कवि संजय कौशाम्बी Language: Hindi 329 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 7 कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कोई गीत बनाते नहीं बना सच्चाई क्या है सबको बताते नहीं बना के फर्ज मीडिया से निभाते नहीं बना छलके हुए गरीब के आँसू जमीन पर अखबार के पन्नों से उठाते नहीं बना अधिकार माँगने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 260 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read रोजी रोटी हँसी रोजी रोटी हँसी हमसे घर छीनकर आँख तो दे गई पर नजर छीनकर सुबह ठहरी नहीं रात भी चल पड़ी शाम की गोद से दोपहर छीनकर अब मैं समझा कि... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 300 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read प्यारा बचपन चला गया.. बिजली,बादल,पानी वाला सुंदर सावन चला गया यादों की सौगात थमाकर प्यारा बचपन चला गया माटी के घर के आँगन में अपना एक बगीचा था छोटे पौधे रोप-रोपकर लोटा भर-भर सीचा... Hindi · गीत 588 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read एक दिन एक बच्चे ने... एक दिन एक बच्चे ने ये सवाल कर दिया चाचा ये तुमने देश का क्या हाल कर दिया तुम भी तो इसी मिटटी में खेले हो लिपटकर फिर खून से... Hindi · कविता 171 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read ऐ चाँद जरा कुछ रोज ठहर ऐ चाँद जरा कुछ रोज ठहर हम फिर आयेंगे मिलने को तेरी अंजान धरा को फिर पाँवों के तले कुचलने को बीते कुछ दिवस निकट तेरे इक चन्द्रयान पहुँचाए थे... Hindi · कविता 349 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मुख में रक्खा राम.... भूख पेट में जेब में कुछ मजबूरी रक्खी जिस्म रूह के बीच हमेशा दूरी रक्खी जला हौसला तपते सूरज में फिर भी हँसने को इक शाम सदा सिंदूरी रक्खी नींबू... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 382 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मरने के कगार पर किसी को भी गिराकर आगे बढ़ने की प्रबल इच्छा जलनवश कुप्रेरित होकर गलत रास्तों से सही के चयन का असफल प्रयास अयोग्यता को योग्यता समझकर तर्कों के पुष्पों का कुतर्की... Hindi · कविता 367 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read माँ भ्रूण रूप ले गर्भ में आया माँ की है वरदान ये काया माँ है रचयिता माँ जननी है माँ के दम पर सृष्टि बनी है माँ है धरती माँ अम्बर... Hindi · कविता 422 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read लौट जाएँगे मोहब्बत का दिया दिल में जगाकर लौट जाएँगे ये अपना बोरिया-बिस्तर उठाकर लौट जाएँगे यहाँ पर कौन आया है हमेशा साथ रहने को तुम्हारे साथ बस दो पल बिताकर लौट... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 234 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read दुआएँ लिपटी हैं शुष्क जज़्बात से जब आँखें भरा करती हैं रोज ख्वाबों की कोशिकाएँ मरा करती हैं मुद्दतों हमने सँभाला है धड़कनों में जिन्हें मिरी साँसें उन्हीं जख्मों को हरा करती हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 226 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read क्या-क्या नहीं किया दरबार में गुरूर के सजदा नहीं किया हमने कभी ईमान का सौदा नहीं किया परवाह थी सभी की सो ख़ामोश ही रहे ख़ामोशियाँ जो टूटी तो परवा नहीं किया उनका... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 413 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read क्या से क्या हो गया देखते देखते क्या से क्या हो गया बावफा था जो वो बेवफा हो गया आग तो थी जली रोशनी को मगर हर तरफ बस धुआँ ही धुआँ हो गया नाम... Hindi · कविता 291 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read अब तक भुलाया नहीं क्यों हुई शाम दीपक जलाया नहीं क्यों मुझे तुमने अब तक भुलाया नहीं क्यों सभी आ गए तेरी महफिल में लेकिन हमीं को अभी तक बुलाया नहीं क्यों मचलते हैं अरमान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 168 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तिरे दर से गुजर के देख लिया न तो जन्नत, न जहन्नुम है मर के देख लिया यहीं पे दोनों मिले प्यार करके देख लिया हवा मतलबी है इस छोर से उस छोर तलक तिरे शहर में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 214 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read दिल श्मशान होता जा रहा है ये दिल नादान होता जा रहा है