कवि संजय कौशाम्बी Language: Hindi 329 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 Next कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read यूँ ही न हुए हम-तुम बदनाम जमाने मे यूँ ही न हुए हम-तुम बदनाम जमाने मे कुदरत ने ही लिक्खा है सब कुछ अफ़साने में बेमतलब हँसते हैं, बेमतलब रोते हैं है कौन नहीं पागल इस पागलखाने में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 198 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read सभी के दिल में रहता है किसी मंदिर या मस्जिद में कभी ईश्वर नहीं मिलता सभी के दिल में रहता है कभी बाहर नहीं मिलता नदी तुम हो वो सागर है बताओ अब जरा मुझको नदी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 208 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read दोहे बैनर वैनर सब हटे घटे सबहिं के भाव फिर से अपने देश में घोषित हुए चुनाव पाँच साल जो न दिखे गिरे पड़े हैं पाँव एसी का सुख छोड़ के... Hindi · दोहा 1 271 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read जब देखोगे तुम मेरी ऊँचाई को छूने दौड़ोगे मेरी परछाँई को जब देखोगे तुम मेरी ऊँचाई को मन को तो समझा लोगे माना मैने पर कैसे समझाओगे अँगड़ाई को घर की दीवारों ने भी महसूस किया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 270 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read अबकी होली में अब रंग जमाएंगे...हम अबकी होली में तुझको रँग जायेंगे...हम अबकी होली में रंगीन जमीं होगी...रंगीन फ़लक होगा यूं गुलाल उड़ाएंगे...हम अबकी होली में ढोलक से मजीरे से...कह दो तैयार रहें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 253 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read होली की विदाई महफिल है सजी दीवानों की करने धमाल तुम आ जाओ होली की विदाई करनी है लेकर गुलाल तुम आ जाओ हम लोग हैं सीधे साधे जन चुप मार के बैठे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 502 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read करने लगा हूँ शायरी सर्दी-जुकाम पर ना तो यकीं सुबह पे है ना तो है शाम पर आकर खड़े हैं इश्क़ में ऐसे मुकाम पर टूटा पड़ा था जोड़ा कितनी बार दिल मगर आने नहीं दी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 844 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read अट्ठारह की हुई है वो बनकर के मजनू फिरता हूँ मैं जिसके प्यार में अट्ठारह की हुई है वो अबकी बहार में मतदाता सूची में भी उसका नाम आ गया कब से तड़प रहा था... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 247 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मतदान के नाम जरा सा वक्त़ फुरसत का सुनो कुरबान कर देना दबाकर के बटन गणतंत्र का सम्मान कर देना तुम्हें सौगंध है इस देश की मिट्टी के कण-कण की वतन के वास्ते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 217 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read बाहर निकाल दो माँ शीश है चरण में बैठे हैं माँ शरण में अब तो दया की दृष्टि हम पर भी डाल दो माँ मंझधार में फंसे हैं बाहर निकाल दो माँ साँसे थमी-थमी... Hindi · गीत 1 252 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read आप रहने दीजिए दिल में है कुछ बात हमको भी तो कहने दीजिए आँसुओं को रोकना मुश्किल है बहने दीजिए भीड़ से खुशियाँ यकीनन बाँटिए मिलकर मगर गम को तो कुछ देर तनहाई... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 227 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम कहाँ बैठे हुए हो मुँह फुलाए दिल भला लम्हात वो कैसे भुलाए जब खड़े थे सामने तुम सिर झुकाए वो मिला बैठा हुआ अपने ही भीतर हम जिसे चारों दिशा में खोज आए तुम बहारों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 452 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read गद्दार हो गए हम दिल के तुम्हारे जब से सरकार हो गए हम सारी बुराइयों के अवतार हो गए हम उलझे जो जा के तेरी जुल्फों की झुरमुटों में रुसवा शहर में अपने इस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 502 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read दीपक जला देता जो फूलों से गिरी शबनम उसे शोला बना देता मैं अपने आँसुओं से सारी दुनिया को जला देता तुम्हारी मुस्कराहट में ही मेरी जान बसती है ह्रदय के दर्द को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 210 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मुझे वो भुलाने लगे ये उजाले हमें जब सताने लगे हम अँधेरों से रिश्ता निभाने लगे हमने खुद को कहा जब से सूरज मियाँ लोग दिन में भी दीपक जलाने लगे टूटकर पंखुड़ी जब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 258 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम हो उस पार के कर रहे जो खुशामद खरीदार के राज कैसे बताएँगे बाजार के बात मेरी तुम्हीं ने सरेआम की मत कहो कान होते हैं दीवार के नफरतों ने जहाँ हमको रुसवा किया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 356 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read चुपके से चाहत का पैगाम लिया था चुपके से पढ़कर दिल को थाम लिया था चुपके से बैठे थे खामोश अदब की महफ़िल में आँखों से पर काम लिया था चुपके से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 234 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read छोड़ आए हैं खिले तू जिंदगी हम वो सहारा छोड़ आए हैं हसीं इक मौत का सुंदर नजारा छोड़ आए हैं भँवर में डूबने वालों जरा कोशिश करो के हम नदी के पास... