Shekhar Chandra Mitra Language: Hindi 3940 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 57 Next Shekhar Chandra Mitra 27 Sep 2021 · 1 min read भगतसिंह :एक बुद्धिजीवी सरदार भगतसिंह के हाथ में हम! देखते सिर्फ़ किताब और कलम!! वे लोग इस देश के दुश्मन हैं जो थमाते उनको पिस्तौल और बम!! Shekhar Chandra Mitra #इंकलाबीशायरी Hindi · कविता 1 197 Share Shekhar Chandra Mitra 27 Sep 2021 · 1 min read लूट सके तो लूट चारों तरफ एक लूट मची है तू लूट सके तो लूट! सरकार से हाथ मिलाने का मौका जाए ना छूट!! देश, दुनिया और मानवता बेकार की बातें हैं! अपना फायदा... Hindi · कविता 1 319 Share Shekhar Chandra Mitra 27 Sep 2021 · 1 min read दिल के दरवाज़े सावन में बारिश होती है! फाल्गुन में फूल खिलते हैं!! चाहने वाले इस दुनिया में क़िस्मत से ही मिलते हैं!! लाख मायूसियों के बावजूद तू अपनी कोशिशें जारी रख! दिल... Hindi · कविता 176 Share Shekhar Chandra Mitra 27 Sep 2021 · 1 min read नफ़रत का ज़हर तुम ज़हर मत घोलो हवाओं में अब दम घुटता इन फिज़ाओं में हरी-भरी ये ख़ुबसूरत वादियां बदल जाएं ना कहीं सहराओं में... #Geetkar Shekhar Chandra Mitra #HatePolitics Hindi · कविता 173 Share Shekhar Chandra Mitra 27 Sep 2021 · 1 min read बाकी सब कुछ चंगा है! राजा यहां का नंगा है बाकी सब कुछ चंगा है कहीं फसाद-कहीं दंगा है बाकी सब कुछ चंगा है... (१) हिंदू-मुस्लिम के नाम पर फूट डालो और राज करो यह... Hindi · गीत 1 273 Share Shekhar Chandra Mitra 27 Sep 2021 · 1 min read मेरे महबूब! अगर तुम होते साथ मेरे! कुछ और होते दिन-रात मेरे!! इस क़दर बदनाम न होते! दुनिया भर में जज़्बात मेरे!! हां, मैं भी दूसरों की तरह गाना चाहता ग़ज़ल मगर!... Hindi · कविता 212 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Sep 2021 · 1 min read औरत और मर्द की बराबरी सबके लिए नहीं है जो वह आज़ादी क्या आज़ादी है! औरत-मर्द की बराबरी तो हमारा हक़ बुनियादी है!! लड़की से पूछे बग़ैर उसकी तालीम को रोक कर! होती है जो... Hindi · कविता 322 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Sep 2021 · 1 min read शिक्षा और इलाज़ मुफ़्त हो! इस देश में कभी इंकलाब क्यों नहीं होता है! एक नये दौर का आगाज़ क्यों नहीं होता है!! सबके लिए यहां किसी भेद-भाव के बिना मुफ़्त में तालीम और इलाज़... Hindi · कविता 116 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Sep 2021 · 1 min read इंकलाब क्यों नहीं हुआ? ज़ुल्म के ख़िलाफ़ बगावत क्यों नहीं हुई! नाइंसाफी के ख़िलाफ़ एहतियाज क्यों नहीं हुआ!! ज़िंदगी और मौत के सवाल पर भी इस देश में सदियों से आज तक इंकलाब क्यों... Hindi · कविता 146 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Sep 2021 · 1 min read औरत की आज़ादी परदे की वकालत करती है जो वह क़ौम खुद अपनी कातिल है! जिल्लत से भरी हुई जिंदगी ही उस अभागे मुल्क का हासिल है!! सदियों की गुलामी के बाद भी... Hindi · कविता 230 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Sep 2021 · 1 min read जब मैं ज़िंदा था! हम खोए हुए रहते थे जब महबूब के ख्याल में! एक खलिश थी फ़िराक़ में एक नशा था विसाल में!! हमें आया करती थीं नज़र पूरी कायनात की रौनकें उसकी... Hindi · कविता 137 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Sep 2021 · 1 min read कैसे बीतेगी रात! एक तरफ देश के हालात! दूसरे तरफ दिल के जज़्बात!! मेरी समझ में आती नहीं ये बात! कैसे बीतेगी ज़ुल्मत की रात!! Shekhar Chandra Mitra Hindi · कविता 217 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Sep 2021 · 1 min read कलम से चिंगारियां कलेजे से होकर एक आरी निकलती है! तब जाकर कलम से चिंगारी निकलती है!! वो देखो,अवाम को बुरी तरह रौंदती हुई अब जिल्लेइलाही की सवारी निकलती है!! Shekhar Chandra Mitra Hindi · कविता 305 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Sep 2021 · 1 min read उतरो सड़क पर कब तक बचोगे! कहां तक बचोगे!! तुम अपने वक़्त की तल्ख सच्चाइयों से!! कभी न कभी तो टकराओगे ही! इस लंबे सफ़र में कुछ रुसवाइयों से!! मानवता की चीखें क्या... Hindi · कविता 162 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Sep 2021 · 1 min read यह देश सबका है! इस देश पर सभी को एक जैसा ही गुमान है! इस देश को बनाने में सभी का योगदान है!! क्या हुआ जो इसका एक नाम हिंदोस्तान है! इस देश में... Hindi · कविता 179 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Sep 2021 · 1 min read रब की सोच पहले आशना करते हुए! फिर अलहदा करते हुए!! कुछ तो सोचा होगा रब ने यह हादसा करते हुए!! Shekhar Chandra Mitra Hindi · कविता 256 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Sep 2021 · 1 min read किसान की आत्महत्या अगर किसान मरता है! तो इंसान मरता है!! अगर इंसान मरता है! तो हिंदुस्तान मरता है!! क्या अब भी आपको यह समझाना पड़ेगा कि अगर हिंदोस्तान मरता है तो ज़हान... Hindi · कविता 458 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Sep 2021 · 1 min read कुछ तो सोचा होगा पहले दिलरूबा करते समय! फिर बेवफ़ा करते समय!! कुछ तो सोचा होगा खुदा ने तुझे मुझसे जुदा करते समय!! Shekhar Chandra Mitra Hindi · कविता 157 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Sep 2021 · 1 min read दिल को बर्बाद होना था! टूटा हुआ साज होना था! ग़म से आबाद होना था!! अपने दिलवर के हाथों ही दिल को बर्बाद होना था!! Shekhar Chandra Mitra Hindi · कविता 183 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Sep 2021 · 1 min read व्यवस्था परिवर्तन ज़रूरी है! हमारी तो बहुत मज़बूरी है! पूरी मिलती नहीं मज़दूरी है!! सत्ता परिवर्तन काफ़ी नहीं, व्यवस्था परिवर्तन ज़रूरी है!! Shekhar Chandra Mitra #प्रवासीमज़दूर #FarmersProtest Hindi · कविता 304 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Sep 2021 · 1 min read देश की हालत बहुत बुरी है! जितना आप लोग समझते हैं देश की हालत उससे भी बुरी है! इससे पहले कि कुछ भी न बचे अब आवाज़ उठानी ज़रूरी है!! शायद तबाही और बर्बादी में मिलता... Hindi · कविता 407 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Sep 2021 · 1 min read प्यार की दुश्मन दुनिया जा-जा री दुनिया! तू मुझे क्या देगी!! प्यार के नाम पर फिर वही दगा देगी!! पहले तो बसाएगी सपनों का एक गांव! फिर उसमें अचानक तू आग लगा देगी!! Shekhar... Hindi · कविता 203 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Sep 2021 · 1 min read उसे मेरा सलाम बेख़ौफ़ है जो बेबाक है जो! बेलौस है जो बिंदास है जो!! हर उस शायर को मेरा सलाम! कुजात है जो बेताज है जो!! Hindi · कविता 214 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Sep 2021 · 1 min read कवि का कर्तव्य किसी शायर के लिए अब यही है मुनासिब! जज़्बात की शिद्दत से होकर वह आजिज़!! कुछ लिखता रहे कुछ कहता रहे वक़्त और हालात के तकाज़े के मुताबिक़!! Shekhar Chandra... Hindi · कविता 270 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Sep 2021 · 1 min read व्यवस्था परिवर्तन ज़रूरी है! केवल सत्ता के परिवर्तन से! ना मुक्ति मिलेगी उत्पीड़न से!! पूरी व्यवस्था को बदले बिना क्या राहत मिलेगी शोषण से!! Shekhar Chandra Mitra #इंकलाबीशायर Hindi · कविता 1 162 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Sep 2021 · 1 min read बुद्धिजीवियों का दायित्व एक दानिश्वर के तौर पर यही है मुनासिब आप मौजूदा वक़्त के तकाज़े के मुताबिक़! वह ज़रूर कहिए वह ज़रूर लिखिए जो हो एकदम ज़रूरी जो हो बिल्कुल वाजिब!! Shekhar... Hindi · कविता 170 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Sep 2021 · 1 min read मीडिया पर कब्ज़ा इरादे नेक नहीं लगते हैं आजकल सरकार के! रूह खौफ़जदा है हमारी बर्बादी के आसार से!! डीजिटल मीडिया को भी लेना चाहती शिकंजे में! वह करने के बाद कब्जा टीवी... Hindi · कविता 1 325 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Sep 2021 · 1 min read जल रहा है देश देश की हालत वैसी नहीं है जैसी मीडिया बताती है! जिनसे होता है सिस्टम को खतरा यह उन खबरों को छुपाती है! आमतौर पर तो यह सरकार के सुर में... Hindi · कविता 181 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Sep 2021 · 1 min read दुआ सदा खुश रहना, ऐ बिछड़े हुए साथी! हम तुम्हें याद किया करेंगे!! गाहे-बगाहे चांद और तारों में हम तुम्हें देख लिया करेंगे! Shekhar Chandra Mitra Hindi · कविता 290 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Sep 2021 · 1 min read तुझे देखा नहीं मैं जिंदा हूं कि मर गया मुझे पता नहीं! खुद से ही दूर-दूर तक अब राब्ता नहीं!! एक-दूजे से जुदा हुए अभी कुछ ही दिन हुए कितने युगों से लग... Hindi · कविता 236 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read बढ़ती बेरोज़गारी के ख़तरे ****चेतावनी**** जैसे-जैसे चारों तरफ़ बेरोजगारी बढ़ेगी, वैसे-वैसे चारों तरफ़ मुफलिसी बढ़ेगी! जैसे-जैसे चारों तरफ़ मुफलिसी बढ़ेगी, वैसे-वैसे चारों तरफ़ महंगाई बढ़ेगी! जैसे-जैसे चारों तरफ़ महंगाई बढ़ेगी, वैसे-वैसे चारों तरफ़ मायूसी... Hindi · कविता 172 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read खुदकुशी का ख़्याल जिसके पास वाजिब एक रोजगार नहीं होता! ज़रूरत के मुताबिक कोई अधिकार नहीं होता! आता है उसी को ख़्याल खुदकुशी का जिसकी जिंदगी में किसी का प्यार नहीं होता! Shekhar... Hindi · कविता 1 1 184 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read खुदकुशी करने से क्या होगा? अगर दिल में हौसला होगा! कुछ न कुछ फैसला होगा!! बुजदिल की तरह,ऐ दोस्त! खुदकुशी करने से क्या होगा!! Shekhar Chandra Mitra Hindi · कविता 203 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read खुदकुशी या इंकलाब? तुम कमजोर निकले तो खुदकुशी करोगे और मजबूत निकले तो इंकलाब! तुम बुजदिल निकले तो खुदकुशी करोगे और बहादुर निकले तो इंकलाब! तमाम मजबूरियों, महरूमियों और नाकामियों के बावजूद! तुम... Hindi · कविता 159 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read भगतसिंह ने कहा था अपनी ख़ुदी से समझौता कम नहीं खुदकुशी से! कहीं रुसवा न हो जवानी तुम्हारी बुजदिली से! मालूम है भगतसिंह ने क्या कहा था मक़तल से! एक जिंदा मौत बेहतर है... Hindi · कविता 149 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read ये भी तो इंसान हैं न! यही मज़दूर-यही किसान हैं न! यही मेहनतकश अवाम हैं न!! उन्हें शूद्रों से इतनी चिढ़ क्यों है! आख़िर ये भी तो इंसान हैं न!! Shekhar Chandra Mitra #AmbedkarVision #BhagatSingh Hindi · कविता 157 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read असली खुबसूरती कशिश उसूलों में होती है, उम्रों में नहीं! कशिश रूहों में होती है, जिस्मों में नहीं!! तुम समझ लो यह तो ठीक वरना मेरा क्या! कशिश सीरतों में होती है,... Hindi · कविता 399 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read