*कैसे भूले देश यह, तानाशाही-काल (कुंडलिया)*
*कैसे भूले देश यह, तानाशाही-काल (कुंडलिया)* कैसे भूले देश यह, तानाशाही-काल लगी इमरजेंसी कुटिल, चलती चाबुक-चाल चलती चाबुक-चाल, हुआ जनतंत्र खिलौना मनमानी का खेल, देखता भारत बौना कहते रवि कविराय,...
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