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 451 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read बस कुछ कदम और हैं सह लो सह लो के थोड़े सितम और हैं पास मंजिल है बस कुछ कदम और हैं जो भी करना है कर लो अभी वक़्त है ये न सोचो कि... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 381 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read फिसलती रही जिंदगी आग हरदम उगलती रही जिंदगी साथ मेरे टहलती रही जिंदगी मौत का वक़्त तो था मुकर्रर मगर रोज मुझको निगलती रही जिंदगी जलते सूरज की पेशानी को चूमकर साँझ बनकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 402 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read झूठी खबर लपेट के वीआईपी बनने के तलबगार पड़े हैं संसद भवन में देखिए सरकार पड़े हैं पेंशन मिलेगी इनको रिटायर हुए बिना कलयुग में ऐसे ऐसे भी अवतार पड़े हैं जब से ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 196 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 11 min read मैं ही समाज हूँ रात के दस बजे होंगे ।वातावरण में हल्की ठंड थी। राघव के माथे पर पसीने की बूँदें छलक रही थी...वह कुछ परेशान सा था। एक्सीलेटर पर उसके पैर का दबाव... Hindi · कहानी 545 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read शीशे से पत्थर को तोड़ रहे होंगे रीति, रिवाजें, रस्में छोड़ रहे होंगे पूरब-पश्चिम बाँध के जोड़ रहें होंगे काट रहे होंगे हिमखण्डों का सीना नदियों की धाराएँ मोड़ रहे होंगे अनसुलझी जीवन की अजब पहेली में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 183 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मुश्किल से ये रंग बदलना सीखा है तुमने छोड़ा हाथ तो चलना सीखा है ठोकर खाकर आज सँभलना सीखा है चाटुकारिता की अद्भुत चिकनाई में अब जाकर के यार फिसलना सीखा है पत्थरदिल की संज्ञा दी जब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 220 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read इंतजार प्रेम...प्यार...इश्क...मोहब्बत....लव सब एक ही एहसास के अलग-अलग नाम हैं। कब होगा? कैसे होगा? किससे होगा? क्यों होगा? ...कोई नहीं जानता। इसे न तो जाति से मतलब...न मजहब से, न रंग... Hindi · लघु कथा 210 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम ही बाधाओं से लड़े नहीं मंजिल मिलने को आतुर थी लक्ष्य तुम्हीं ने गढ़े नहीं जीत तुम्हारी तय थी तुम ही बाधाओं से लड़े नहीं हार मानकर बैठ गए तुम शिखरों की ऊँचाई से तत्पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 425 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read लकीरें देख ले पढ़कर बड़ा गुमसुम,बड़ा तन्हा,बड़ी दहशत में बैठा हूँ चले आओ कि मैं भी आजकल फुरसत में बैठा हूँ मुझे नफ़रत भरी नजरों से ऐसे देखने वाले लकीरें देख ले पढ़कर तेरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 243 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read ये ही रामराज तो नहीं राहत मिलेगी सबको मगर आज तो नहीं जनता को लूटने का ये अंदाज तो नहीं कैसी ये सिसकियाँ हैं ये कैसा है शोरगुल चिड़ियों के सर पे बैठा कोई बाज... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 184 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पागल भी हो सकता था हँसते तो मन बेकल भी हो सकता था ख्वाबों से इक दलदल भी हो सकता था तुमने तो की हँसी मगर क्या मालूम है सदमें से वो पागल भी हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 201 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पढोगे नाम मेरा... पढोगे नाम मेरा तुम कभी अख़बारों में मैं भी शामिल हूँ मेरे यार गुनहगारों में क्या समय आया कि अब क़त्ल यहाँ होते हैं मंदिरों, मस्जिदों में, चर्च में, गुरुद्वारों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 215 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read रोने नहीं देती जुदा दिल से तुम्हारी याद को होने नहीं देती खुली आँखों में सपनों की फसल बोने नहीं देती मुजफ्फरपुर से आई देखकर जब मौत का मंजर पलक पर नींद बैठी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 520 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मजा आ जाए आँख मैखाना बना लो तो मजा आ जाए जाम नजरों से पिला दो तो मजा आ जाए तुम उधर मैं हूँ इधर और ये गहरा सागर नाव लहरों पे चला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 228 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मेरे ईश्वर तुम ही हो सूरज,चाँद,सितारों वाला नीला अम्बर तुम ही हो गहराई को स्वयं समेटे विस्तृत सागर तुम ही हो मधु संचित करते रहते हो पुष्प हृदय में पहले तो फिर उन पर मँडराने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 206 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read माँ जैसी थी कभी जो माँ जैसी थी कभी जो बेहतरीन बेच दी थी एक मगर करके उसको तीन बेच दी पुरखों ने अपने खून से सींचा जिसे सदा प्लाटिंग करके तुमने वो जमीन बेच... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 241 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कान्हा जो रोए कान्हा जो रोए चाँद पकड़ने को हाथ में भरकर के पानी रख दिया माँ ने परात में गोकुल में नदी दूध की गउओं ने बहा दी मक्खन चुरा के खाया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 540 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 3 min read अगर न माँ सोई होती (वीर अभिमन्यु ) कूद पड़ा वह चक्रव्यूह में दुश्मन की ललकार पर द्वार तोड़ता अर्जुन सुत फिर पहुँचा अन्तिम द्वार पर लाश गिराता बाण चलाता सरपट रथ पर दौड़ रहा देख वीरता बालक... Hindi · कविता 1 267 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पलकें बिछा दी है बरसात की बूँदों ने फिर आग लगा दी है चाहत के च़रागों को मौसम ने हवा दी है भीगी हुई अँखियों से बारिश के महीने में टूटे हुए पत्तों ने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 245 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read ना तो आया गया ना बुलाया गया इश्क़ भी इस कदर कुछ निभाया गया हर कदम पर हमें आजमाया गया ख्वाहिशें थी मिलन की मगर देखिए ना तो आया गया ना बुलाया गया जब सितम की कड़ी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 306 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 3 min read बाण चलाना भूल गया ( महावीर कर्ण ) अंधकार है घना,भेड़िया सबकी लाशें नोच रहा युद्धभूमि में मृत्यु द्वार पर कर्ण पड़ा ये सोच रहा जन्म से ही मैं रहा अभागा सबने रिश्ता तोड़ लिया नवजात अभी था... Hindi · कविता 288 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read चार अँगुलियाँ भी हैं काफी एकलव्य के वास्ते स्वयं को गुरु शरण में करके समर्पित चल दिया अपना अंगूठा दक्षिणा में करके अर्पित चल दिया एकलव्य महान वीरों में शिरोमणि वीर था त्यागना सर्वस्व उसका स्वभाव था वो... Hindi · कविता 146 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read भाती है तेरी खुशबू बिन डाक आए जो वो पाती है तेरी खुशबू यादों को एक झोंका लाती है तेरी खुशबू चद्दर बदल न पाया उस रोज से मैं क्योंकी बिस्तर की सिलवटों से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 304 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read संजय' अब जुआरी हो चुका है जेहन से वो भिखारी हो चुका है अमां माहौल भारी हो चुका है खिलाफत गाँठने वालों की खातिर नया फ़रमान जारी हो चुका है सियासी लब हुए खामोश लेकिन निगाहों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 260 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मुझे बदनाम रहने दो जरा ठहरो कि राह-ए-इश्क में नाकाम रहने दो अभी जीने की हसरत है अभी गुमनाम रहने दो मुझे भी गौर से देखेंगे सारे लोग महफिल में मिरे हाथों में अपनी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 477 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read वन्दे मातरम् आस वन्दे मातरम् हर श्वाँस वन्दे मातरम् करता हृदय के कम्पनों में वास वन्दे मातरम् एहसास वन्दे मातरम्, विश्वास वन्दे मातरम् बोलता है क्रान्ति का इतिहास वन्दे मातरम् शत्रुओं के... Hindi · कविता 330 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read हम पुकारते कैसे बीच रुसवाइयों के दिन गुजारते कैसे काट ली तुमने जुबाँ हम पुकारते कैसे लोग नजरें टिकाए बैठ जो गए हम पर चाँद सा मुखड़ा तेरा फिर निहारते कैसे हर जगह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 342 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कुछ भी नया नहीं होता कब हुआ कैसे हुआ कुछ पता नहीं होता इश्क़ वो आग है जिसमें धुआँ नहीं होता राह में पलकें वही..आँख में वही आँसू यार इस काम में कुछ भी नया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 203 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read अब पी ओ के की बारी है अब न धमाके गूँजेगे न जान किसी की जायेगी दहशत के ठेकेदारों की अम्मा खैर मनाएगी अब न कभी भी तड़पाएगी मृगमरीचिका रेतों में रोजगार की फसल उगेगी काश्मीर के... Hindi · कविता 388 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read फिर कोई बेटी हँसी है क्या जो बचपन में चला करती थी वो फिर से चली है क्या वही सोंधी सी इक खुशबू हवा में फिर घुली है क्या नजारा देखते गुजरा है बचपन बारिशों वाला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 183 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read इतवार सा नहीं लगता जो भी लिखता है समाचार सा नहीं लगता अब तो अखबार भी अखबार सा नहीं लगता मीडिया हो गई खामोश बिकी है जब से कोई भी चेहरा पत्रकार सा नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 375 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कैमरे को उधर भी घुमाया करो यूँ चकाचौंध में खो न जाया करो तुम हो स्तम्भ ना लड़खड़ाया करो शौक से लीडरों के कसीदे पढ़ो किंतु कदमों में न लेट जाया करो लोग सड़कों पे उतरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 217 Share Previous Page 6 Next