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ऐसे क्यों मुझे तड़पाते हो
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विभिन्न पत्नियों के विभिन्न वार्तालाप अपने प्रिय पतियों के साथ
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प्रतिभाओं को मत काटो,आरक्षण की तलवारों से
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शिक्षक दिवस
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तू नही तो तेरी तस्वीर तो है
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जब से देखा है तुमको
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आज के जीवन की कुछ सच्चाईयां
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शायद ये सांसे सिसक रही है
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गणेश चतुर्थी
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करप्शन के टॉवर ढह गए
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मन को कैसे मनाए
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मै भी हूं तन्हा, तुम भी हो तन्हा
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अगर तुम्हे कुछ बनना है
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प्रेमी और प्रेमिका की मोबाइल पर वार्तालाप
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क्षमा याचना दिवस
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मेरे ख्वाबों में आकर,मुझे क्यों सताते हो
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कभी क्यो दिल जलाते हो मेरा
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विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस
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देखा है जब से तुमको
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कृष्ण के जन्मदिन का वर्णन
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बिहार में खेला हो गया
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जीवन की कुछ सच्चाईयां
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मै लाल किले से तिरंगा बोल रहा हूं
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आजादी की कभी शाम ना हम होने देंगे
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घर घर तिरंगा अब फहराना है
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मेरे मुस्कराने की वजह तुम हो
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मेरा भारत मेरा तिरंगा
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रक्षाबंधन भाई बहन का त्योहार
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जीवन संगनी की विदाई
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तेरी यादें मुझे सोने नहीं देती
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एक पत्र पुराने मित्रों के नाम
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तारीफ़ क्या करू तुम्हारे शबाब की
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मेरे ख्यालों में क्यो आते हो
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आओ हम सब घर घर तिरंगा फहराए
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तिरंगे महोत्सव पर दोहे
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घर घर तिरंगा फहराएंगे
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राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास
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ए ! सावन के महीने क्यो मचाता है शोर
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शाम से ही तेरी याद सताने लगती है
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कह न पाई मै,बस सोचती रही
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महादेवी वर्मा जी की वेदना
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अंतरराष्ट्रीय मित्रता पर दोहे
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बालो की महिमा (एक व्यंग्य)
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एक नारी की वेदना
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मेरी रातों की नींद क्यों चुराते हो
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वो इश्क है किस काम का
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जाम से नही,आंखो से पिला दो
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भ्रष्टाचार पर कुछ पंक्तियां
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जब पिया घर नही आए
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जितना सताना हो,सता लो हमे तुम
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