पा'रस' जी Tag: ग़ज़ल/गीतिका 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid पा'रस' जी 24 Sep 2019 · 1 min read "रोटी" अपनी अपनी रोटी मिटाती है भूख तन की, बढ़ातीे है भूख मन की। रोटी के ही आगे, फीकी ही है, खनक धन की।। रोटी का भी अपना , एक अलग स्वाद होता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 278 Share