अल्पना नागर Tag: कविता 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अल्पना नागर 27 Feb 2017 · 1 min read प्रेम चेतना, निर्णय, अधिकार, एक एक कर सब समर्पित कर चली हो, स्त्री तुम प्रेम कर बैठी हो! सहगामिनी बनने चली थी, अनुगामिनी रह गई हो, स्त्री! तुम प्रेम कर बैठी... Hindi · कविता 4 3 842 Share अल्पना नागर 15 Feb 2017 · 1 min read अहसास अहसास तुम होते हो तो सुहानी लगती हैं फरवरी की बेफ़िक्र हवाएं मेरा रोम रोम वाकिफ़ है तुम्हारे गुनगुने अहसास से.. अच्छा लगता है हथेली पर आड़ी टेढ़ी रेखाओं में... Hindi · कविता 2 1 577 Share अल्पना नागर 14 Feb 2017 · 1 min read अस्तित्त्व अस्तित्व तुम्हें हक़ है कि चुनो तुम रिश्तों की भीड़ से स्वयं के अस्तित्व को, समेटो रसोई के मसाला डिब्बों में बंद पड़े अरमानों या बिस्तर की सिलवटों तक सीमित... Hindi · कविता 2 1 436 Share