संजीव शुक्ल 'सचिन' Tag: कविता 319 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 7 संजीव शुक्ल 'सचिन' 21 Jul 2017 · 1 min read हृदय की आकांक्षा सोचता हूँ आज - अभी, अम्बर को गले लगाऊँ मैं गगन में हैं जितने भी तारे,तोड़ धरा पे लाऊँ मैं। मार्ग कठिन हों चाहे जितना, तनिक नहीं घबराऊँ मैं, हर... Hindi · कविता 487 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 21 Jul 2017 · 1 min read शब्द तौल कर बोलो प्रेमी बन प्रेमिका से बगली झाक अटालिका से लड़के ने फरमाया वाह क्या माल लगती है चटक गुलाबी ड्रेस में तू तो वाकई कमाल लगती है, जी करता है तेरे... Hindi · कविता 315 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 21 Jul 2017 · 1 min read सब कुछ बिकता है.... कोई नाम बेचता है कोई काम बेचता है यहाँ सस्ते मे कोई ईमान बेचता है। देखो तो हर ओर लगी है दुकानें कोई फुल कोई पान कोई जाम बेचता है।... Hindi · कविता 1 1 360 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 20 Jul 2017 · 1 min read मैं क्या लिखूँ? क्या लिखु जो बने कविता भ्रष्टाचार पे करे वो वार, जन- जन के हृदय को छू कर कुप्रथा का करे संघार। बाल विवाह या नारी उत्पीड़न किस पे करूं तुषारापात,... Hindi · कविता 277 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 20 Jul 2017 · 1 min read मैं संस्कार हूँ मैं संस्कार हूँ, धर्म अधर्म समाहित मुझमें मैं ज्ञान रुपी भंडार हूँ । मैं संस्कार हूँ।। पाप पूण्य श्री गणेश हमीं से मैं जीवन तत्व प्रधान हूँ। मैं संस्कार हूँ... Hindi · कविता 428 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 19 Jul 2017 · 1 min read नशाखोरी अभिशाप है नशाखोरी अभिशाप है ********************* मिट रहा है युवा पीढ़ी आज मेरे देश का, नशाखोरी बन रहा दुर्भाग्य मेरे देश का। शर्म आँखों की मिटी है मुख पे है गाली सजा,... Hindi · कविता 547 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 19 Jul 2017 · 1 min read वक्त की पहचान छोड़ कर वक्त पीछे तूं देख मैं बढा हूँ, उलट थीं हवायें विकट रास्ते थे, राहों में मेरे कांटे बीछे थे, इन विषम परिस्थिति से कब मैं डरा हूँ छोड़... Hindi · कविता 542 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 19 Jul 2017 · 1 min read क्यों डरता है प्यारे सोच कर मौत अपनी क्यों डरता है प्यारे, जो आये यहाँ है वो जायेंगे सारे। वक्त कब रुका है नहीं ये रूकेगा, अपनी गति से ये चलता रहेगा । अतःभागकर... Hindi · कविता 203 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 19 Jul 2017 · 1 min read मातपिता भगवान हैं आप हीं ब्रह्मा आप ही विष्णु साक्षात देव महान हैं पल्वीत पेड़ जो बृक्ष बना है उसके तारणहार हैं। त्योहारों में आप दीवाली ज्योति पूँज महान हैं आपहीं से शोभित... Hindi · कविता 366 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 18 Jul 2017 · 1 min read मदमस्त वो बचपन अल्हड़पन मदमस्त वो मौसम झंझावत न कोई परेशानी खिला - खिला मुख रौशन चेहरा बचपन की वो अमिट कहानी। कही पे रंक कही हम राजा जी चाहे वो करें मनमानी,... Hindi · कविता 512 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 17 Jul 2017 · 1 min read दिखा नुकसान जो अपना कहीं पे चुप से रहते कहीं हम बोल जाते हैं जो होतीं राज की बातें उसे हम खोल जाते हैं। करे नुकसान किसी का जो उससे फर्क नहीं कोई दिखा... Hindi · कविता 232 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 14 Jul 2017 · 1 min read आतंकी को ठौर नहीं आतंकी को ठौर नहीं ******************* घाटी जलती है जलने दो तुम आतंकी को मरने दो मौतों की गणना करो नहीं सेना को अविचल लड़ने दो। सेना का तुम गुणगान करो... Hindi · कविता 246 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 13 Jul 2017 · 2 min read हर मर्द का दर्द हर मर्द का दर्द .................... कान्धे पर झोला लिए निकलने लगे बाजार, लाना था घर के लिए सब्बजी भाजी अचार। सामने से तभी श्रीमति जी आई थोड़ी सी सकुचाईं पर... Hindi · कविता 619 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 13 Jul 2017 · 1 min read जूते की उपलब्धता मुझसे किसी ने पूछा ; भाया जूते कहाँ व कैसे मिलेंगे? मैने कहा मैं कवि हूँ कविता ही सुनाऊँगा, पद्य के सहारे, उपलब्धता बताऊँगा। बोला मुझे जल्दी है यूं ना... Hindi · कविता 274 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 13 Jul 2017 · 1 min read हनुमत ब्यथा सोया था मैं सपनों में मेरे हनुमान जी आये आकर मुझसे मन की पीड़ा रो रो कर बतलाये। बोले बेटे ना जाने मुझसे क्या पाप हुआ था युगो-युगों तक अमर... Hindi · कविता 469 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 12 Jul 2017 · 1 min read बिरह की बरसात आज यहाँ बरसात हुई पर उनसे कहां कोई बात हुई, रिमझिम बरसी सावन की झड़ी पर कहां कोई मुलाकात हुई,। तरसे नैना मन विकल रहा, पर कहां कोई शुरुआत हुई,... Hindi · कविता 436 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 12 Jul 2017 · 1 min read ईश्वरीय सत्ता जलमग्न धरा कई ओर हुई मानव पे संकट आय रही, इस बिपदा से कैसे हों विलग यह बात सबन को खाय रही। . तपती धरती कुछ ओर पड़ी सूखा दिल... Hindi · कविता 358 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 12 Jul 2017 · 1 min read पेट की आग पेट की आग मिटा न सका सरद ऋतु या माघ, तन पे कपड़े जरजर ठंढ की बरसात, एक रोटी को तरसे ताकन लगे आकाश। पेट की आग बुझा न सका... Hindi · कविता 378 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 12 Jul 2017 · 1 min read गुरु वंदना गुरू वंदन ********** गुरू चरण में नत्मस्तक हो, बारमबार करूँ मै वन्दन। जीवन मार्ग जो हमे दिखाया सही गलत में भेद सिखाया, कभी गलत कुछ ना ह़ो हमसे सत्य के... Hindi · कविता 1 1k Share Previous Page 7