Shekhar Chandra Mitra Language: Hindi 3940 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 51 Next Shekhar Chandra Mitra 17 Dec 2021 · 1 min read चेतावनी ऐ कमबख्त! ऐ नामाकूल!! तुम्हें चुनना हमारी भूल! हमने चढ़ाया था तुम्हें सिर पर तो हम ही चटाएंगे तुम्हें धूल!! Shekhar Chandra Mitra #अवामीशायरी #इंकलाबीशायरी #सियासीशायरी #जनवादीकविता Hindi · मुक्तक 1 208 Share Shekhar Chandra Mitra 17 Dec 2021 · 1 min read लेखकों से अपील क्रांति का बिगुल बजाने वाले! विद्रोह की मशाल जलाने वाले!! नारे लिख नारे, ऐ साथी! प्रतिरोध का झंडा उठाने वाले!! Shekhar Chandra Mitra #अवामीशायरी #इंकलाबीशायरी Hindi · मुक्तक 1 203 Share Shekhar Chandra Mitra 17 Dec 2021 · 1 min read वक़्त के शायरों से गुज़ारिश नज्में लिखिए नारे लिखिए जिनसे उठें अंगारे लिखिए... (१) खुलकर लिखना अगर नामुमकिन कम से कम इशारे लिखिए... (२) जो काम आएं इंकलाब के वो सबक़ अब सारे लिखिए... (३)... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 159 Share Shekhar Chandra Mitra 17 Dec 2021 · 1 min read वक़्त के हाकिम से सवाल तुम्हारी काली करतूतों का कभी तो हिसाब-किताब होगा! देश के बुनियादी सवालों पर तुम्हारा क्या जवाब होगा!! ऐ भाड़े के गुंडों के दम पर आंदोलनों को कुचलने वाले! तुम्हारी वहशत... Hindi · कविता 162 Share Shekhar Chandra Mitra 6 Dec 2021 · 1 min read लोकतंत्र को जिया जाए! एक-दूसरे को सुना जाए एक-दूसरे से कहा जाए असहमतियों के बावजूद एक-दूसरे को सहा जाए... (१) मुमकिन है आज का दुश्मन कल हमारा दोस्त निकले फिर बात को समझे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 165 Share Shekhar Chandra Mitra 5 Dec 2021 · 1 min read एक नई दुनिया ऐसी हर रस्म उठा दी जाए ऐसी हर रीत मिटा दी जाए... (१) दो मासूम रूहों के बीच में बने जो दीवार गिरा दी जाए... (२) वह तहज़ीब जो नफ़रत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 350 Share Shekhar Chandra Mitra 4 Dec 2021 · 1 min read वन-संरक्षण पौधे लगाइए पेड़ बचाइए अपना मानवीय कर्तव्य निभाइए! जब तक धरती पर वन है तब तक अपना जीवन है आप अपने तुच्छ स्वार्थ के लिए इसमें कभी मत आग लगाइए!... Hindi · कविता 303 Share Shekhar Chandra Mitra 4 Dec 2021 · 1 min read उदास लड़की वह इसलिए भी आज-कल इतना कम बोलती है! उसकी आवाज़ फ़िज़ाओं में केवल ग़म घोलती है!! उसे आ जाती हैं याद कितनी भूली-बिसरी कहानियां वह अपने अंधेरे कमरे की जब... Hindi · कविता 1 1 245 Share Shekhar Chandra Mitra 3 Dec 2021 · 1 min read जाति-मुक्त समाज का सपना ऊंच-नीच और छुआछूत का एहतिजाज करना होगा जात-पात के ख़िलाफ़ हमें अब इंकलाब करना होगा... (१) उन्हें सुधरना होता तो पहले ही सुधर गए होते वे सदियों के बीमार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 200 Share Shekhar Chandra Mitra 3 Dec 2021 · 1 min read वीज़ा के लिए इंतज़ार आज भी खड़ा है अंबेडकर वीज़ा के इंतजार में क्या कोई जगह ही नहीं है उसके लिए इस दयार में... (१) जात-पात के नाम पर जैसे ज़ुल्म ढाए गए हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 147 Share Shekhar Chandra Mitra 3 Dec 2021 · 1 min read घुटता है दम मेरा घुटता है दम रिवाजों के जाल में! आख़िर कोई जीए किस तरह ऐसे हाल में!! लगता है अवाम ने कुछ भी नहीं सीखा! गुलामी के पिछले पांच हज़ार साल... Hindi · कविता 344 Share Shekhar Chandra Mitra 2 Dec 2021 · 1 min read मजलूम अवाम ऐ दबी-कुचली धरती तुम पलटती क्यों नहीं? यह ज़ुल्मत का निज़ाम तुम उलटती क्यों नहीं? कब तक चलती रहोगी ऐसे एक ही ढर्रे पर? आखिर अपनी लीक से तुम भटकती... Hindi · कविता 141 Share Shekhar Chandra Mitra 2 Dec 2021 · 1 min read जश्न-ए-आजादी आज़ादी का जश्न ऐसे मनाओ, साथियों! जहां भी हो गुलामी उसे मिटाओ, साथियों! (१) छिपेंगे भी तो कहां ये शैतान के नुमाइंदे? हरेक स्याह घर में चिराग़ जलाओ, साथियों! (२)... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 181 Share Shekhar Chandra Mitra 2 Dec 2021 · 1 min read एक और इंकलाब वो कुर्बानी भगतसिंह की ज़वाब मांगती है सदियों से ज़ारी ज़ुल्म का हिसाब मांगती है... (१) देश और समाज के जलते हुए सवालों पर आज एक और हमसे इंकलाब मांगती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 227 Share Shekhar Chandra Mitra 1 Dec 2021 · 1 min read धरती के भगवान जैसे-जैसे उनसे आसना होने लगे खुशमिजाज़ थे हम, संजिदा होने लगे... (१) यह बंदगी तभी से कुफ्र हुई अपने लिए कुछ लोग अचानक जब ख़ुदा होने लगे... (२) वे इस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 327 Share Shekhar Chandra Mitra 1 Dec 2021 · 1 min read जाग उठा पंजाब फिर जाग उठा है पंजाब सुनकर वक़्त की आवाज़! अब कोई कुछ भी कर ले आकर ही रहेगा इंकलाब!! हुक्मरान से डरेगी क्या जीते जी ही मरेगी क्या! बांके गुरु... Hindi · कविता 136 Share Shekhar Chandra Mitra 1 Dec 2021 · 1 min read दूर देश में इल्म की-फ़न की हुनर की क़द्र हो! शायर की-अदीब की दानिश्वर की कद्र हो!! ऐ ज़िंदगी, मुझे अब ले चल वहीं! जहां किसी ख़ालिस बशर की कद्र हो!! Shekhar Chandra... Hindi · कविता 316 Share Shekhar Chandra Mitra 1 Dec 2021 · 1 min read बाज़ारवाद क्या बतलाएंगे हमें ये टीवी और अख़बार! सरकार से जनता है या जनता से सरकार!! ज़रा आंख क्या लड़ी सियासत की सरमाया से! आज बनके रह गया पूरा देश एक... Hindi · कविता 384 Share Shekhar Chandra Mitra 30 Nov 2021 · 1 min read जनता की ख़ामोशी देश और समाज की मुहब्बत से ख़ामोश है! खुद्दारी और ज़मीर की गैरत से ख़ामोश है!! यह जनता क्या तुम्हारी दहशत से ख़ामोश है! कानून और व्यवस्था की इज़्ज़त से... Hindi · कविता 198 Share Shekhar Chandra Mitra 30 Nov 2021 · 1 min read प्रमाणिक कविता जो सिचुएशन को-आब्जर्व करे! जो इमोशन को-प्रीजर्व करे!! पोएट्री तो वही-आथेंटिक है जो स्टेबल को-डिस्टर्ब करे!! Shekhar Chandra Mitra #जनवादीकविता #अवामीशायरी #इंकलाबीशायरी #सियासीशायरी Hindi · कविता 494 Share Shekhar Chandra Mitra 30 Nov 2021 · 1 min read हमारे लिए संविधान सर्वोपरि है यहां अवाम से हुक्मरान हैं! हुक्मरानों से अवाम नहीं!! हम नागरिक हैं इस देश के बादशाह के ग़ुलाम नहीं!! वे जितनी जल्दी समझ लें यह उतना ही बेहतर होगा! हम... Hindi · कविता 1 193 Share Shekhar Chandra Mitra 30 Nov 2021 · 1 min read ज़िंदा क़ौम ज़िंदा क़ौम तो ऐहतिजाज करती है! मूर्दा क़ौम ही सब चुपचाप सहती है!! ऐसे क़ौम को ग़ुलाम बनाना मुश्किल ज़ुल्म के ख़िलाफ़ जो इंकलाब करती है!! Shekhar Chandra Mitra #जनवादीकविता... Hindi · कविता 133 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Nov 2021 · 1 min read विपक्ष से सवाल क्यों? पूंजिपति और राजनेता देश का खस्ता हाल करें! जब सत्ता में वही हैं तो विपक्ष से क्यों सवाल करें!! इन धरना-प्रदर्शनों से ही ज़िंदा रहता है लोकतंत्र! अपने अधिकारों के... Hindi · कविता 348 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Nov 2021 · 1 min read चैतन्य की पुकार दूसरों की जीत पर-वाह क्या करें अपनों की हार पर-आह क्या करें सरकारें तो आती-जाती रहती हैं हम सरकारों की-परवाह क्या करें... (१) जब कोई चीज़-इस दुनिया में हमेशा... Hindi · गीत 176 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Nov 2021 · 1 min read मज़लूमों को इंसाफ़ ये जब्र चलेगा कब तक ये ज़ुल्म रहेगा कब तक जात-पात के नाम पर ये कहर बरपेगा कब तक! दलितों में क्या जान नहीं आदिवासी क्या इंसान नहीं मज़लूमों को... Hindi · कविता 1 181 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Nov 2021 · 1 min read आधी दुनिया आधी ज़मीन आधा आसमान! औरत का है आधा ये ज़हान!! इतनी-सी बात समझे बिना तुम! हो मर्द भले ही पर नहीं इंसान!! Shekhar Chandra Mitra #अवामीशायरी #इंकलाबीशायरी #Feminism #नारीविमर्श Hindi · कविता 325 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Nov 2021 · 1 min read चल भगतसिंह चल चल भगतसिंह चल चल भगतसिंह चल... (२) सर उठाके-सीना तानके आंख मिलाके चल... (३) तुझे बुला-रहा कबसे आने वाला कल... (४) एक तरफ़-महफ़िल है एक तरफ़-मक़तल... (५) इससे पहले-कि शहर... Hindi · गीत 443 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Nov 2021 · 1 min read बंधे हुए हाथ अगर हमें देश से-मुहब्बत न होती इसके कानून की-इज्ज़त न होती तो आज हम तुम्हें-बता देते! बगावत कैसे -की जाती है इंकलाब कैसे-लाया जाता है तुम्हें अच्छी तरह-दिखा देते!! मज़दूरों... Hindi · कविता 211 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Nov 2021 · 1 min read अंधा युग सरहद पर-मर रहे जवान खेतों में-लूट रहे किसान... (१) हुकूमत के-बेरहम डंडे से चारों तरफ़-पिट रहे अवाम... (२) हाथ में अपने-डिग्रियां लेकर भटक रहे-बेरोजगार नौजवान... (३) आज औने-पौने दामों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 330 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Nov 2021 · 1 min read मदारी का खेल किसान से जवान को लड़ा रहा है कौन? लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रहा है कौन? (१) हमारी बहन-बेटियों पर जब्र-जुल्म करके भारत मां को इस क़दर रूला रहा है कौन?... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 283 Share Shekhar Chandra Mitra 28 Nov 2021 · 1 min read तेरा महबूब शायर तेरी आंखों की मस्ती सलामत रहे अब शराब-वराब से क्या लेना मुझे... (1) मैं पढ़ता रहूं तेरा चेहरा हसीन अब किताब-विताब से क्या लेना मुझे... (2) यूं ही खिलते रहें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 190 Share Shekhar Chandra Mitra 28 Nov 2021 · 1 min read हुकूमतों को हिलाने वाला शायर इस दुनिया की बड़ी से बड़ी सल्तनतें भी हिल जाएं! फ़ौलादी समझी जाने वालीं ताकतें भी हिल जाएं!! वह लिखा करता है ख़ून में डुबोकर अपनी अंगुली! उसकी शायरी तो... Hindi · कविता 2 1 209 Share Shekhar Chandra Mitra 27 Nov 2021 · 1 min read अच्छा हुआ चलो वक़्त रहते ही तुम्हें हम जान गए, अच्छा हुआ तुम्हारे बारे में सबकुछ पहचान गए, अच्छा हुआ... (१) हम जिनके चलते शाम-ओ-सहर भटके फिरते थे इधर-उधर वो चढ़ती हुई... Hindi · गीत 490 Share Shekhar Chandra Mitra 27 Nov 2021 · 1 min read पढ़ना सीखो, बेटी! अंगुली छोड़कर चलना सीखो, बेटी! पूर्वजों से आगे बढ़ना सीखो, बेटी! (१) घर हो या बाहर ख़तरे कहां नहीं हैं? हरेक चुनौती से लड़ना सीखो, बेटी! (२) इसी से निकलेगा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 187 Share Shekhar Chandra Mitra 27 Nov 2021 · 1 min read अधिकारों की लड़ाई जो बेकसूर होने के बावजूद जेलों में सड़ रहे हैं! जो दर-दर की ठोकरें खाकर बेमौत मर रहे हैं!! क्या हम उनके परिवार के लिए कुछ नहीं कर सकते! जो... Hindi · कविता 1 408 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Nov 2021 · 1 min read प्रेमचन्द की समाधि पर जीते जी तो मिलकर बर्बाद करेंगे लोग! मर जाने पर तुमको बहुत याद करेंगे लोग!! तुम ऐसे थे-तुम वैसे थे इंसानों में-फरिश्ते थे रोकर भरी सभा में फ़रियाद करेंगे लोग!!... Hindi · कविता 225 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Nov 2021 · 1 min read असली भारत भारत को समझा है तुमने हिंदी फिल्मों के जरिए नब्बे फीसदी अवाम की ज़िंदगी नहीं देखी अब तक... (१) ऊंची हवेलियों से बाहर फुटपाथ पर रहने वाले मेहनतकश मजदूरों की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 281 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Nov 2021 · 1 min read दो भारत हमारा देश दुनिया भर में बदनाम न हो जाए कहीं हमें नीचा दिखाना एकदम आसान न हो जाए कहीं... (१) तुम मत कहो इस धर्म ने साथ तुम्हारे क्या किया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 578 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Nov 2021 · 1 min read चीख की लय आदिवासियों, दलितों और स्त्रियों की रचनाओं में साहित्यिक सौंदर्य ढूंढ़ने वाले क्या नहीं जानते हैं कि चीख की कोई लय नहीं होती! Shekhar Chandra Mitra Hindi · कविता 240 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Nov 2021 · 1 min read मसीहा का इंतज़ार क्यों करें? अगर होना नहीं चाहते तुम बर्बाद और तो अपनाना ही होगा तुम्हें अंदाज़ और... (१) शायद इससे समाज की जड़ता थोड़ी टूटे इस देश में होना चाहिए एक इंकलाब और...... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 244 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Nov 2021 · 1 min read अघोषित आपातकाल में मैं तो झूठ को झूठ और सच को सच बोल रहा हूं कलम से सियासत की कुछ गांठें खोल रहा हूं... (१) मेरी तो कोशिश यही कि माहौल में घुटन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 163 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Nov 2021 · 1 min read भगतसिंह की समाधि पर जो जागे हुए होश के कारण क़ैद होकर भी आजाद रहा वह जिस्म से फना होकर भी हमारे दिलों में आबाद रहा... (१) मेरी ग़ज़लों और नज़्मों में बोला करता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 228 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Nov 2021 · 1 min read खूने-दिल की महक दुनियादारी के लफड़ों से मैं पूरी तरह बेगाना हुआ जब से होश संभाला मैंने घर मेरा किताब खाना हुआ... (१) किताबें पढ़ने के शौक ने आज कहीं का न छोड़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 387 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Nov 2021 · 1 min read मजाज़ लखनवी को समर्पित कोई ईनाम, कोई रूतबा, कोई ओहदा नहीं पाता क्योंकि वह गैरों की तरह राग दरबारी नहीं गाता... (१) सामने उसके अफसर हों या खुद ज़िल्ल-ए-इलाही वह अवाम का शायर है,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 251 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Nov 2021 · 1 min read तारीख़ का सबक़ हमारी ज़िंदगी और मौत जो अपने हाथ में रखना चाहते हैं! उन पागल तानाशाहों से हम एकदम साफ ये कहना चाहते हैं!! कि अवाम की ताक़त को वे इतना कम... Hindi · कविता 184 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Nov 2021 · 1 min read तानाशाहों का अंज़ाम सारे स्टालिन सारे माओ सारे हिटलर चले गए! वक़्त के तेज पहिए के नीचे सारे सिकंदर चले गए! इस अज़ीम कायनात के आगे तू क्या-तेरी औकात क्या! कितने चांद कितने... Hindi · कविता 175 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Nov 2021 · 1 min read बर्तोल ब्रैख्त को समर्पित शिक्षा गई, स्वास्थ्य गया! सुरक्षा गई, रोज़गार गया!! कुछ लूटेरों के हाथ में पूरे देश का बाज़ार गया!! कौन जीता-कौन हारा यह बात ही बेमानी हुई! भेड़ों की आपसी फूट... Hindi · कविता 144 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Nov 2021 · 1 min read जो घर फूंके अपना... सर कटाने का सौदा है बुल्ला या वारिस होना! आसान नहीं होता है मीर या ग़ालिब होना!! घर फूंक कर तमाशा देखना पड़ता है पहले तभी मयस्सर होता है फ़ैज़... Hindi · कविता 243 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Nov 2021 · 1 min read हबीब जालिब को समर्पित हम मूर्दों के गांव में हों तो केवल ज़िंदगी की बात करें जब होने लगे हों सभी ख़ुदा क्यों न आदमी की बात करें... (१) दीन और धरम का शोर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 129 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Nov 2021 · 1 min read अदम गोंडवी को समर्पित न ज़ुबान की वज़ह से न अंदाज़ की वज़ह से कुछ ख़ास हैं मेरी ग़ज़लें इंकलाब की वज़ह से... (१) आख़िर कौन-सा सिकंदर और कहां का सिकंदर मैं तो यूनान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 199 Share Previous Page 51 Next