खुद से अंजान होता जा रहा है जो कल तक माँगता कुर्बानियाँ था वो खुद कुर्बान होता जा रहा है बिकेगा शौक से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 228 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read हवा कौन करे करूँ न मैं तो भला कौन करे इत्ते किरदार अदा कौन करे पसीने से हूँ तरबतर लेकिन लगी है आग हवा कौन करे किसी का गम अजीज हो बैठा खुशी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 208 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read हर कोई बेवफा नहीं होता दिल से जो आशना नहीं होता उसको खुद का पता नहीं होता आपने की है कोई गुस्ताख़ी बेवजा वो खफ़ा नहीं होता उसने शिकवा भी किया होता गर हमको कोई... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 212 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कुछ तो कमी रही होगी दिल की धड़कन भी सिसक कर थमी रही होगी हिज्र की रात बड़ी मातमी रही होगी वो इमारत जो अचानक जमीं पे लेट गई उसकी बुनियाद में शायद नमी रही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 196 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read परिंदों को रिहा कर दिया मैने वीरान दरख्तों से वफा कर दिया मैने पिंजरे से परिंदों को रिहा कर दिया मैने उस दिन से कुछ जियादा ही चर्चे शहर में हैं जिस दिन से शराफत को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 244 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read जीन्स वीन्स भी पहनो लड़के छुट्टे पर लड़की पर पहरा लगता है आधी खिड़की पर ही क्यों ये परदा लगता है लाख जुबाँ हो मीठी लेकिन सच की है तासीर यही तुम कह दो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 460 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read हे माँ सरस्वति तार दे! हे माँ सरस्वति तार दे! तेरी शरण आए हैं हम लेकर मनोरथ पूर्ण कर प्यासे नयन की वेदना हर, ज्ञान दे सम्पूर्ण कर छेड़ दे कुछ राग ऐसा हो हृदय... Hindi · गीत 2 298 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read लगी हैं बंदिशें... लगी हैं बंदिशें हम पर न हँसना है न रोना है हमारे हाथ में टूटे हुए दिल का खिलौना है हथेली की लकीरों से लड़ो दिल खोलकर लेकिन हकीकत तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 217 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read चलना है मुश्किल जमीं दलदली है के चलना है मुश्किल गिरे तो समझ लो सँभलना है मुश्किल छुपा लोगे सबसे मगर उस खुदा की निगाहों से बचकर निकलना है मुश्किल मुझे मंजिलों ने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 350 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम्हारी यादों के अंजुमन में... तुम्हारी यादों के अंजुमन में हमारी धड़कन मचल रही है चले भी आओ कि जान मेरी ये धीरे-धीरे निकल रही है हमारी बाँहों की कैद से तुम निकल गए जब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 482 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read याद करता है समंदर से भी ज्यादा प्यार गहरा याद करता है जमाना आज भी वो मेरा किस्सा याद करता है टहलते पार्क में गुजरा महकती शाम का हर पल तिरी आँखों के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 332 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read लंगर उठाना पड़ेगा भँवर में सफीने को जाना पड़ेगा कभी तो ये लंगर उठाना पड़ेगा तन्हा जा रहा हूँ मगर याद रखना तुम्हें भी मिरे बाद आना पड़ेगा मुहब्बत है मंजिल मगर रास्ते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 472 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read चलती बस में चलती बस में देखा उसे गोद में एक बच्चे के साथ उम्र रही होगी....लगभग तीन या चार माह बच्चे की और चौबीस या पचीस वर्ष उसकी वो खड़ी थी..मैं भी... Hindi · कविता 2 225 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कोरोना की दहशत में खुद ही खुद से बहल रहे हैं कोरोना की दहशत में पर अंदर से दहल रहे हैं कोरोना की दहशत में स्वच्छ देश के नारों पर न जिनके कान पे... Hindi · कविता 2 226 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read सब पैर कट गए दुख की घड़ी में बात से अपनी पलट गए खुशियों में वही जोंक के जैसे लिपट गए दो चार मंजिलों का है माकान ये मगर छोटे से एक कमरे में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 225 Share Previous Page 7