मेरे पंख मत छिनो आसमान की ऊंचाई नापना चाहती हूं मैं! चांद-तारों की दुनिया देखना चाहती हूं मैं!! इस छोटे-से पिंजरे में घुट रहा है दम मेरा! मेरे पंख मत छिनो उड़ना चाहती हूं... Hindi · कविता 195 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read किताबों की दुनिया किताबों की सुरमई दुनिया! किताबों की अनछुई दुनिया!! तुम्हें आवाज़ दे रही कबसे किताबों की जादूई दुनिया!! Shekhar Chandra Mitra #पुस्तकालय #Library Hindi · कविता 213 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read किताबों की ज़रूरत किताबें करतीं भंडाफोड़! किताबें करतीं बेनकाब! किताबें खोलतीं काले चिट्ठे! किताबें करतीं पर्दाफाश! Shekhar Chandra Mitra #Library #पुस्तकालय Hindi · कविता 293 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read किताबों के बारे में किताबें करतीं बगावत! किताबें लातीं इंकलाब! किताबें ढ़ाहतीं तख़्त! किताबें गिरातीं ताज! किताबें तोड़तीं रस्म! किताबें मिटातीं रिवाज़! किताबें सुधारतीं देश! किताबें बदलतीं समाज! Shekhar Chandra Mitra #BooksDay Hindi · कविता 212 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read हुक़ूमत से सवाल तुमने लूटा हमको अच्छे दिनों का वादा करके कहीं के ना रहे हम तुम पर इतना भरोसा करके! नींद गहरी हो गई कि भोजन का जायका बढ़ गया क्या मिल... Hindi · कविता 204 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read हमारी ज़हालत हम तो बेमौत मारे गए कातिल को मसीहा समझकर! कहीं के ना रहे हम तो रहजन को रहनुमा समझकर! इसे हमारी बुजदिली या ज़हालत ही मान लीजिए कि! चुपचाप हमने... Hindi · कविता 340 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read एक चेतावनी सच बोलना ही जहां गुनाह हो जाए! अब क्यों न वह देश तबाह हो जाए! मेरा क़त्ल-नामा एक चेतावनी है जिससे वक़्त रहते ही तू आगाह हो जाए! Shekhar Chandra... Hindi · कविता 243 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Sep 2021 · 1 min read अभिव्यक्ति के ख़तरे सच के लिए सत्ता से उलझना ठीक नहीं अब सेहत के लिए! कोई नहीं खड़ा हो पाएगा हमारे साथ हिफाज़त के लिए! बखूबी यह जानते हुए भी हमें लड़ना है... Hindi · कविता 135 Share Shekhar Chandra Mitra 22 Sep 2021 · 1 min read और देरी ठीक नहीं अपने आपको बदलने में वक़्त के मुताबिक़ ढ़लने में तुम जितनी ही देरी करोगे तुम्हें उतनी क़ीमत चुकानी होगी! दुनिया के साथ चलने में अपनी क़ैद से निकलने में तुम... Hindi · कविता 154 Share Shekhar Chandra Mitra 22 Sep 2021 · 1 min read जड़ता पर प्रहार जलते हुए प्रश्नों पर विचार करो! तुम क्रांति की भूमिका तैयार करो!! देश में लाने के लिए नवजागरण सामाजिक जड़ता पर प्रहार करो!! Shekhar Chandra Mitra #Kabeer #PeriyarForever Hindi · कविता 161 Share Shekhar Chandra Mitra 22 Sep 2021 · 1 min read प्रायश्चित औरतों और शूद्रों से आप माफ़ी मांगिए! जो सदियों से जारी है वो गलती सुधारिए!! शायद इतने से उनके हृदय पिघल जाएं! उनका हक़ लौटाकर उन्हें गले लगाइए!! Shekhar Chandra... Hindi · कविता 313 Share Shekhar Chandra Mitra 22 Sep 2021 · 1 min read काश्मीरी भी हमारे हैं! ये काश्मीर अगर हमारा है तो कोई काश्मीरी ग़ैर कैसे हुआ? अपने ही देश के एक हिस्से से लोगों को इतना वैर कैसे हुआ? अगर भारत हमारी माता है तो... Hindi · कविता 317 Share Shekhar Chandra Mitra 22 Sep 2021 · 1 min read देश-काल से परे क्या मुझसे भी किसी को प्यार हो सकता है? क्या मेरे लिए भी कोई बेकरार हो सकता है? देश और काल की हर सीमा से परे जाकर क्या मेरा भी... Hindi · कविता 248 Share Previous Page 57 Next