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*बातें कुछ लच्छेदार करो, खुश रहो मुस्कुराना सीखो (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*क्रम चलता आने-जाने का, जन जग में खाली आते हैं (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
*हों पितर जहॉं भी सद्गति की, इच्छा हम आठों याम करें (राधेश्य
Ravi Prakash
*दर्शन करना है तो ठहरो, पथ में ठहराव जरूरी है (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
*तीरथ-यात्रा तो मन से है, पर तन का स्वास्थ्य जरूरी है (राधेश
Ravi Prakash
*अपने भारत देश को, बॉंट रहे हैं लोग (कुंडलिया )*
Ravi Prakash
*प्रभो हमें दो वह साहस हम, विजय दुष्ट पर पाऍं (गीत)*
Ravi Prakash
*निर्धनता में जी लेना पर, अपने चरित्र को मत खोना (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*आया पतझड़ तो मत मानो, यह पेड़ समूचा चला गया (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
*किसने देखा है ईश्वर को, किसने छूकर पहचाना है (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
*खाता है सामान्य जन, केला लेकर रोज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*आदर्शों के लिए समर्पित, जीवन ही श्रेष्ठ कहाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
*परिवर्तन में छिपा हुआ है, सुख के रहस्य का शुभ झरना (राधेश्य
Ravi Prakash
*सत्पथ पर यदि चलना है तो, अपमानों को सहना सीखो ( राधेश्यामी
Ravi Prakash
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
*न्याय-देवता के आसन पर, बैठा जो यदि अन्यायी है (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
*दूर चली जाओगी जीजी, फिर जाने कब आओगी (गीत)*
Ravi Prakash
*शिव विद्यमान तुम कण-कण में, प्रत्येक स्वरूप तुम्हारा है (रा
Ravi Prakash
*अपने अंतर्मन में बैठे, शिव का आओ कुछ ध्यान धरें (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*बाधाओं से क्या घबराना, इनसे व्यक्तित्व निखरता है (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*चराईदेव के मैदाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*चराईदेव के मैदाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*ए.पी. जे. अब्दुल कलाम (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*बॉस की चिड़िया बैठाना (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
*उच्चारण सीखा हमने, पांडेय देवकी नंदन से (हिंदी गजल)*
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*हृदय की वेदना कैसे, कहो किसको बताऍं हम (गीत)*
Ravi Prakash
*रामायण लिख-लिख कर गाते, राधेश्याम कथावाचक (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*पूर्वाग्रह से प्रेरित जज थे, बहसों में गड़बड़झाला था (राधेश
Ravi Prakash
*पत्रिका समीक्षा*
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*सुबह-सुबह गायों को दुहकर, पात्रों में दूध समाया है (राधेश्य
Ravi Prakash
*जिस बर्तन में मांस पक गया, दूषित वह अब कहलाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
*गाफिल स्वामी बंधु हैं, कुंडलिया-मर्मज्ञ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*बोली ऐसी बोलिए, चुभे न कोई बात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*पल-भर में खुश हो गया, दीखा कभी उदास (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*जीवन का सार यही जानो, कल एक अधूरा सपना है (राधेश्यामी छंद )
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*शिक्षक के चरणों को पूजो, वह देश-समाज जगाता है (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
*प्रभु पर विश्वास करो पूरा, वह सारा जगत चलाता है (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*निर्बल-असहाय अगर तुम हो, ईश्वर का प्रतिदिन ध्यान धरो (राधेश
Ravi Prakash
*चुप बैठे रहने से मसले, हल कभी नहीं हो पाते हैं (राधेश्यामी
Ravi Prakash
*जीवन का सार यही जानो, सच्चाई जीवन में घोलो (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
*भोजन की स्वच्छ रसोई हो, भोजन शुचि हाथों से आए (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
जो भी मिल जाए मत खाओ, जो स्वच्छ मिले वह ही खाओ (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
*जो खान-पान में चूक गया, वह जीवन भर पछताएगा (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
*उपस्थिति रजिस्टर (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
*जिह्वा पर मधु का वास रहे, प्रभु ऐसी श्रेष्ठ कृपा करना (राधे
Ravi Prakash
*सब कर्म हमारे देख रहा, वह नीली छतरी वाला है (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
*आओ बैठो कुछ ध्यान करो, परमेश्वर की सब माया है (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
*होता है अमर नहीं कोई, अमरत्व भला किसने पाया (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
*कितनों से रिश्ते जुड़े नए, कितनों से जुड़कर छूट गए (राधेश्य
Ravi Prakash
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash