Ashok sapra Tag: ग़ज़ल/गीतिका 13 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ashok sapra 11 Feb 2018 · 1 min read मिलता नहीं मेरी इन रचनाओं का कोई खरीददार मिलता नहीं मेरी इन रचनाओं का कोई खरीददार कविताएं पहुंच गई हाशिए पर शिल्प हुआ बेकार कब तक याद रखेंगे हम प्रेमचंद, महादेवी वर्मा को कब चर्चित कृतियां ही बनी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 282 Share Ashok sapra 6 Feb 2018 · 1 min read चलो आज थोड़ी तुम भी पियो चलो आज तुम भी पियो थोड़ी हम भी पीते है साक़ी की नजरों में नजरें डाल पैहम भी पीते है माना बदनाम हो जाऊँगा यारों की महफ़िल में चाय के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 749 Share Ashok sapra 6 Feb 2018 · 1 min read चांद छत से आकर रख गया ख़त चाँद छत से आकर रख गया ख़त सिरहाने आ गले लग जा सनम ,तू ईद के ही बहाने मेरी मंजिल होकर ,तू मेरा इंतज़ार ना करें मैं वापिस आऊँगा तेरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 303 Share Ashok sapra 1 Feb 2018 · 1 min read नई मुर्गी हलाल है आज काजियों ने की नई मुर्गी हलाल है माशुका गई ,मुर्गो को तो इसका मलाल है सुना सुना हो गया सारा गुलशन अपना बुझी बुझी जिंदगी अपनी हुई बदहाल है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 345 Share Ashok sapra 31 Jan 2018 · 1 min read माँ बहुत याद आओगी तुम माँ बहुत याद आयोगी तुम माँ मेरी तुझसे इस जगत में पहचान माँ तू जिंदगी में तो ,है मेरी मुस्कान मैंने माँ कहना ही सीखा बचपन में माँ मैं तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 510 Share Ashok sapra 28 Jan 2018 · 1 min read लगा दो आग गीता और कुरआन में लगा दो आज आग गीता और कुरआन में अगर घर ने माँ बाप पूजे नहीं उस मकान में जहाँ मानवता मार कर मशीन बन गए लोग उस विलासी गढ़ में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 243 Share Ashok sapra 13 Feb 2017 · 1 min read गजल वो शहर में आकर के वो गाँव से शहर आया तो मेरे हालात पूछता रहा झूठों की बस्ती के मरे हुए मेरे जज्बात पूछता रहा वो देखकर आया था ख़्वाब शहर की ऊंचाइयों के कितना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 324 Share Ashok sapra 13 Feb 2017 · 1 min read कत्ल का सामान बनकर कत्ल का सामान बनकर देखो यूँ ना आया करों अपनी खुशबु से मेरी रूह को ना महकाया करों दिल के अरमानों की तबाह हो चुकी बस्तियों पर आँखो में मौसम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 498 Share Ashok sapra 13 Feb 2017 · 1 min read गजल राहें इश्क में आये है राहें इश्क में आये है दोनों हाथ को जोड़कर हजारों उल्फत की कसम खाने को दौड़कर रिमझिम बारिश है और रंजोगम की घटाएं कागज पर रखी है आँखें अपनी निचोड़कर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 628 Share Ashok sapra 20 Jan 2017 · 1 min read गजल सरहदें क्यों पहचानता नहीं तू सरहदों को पहचाता नहीं क्यों तु भी परिंदा नादाँ आज जमाने ने खड़ा कर दिया इस बात पे तूफाँ दीवाना है या पागल औढ के मौत का कफ़न उड़े नादाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 360 Share Ashok sapra 20 Jan 2017 · 1 min read गजल जिंदगी ख़ाक में मेरी जिंदगी ख़ाक में मेरी ये रकीब मिलाने लगे है सफर आखिरी है दूल्हे सा मुझे सजाने लगे है मायूसियों के जज्बात तरसता दिल ले चला हूँ सज़ा मुझे मौत की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 455 Share Ashok sapra 20 Jan 2017 · 1 min read गजल आया हूँ शहर में लेके कुछ किस्से नये पुराने आया हूँ शहर में किस्से लेकर नये पुराने परेशां चेहरों के लबों पर लाऊंगा मुस्काने बख्शा खुदा ने हुनर तो कुछ बेचने आया खरीद लो मेरे कीमती प्यार भरे अफ़साने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 305 Share Ashok sapra 19 Jan 2017 · 1 min read गजल तुमको देखा हमको कितने जमाने हो गए इस शेर के साथ पेश है मेरी गजल उलझा हुआ अब तक जो,वो सवाल है जिंदगी कभी ख़ुशी तो कभी गम 'की मिसाल है जिंदगी तमन्नाओ के कहार उठा चले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 402 Share