सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2758 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 56 सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read रौद्र प्रकृति शान्त और शालीन थी प्रकृति बनती जा रही है निष्ठुर,उदण्ड, अदयामय और प्रतिक्रोधित नित मानवीय हस्तक्षेप से भौतिकवादी प्रहारों से विकसित बनने की होड़ में प्रकृति को ही कर दिया... Hindi · कविता 2 244 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read प्रेम रंग प्रेम रंग बड़ा निराला है,जीवन जीने का सहारा है प्रेम रंग मे रंग जाए,वो रंगीला सबसे प्यारा है मानव जीवन बड़ा अनमोल बारम्बार नहीं मिलता ईर्ष्या और क्रोध में लीन... Hindi · कविता 2 279 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read आज के दोहे क्रोध कभी न कीजिए,रखें शान्त स्वभाव प्रतिक्रोधी घातक अति,सुशांत में है बचाव लोभ मोह में कुछ न धरा,जनसेवा रहत कमात संसेवा का मेवा मिलेगा,रहत सेवादार जमात मीठे बोल सदा बोलिए,... Hindi · कविता 2 470 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read तराने जिन्दगी के दिल के तराने अचानक याद आ गए बीते दिन वो अफसाने याद आ गए मकान हमारे कच्चे पर दिल पक्के थे उस कच्चे घर में सब रहते इकट्ठे थे मकान... Hindi · कविता 2 450 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read सैनिक की नार क्या व्यथा सुनाऊँ मैं सैनिक की नार की काँटों भरी है जिन्दगी कुमलाहीं नार की राह ताकती रहती अखियाँ पहरेदार की घर आगमन पर बातें खूब होगीं प्यार की तरसे... Hindi · कविता 2 427 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read स्वपन सपना जो देखा आँखों में साकार हो गया दिलदार मेरा प्यार रहमत नसीब हो गया खुशनसीब हूँ जो उनका साथ मिला साथ क्या मिला बेइंतहा प्यार मिला यार मेरा प्यार... Hindi · कविता 2 407 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read आज का डॉक्टर कलयुगी डॉक्टर आज शैतान बन गया डॉक्टर जो भगवान था हैवान बन गया घटित हुई घटना इक बतलाता हूँ डॉक्टर की काली करतूत सुनाता हूँ मित्रवर का पुत्र अचानक बीमार... Hindi · कविता 2 255 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read अन्ततर्भाव जाना चाहता हूं. बहुत दूर इतना दूर कि कोई अपना न छू सके न देख सके न सुन सके और न ही कुछ सुना सके ,कह सके निभा के देख... Hindi · कविता 2 340 Share Previous Page 56