते है साक़ी की नजरों में नजरें डाल पैहम भी पीते है माना बदनाम हो जाऊँगा यारों की महफ़िल में चाय के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 749 Share Ashok sapra 6 Feb 2018 · 1 min read चांद छत से आकर रख गया ख़त चाँद छत से आकर रख गया ख़त सिरहाने आ गले लग जा सनम ,तू ईद के ही बहाने मेरी मंजिल होकर ,तू मेरा इंतज़ार ना करें मैं वापिस आऊँगा तेरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 303 Share Ashok sapra 1 Feb 2018 · 1 min read नई मुर्गी हलाल है आज काजियों ने की नई मुर्गी हलाल है माशुका गई ,मुर्गो को तो इसका मलाल है सुना सुना हो गया सारा गुलशन अपना बुझी बुझी जिंदगी अपनी हुई बदहाल है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 345 Share Ashok sapra 31 Jan 2018 · 1 min read माँ बहुत याद आओगी तुम माँ बहुत याद आयोगी तुम माँ मेरी तुझसे इस जगत में पहचान माँ तू जिंदगी में तो ,है मेरी मुस्कान मैंने माँ कहना ही सीखा बचपन में माँ मैं तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 510 Share Ashok sapra 31 Jan 2018 · 1 min read मम्मी डैडी के चरणों में चारों धाम सुनों जीवन में याद रखना मेरा ये पैगाम मम्मी डैडी के चरणों में ही है चारों धाम खुशियां पल पल बढ़ती जायेंगी तुम्हारी जब जाओगे कही करके उनको प्रणाम पैमाइश... Hindi · कविता 535 Share Ashok sapra 31 Jan 2018 · 2 min read आओ हिन्द वासियों तुमकों चूड़ियां उपहार दे दूँ कासगंज में चन्दन गुप्ता की तिरंगा या भगवा यात्रा जो भी थी उसके बाद जो हुए वो एक कलंक है तो मेरी अशोक कुमार सपड़ा की यह कविता हमारे कायरता... Hindi · कविता 522 Share Ashok sapra 29 Jan 2018 · 1 min read कहतें है हम थानेदार कुछ लोग माशूक़ ऱखते है हम इज्जतदार मूंछ ऱखते है चाँद की शरारत जैसे अपने अफसाने भी है ,सरकार फिर भी बुझती ज्वालामुखी नहीं दिल को स्वीकार समाजिक आडम्बर को... Hindi · कविता 395 Share Ashok sapra 28 Jan 2018 · 1 min read लगा दो आग गीता और कुरआन में लगा दो आज आग गीता और कुरआन में अगर घर ने माँ बाप पूजे नहीं उस मकान में जहाँ मानवता मार कर मशीन बन गए लोग उस विलासी गढ़ में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 243 Share Ashok sapra 28 Jan 2018 · 1 min read बाप है तेरा ये देश मेरा हिंदुस्तान जो हमारे तिरंगे का करते रहते है अपमान उसको मारूंगा गोली चाहें हो लाख इंसान LMG 7.62 mm के निशाने पर आओ फिर देखूँगा दुश्मन कितने हो तुम बलवान बहुत... Hindi · कविता 292 Share Ashok sapra 28 Jan 2018 · 1 min read आओ मिलकर अपनी संस्कृति बचाये आओ मिलकर अपनी संस्कृति बचाये यही इल्तिजा नन्हे पौधों को समझाये दुआ लेले हम फकीरों की तुम चाचा दुश्मनों को पहचाने मार कर भगाये आओ बीज़ फ़िर से बोयें वीरता... Hindi · कविता 524 Share Ashok sapra 28 Jan 2018 · 2 min read हॉर्न धीरे से बजा रे पगले देश मेरा सोता है हॉर्न धीरे से बजा पगले देश मेरा चैन की नींद सोता है मधुर सुहानी नींद को तू क्यों पगले आकर खोता है आंच सी सर्दी में आ जाती है अब... Hindi · कविता 1k Share Ashok sapra 28 Jan 2018 · 1 min read मेरी गीत गजलों में मेरी शकन देखिये मेरे गीत गज़लों में मेरी इतनी तो शान देखिये रोता हूँ भारत माँ के लिये मुझे परेशान देखिये अब नहीं आती कभी सपनों में किसी के माता टुकडों में बंटा... Hindi · कविता 273 Share Ashok sapra 13 Feb 2017 · 1 min read व्यंगात्मक कविता आइये कद्रदान आइये कद्रदान लेकर आया सियासत की दुकान झोपड़ियां दूंगा तुमको छीन कर के तुम्हारे मकान तुम्हारे लहू को जलाकर अपना चरागाँ जलाना है तुमको बनाने आया हूँ सुखी शाख वाला... Hindi · कविता 1k Share Ashok sapra 13 Feb 2017 · 1 min read गजल वो शहर में आकर के वो गाँव से शहर आया तो मेरे हालात पूछता रहा झूठों की बस्ती के मरे हुए मेरे जज्बात पूछता रहा वो देखकर आया था ख़्वाब शहर की ऊंचाइयों के कितना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 324 Share Ashok sapra 13 Feb 2017 · 1 min read कत्ल का सामान बनकर कत्ल का सामान बनकर देखो यूँ ना आया करों अपनी खुशबु से मेरी रूह को ना महकाया करों दिल के अरमानों की तबाह हो चुकी बस्तियों पर आँखो में मौसम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 498 Share Ashok sapra 13 Feb 2017 · 1 min read गजल राहें इश्क में आये है राहें इश्क में आये है दोनों हाथ को जोड़कर हजारों उल्फत की कसम खाने को दौड़कर रिमझिम बारिश है और रंजोगम की घटाएं कागज पर रखी है आँखें अपनी निचोड़कर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 628 Share Ashok sapra 20 Jan 2017 · 1 min read गजल सरहदें क्यों पहचानता नहीं तू सरहदों को पहचाता नहीं क्यों तु भी परिंदा नादाँ आज जमाने ने खड़ा कर दिया इस बात पे तूफाँ दीवाना है या पागल औढ के मौत का कफ़न उड़े नादाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 360 Share Ashok sapra 20 Jan 2017 · 1 min read गजल जिंदगी ख़ाक में मेरी जिंदगी ख़ाक में मेरी ये रकीब मिलाने लगे है सफर आखिरी है दूल्हे सा मुझे सजाने लगे है मायूसियों के जज्बात तरसता दिल ले चला हूँ सज़ा मुझे मौत की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 455 Share Ashok sapra 20 Jan 2017 · 1 min read गजल आया हूँ शहर में लेके कुछ किस्से नये पुराने आया हूँ शहर में किस्से लेकर नये पुराने परेशां चेहरों के लबों पर लाऊंगा मुस्काने बख्शा खुदा ने हुनर तो कुछ बेचने आया खरीद लो मेरे कीमती प्यार भरे अफ़साने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 305 Share Ashok sapra 19 Jan 2017 · 1 min read एक गीत शीर्षक वही तू है मेरा एक गीत उस दोस्त के लिए जो अपने पैसे के घमण्ड में मुझे यह कहकर छोड़ गया था की मुझे तमीज़ नहीं बात करने की मेरी ओकात क्या है... Hindi · गीत 1 369 Share Ashok sapra 19 Jan 2017 · 1 min read एक गीत शीर्षक वही तू है मेरा एक गीत उस दोस्त के लिए जो अपने पैसे के घमण्ड में मुझे यह कहकर छोड़ गया था की मुझे तमीज़ नहीं बात करने की मेरी ओकात क्या है... Hindi · गीत 313 Share Ashok sapra 19 Jan 2017 · 1 min read गजल तुमको देखा हमको कितने जमाने हो गए इस शेर के साथ पेश है मेरी गजल उलझा हुआ अब तक जो,वो सवाल है जिंदगी कभी ख़ुशी तो कभी गम 'की मिसाल है जिंदगी तमन्नाओ के कहार उठा चले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 402 Share Ashok sapra 19 Jan 2017 · 1 min read कविता शीर्षक मेरी ऊँगली पकड़कर बेटा मुझे चलाने वाला आया कोई मुझको भी तो ,सोती रातों में जगाने वाला मेरे बांगो में वो कोयल सा नन्हा पंछीे गुनगुनाने वाला गम की रातें भी ढल जाती मेरी उसकी एक झलक... Hindi · कविता 5k Share Ashok sapra 19 Jan 2017 · 1 min read कविता शीर्षक बेटी तू तो है गंगाजल बेटी तू तो है गंगाजल का बहता हुआ तेज प्रवाह तू जीवन में तो जिंदगी का आसान होगा निर्वाह तू मेरे सुने जीवन की धड़कन तुझसे उमंगे हजार तुझमें नजर... Hindi · कविता 780 Share Ashok sapra 19 Jan 2017 · 1 min read कविता शीर्षक बीज डाले बेटो के पर बेटी तू उग आये तुझसे है अनोखा रिश्ता मन को ये हम समझाये हमने बीज डाले बेटो के थे पर बेटी तू उग आये कड़वा सोच बोल रहा पर तू नफरत न करना बेटी... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 1 737 Share