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*क्यों दिन बीता क्यों रात हुई, क्यों मावस पूरनमासी है (राधेश
Ravi Prakash
*छपना पुस्तक का कठिन, समझो टेढ़ी खीर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*होते यदि राजा-महाराज, तो फिर वैभव वह दिखलाते (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
*शाही शादी पर लगे, सोचो कैसे रोक (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
*चले पिता-माता को लेकर, कॉंवर श्रवण कुमार (गीत)*
Ravi Prakash
*राधा को लेकर वर्षा में, कान्हा छाते के संग खड़े (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*कोई जीता कोई हारा, क्रम यह चलता ही रहता है (राधेश्यामी छंद)
Ravi Prakash
*जो सजे मेज पर फल हैं सब, चित्रों के जैसे लगते हैं (राधेश्या
Ravi Prakash
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
*सात जन्म के लिए तुम्हारा, मिला साथ आभार (गीत)*
Ravi Prakash
*जैन पब्लिक लाइब्रेरी, रामपुर*
Ravi Prakash
*रामपुर के गौरवशाली व्यक्तित्व*
Ravi Prakash
*हिंदी साहित्य में रामपुर के साहित्यकारों का योगदान*
Ravi Prakash
*श्री जगन्नाथ रस कथा*
Ravi Prakash
*होता अति आसान है, निराकार का ध्यान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*बेचारे लेखक का सम्मान (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
बुढ़ापा अति दुखदाई (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
*ठाकुरद्वारा मंदिर/पंडित मुनीश्वर दत्त मंदिर में दर्शनों का
Ravi Prakash
*देखा यदि जाए तो सच ही, हर समय अंत में जीता है(राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
*हनुमान वीर को याद करो, जो गदा साथ ले चलते थे (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
*हम धनुष-सुदर्शनधारी हैं, हिंसक मत हमको ठहराओ (गीत)*
Ravi Prakash
*आओ सोचें अब सभी, गलत भीड़ का जोश (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*वह भाग्यहीन हैं महिलाऍं, पति की चेरी कहलाती हैं (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*अपनी मस्ती में जो जीता, दुख उसे भला क्या तोड़ेगा (राधेश्याम
Ravi Prakash
*यह समय घोर कलयुग का है, सोचो तो यह युग कैसा है (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*अच्छी बातें जो सीखी हैं, ऋषि-मुनियों की बतलाई हैं (राधेश्या
Ravi Prakash
*ऋषि दयानंद युग-पुरुष हुए, उनको हम शीश झुकाते हैं (राधेश्याम
Ravi Prakash
*हिंदू कहने में गर्व करो, यह ऋषियों का पावन झरना (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*फल कभी-कभी मिलता तुरंत, तो कभी समय लग जाता है (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
*मन में शुचिता लेकर पूजो, विद्या की देवी माता को (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*संस्मरण*
Ravi Prakash
*जो मिले भाग्य से जीवन में, वरदान समझ कर स्वीकारो (राधेश्याम
Ravi Prakash
*ईमानदार सच्चा सेवक, जनसेवा कर पछताता है (राधेश्यामी छंद)*
Ravi Prakash
*अभिनंदन डॉक्टर तुम्हें* (कुंडलिया)
Ravi Prakash
*शत-शत जटायु का वंदन है, जो रावण से जा टकराया (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
*अपनी धरती छह ऋतुओं की, इसकी हर छटा निराली है (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
*ईश्वर की रचना है धरती, आकाश उसी की काया है (राधेश्यामी छंद)
Ravi Prakash
*जीवन-आनंद इसी में है, तन से न कभी लाचारी हो (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
*गीता में केशव बतलाते, यह तथ्य नहीं आत्मा मरती (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
*जीवन-सौभाग्य मिला उनको, जिनको पावन परिवार मिला (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*मरने से क्यों डरते हो तुम, यह तन नश्वर है माया है (राधेश्या
Ravi Prakash
*जब युद्धभूमि में अर्जुन को, कायरपन ने आ घेरा था (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*अर्चन स्वीकार करो हे शिव, बारिश का जल मैं लाया हूॅं (राधेश्
Ravi Prakash
*लिखता है अपना भाग्य स्वयं, मानव खुद भाग्य विधाता है (राधेश्
Ravi Prakash
*वह महासमर का नायक है, जो दुश्मन से टकराता है (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
*सोचो वह याद करो शिक्षक, जिससे थे कभी गढ़े हम थे (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*आते हैं जो पतझड़-वसंत, मौसम ही उनको मत जानो (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
*होता है पिता हिमालय-सा, सागर की गहराई वाला (राधेश्यामी छंद)
Ravi Prakash