अमित मिश्र Tag: कविता 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अमित मिश्र 3 Apr 2020 · 1 min read तक़दीर तक़दीर मेरी मुझसे,सौ खेल रचाती है पल में ही उठाती है,क्षण में ही गिराती है जीवन की डगर बड़ी,कांटों से भरी है ये ये राह दिखाती है,और खुद ही बहक... Hindi · कविता 1 4 753 Share अमित मिश्र 3 Nov 2018 · 1 min read मां मां की ममता तन में मेरे ,मां जीवन का सार है, कष्ट कभी जो पड़े पुत्र पर,मां जीवन उद्धार है। खुद कष्टों को सह लेती है,मुख से उफ़ न कहती... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 62 668 Share अमित मिश्र 5 Feb 2018 · 1 min read "नारी के स्वरूप" उन्मुक्त पवन में मुझे देख , चुम्बन अर्पित करने वालों | मेरी छवि की इस सरिता पर , न्योछावर तन करने वालों | सोलह सिंगार से रची हुई मैं तरुण... Hindi · कविता 562 Share अमित मिश्र 10 Dec 2017 · 1 min read " समय की शिला पर " ****************************** ****************************** समय की शिला पर मधुर चित्र कितने , किसी नें बनाए किसी नें मिटाए | किसी ने लिखी आंसुओं से कहानी , किसी ने दिया किन्तु दो बूँद... Hindi · कविता 1k Share अमित मिश्र 18 Nov 2017 · 1 min read "स्वप्निल आभा" ??????????? मदयुक्त भ्रमर के गुंजन सी, करती हो भ्रमण मेरे उर पर। स्नेह भरी लतिका लगती , पड़ जाती दृष्टि जभी तुम पर।। अवयव की सुंदर कोमलता, लगती है मुझको... Hindi · कविता 334 Share अमित मिश्र 30 Oct 2017 · 1 min read "एक तरफ तुम हो रस है" प्रिये तुम्हारी यादों को मैं, वंदन करके झूम गया। खत लिखकर मैंने फिर उसका, अक्षर अक्षर चूम लिया।। याद हुई अगणित वह बातें, जो सपनों ने गढ़ रखीं थी। पर... Hindi · कविता 1 408 Share अमित मिश्र 24 Oct 2017 · 1 min read "रूचि" रुचि! एक अविस्मरणीय तोहफा जिसे पाकर न रहता शेष कुछ बाकी । सागर की असीम गहराइयों जैसी हृदय की गहराइयों से उमड़ पड़ती है उमंग जिसे पाकर हृदय के अंतस्तल... Hindi · कविता 572 Share अमित मिश्र 14 Oct 2017 · 1 min read आँखों का रिस्ता कैसा रिस्ता आंखों का, है विदित सभी को ही यह। जुड़ता आकाश शब्द सा, जीवन की सरिता से यह।। यह अंजन रेखा काली, देती है मुझे निमंत्रण। आ जाओ प्रियतम... Hindi · कविता 299 Share अमित मिश्र 5 Oct 2017 · 1 min read भारत माँ की पुकार जब दहक उठा सीमांत, पुकारा मां ने शीष चढ़ाने को । नौ जवां लहू तब तड़प उठा , हँसंते हँसते बलि जाने को ।। गरजे थे लाखों कंठ , आज... Hindi · कविता 1k Share अमित मिश्र 3 Oct 2017 · 1 min read "एक सुबह मेघालय की" व्यथित मन के झरोखों से, घुटन तिल तिल के छटती है। यामिनी तम से काली हो, मगर पल पल पे छटती है। उषा की ज्योति की लाली, अरुण रक्तिम कपोलों... Hindi · कविता 5 8 7k Share अमित मिश्र 2 Oct 2017 · 1 min read नीड़ का निर्माण बीज बनकर नीड़ में तुम, वृक्ष का निर्माण कर दो ।। व्यथित ब्याकुल वीथियों में , प्यार का संचार कर दो ।। बचपने से राजकुल में , जी रहे थे... Hindi · कविता 456 Share