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प्रेम चेतना सूक्ष्म की,
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बेसुरी खाँसी ....
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अनपढ़े ग्रन्थ ... ..
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आँधियों से क्या गिला .....
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जाय फिसल जब हाथ से,
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साँझ पृष्ठ पर है लिखा,
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बड़ी अजब है जिंदगी,
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अजब तमाशा जिंदगी,
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वक्त बुरा तो छोड़ती,
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रिश्तों में बुझता नहीं,
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धोखा देती है बहुत,
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अच्छी लगती झूठ की,
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अपनेपन की आड़ में,
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हंस भेस में आजकल,
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गोरे काले वर्ण पर,
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कैसे मंजर दिखा गया,
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वर्षा का तांडव हुआ,
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अस्त- व्यस्त जीवन हुआ,
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निर्मम बारिश ने किया,
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अविरल होती बारिशें,
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प्रिय सुधि पाठको, ये रचना मात्र रचना नहीं है एक ज्वलंत विचार
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ऐ आसमान ....
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मेरा नाम .... (क्षणिका)
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पाते हैं आशीष जो,
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जीवन में आशीष का,
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कठिन काल का काल है,
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दोहा दशम. . . . यथार्थ
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औरत.....
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खुली पलक में झूठ के,
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रंगों को मत दीजिए,
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दृष्टिहीन की दृष्टि में,
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कितनी सारी खुशियाँ हैं
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लघु रचना : दर्द
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छवि हिर्दय में सोई ....
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संकोची हर जीत का,
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दोहा एकादश ... राखी
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कामुक वहशी आजकल,
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कह्र ...
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सम्बन्धों की भीड़ में, अर्थ बना पहचान ।
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ठूँठ ......
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हो जाती है रात
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दोहा पंचक. . . . . विविध
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धड़कन हिन्दुस्तान की.........
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स्वतंत्रता दिवस पर ३ रचनाएं :
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अभिमानी इस जीव की,
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रक्त लिप्त कुर्बानियां,
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इस देश की ख़ातिर मिट जाऊं बस इतनी ..तमन्ना ..है दिल में l
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रंग तिरंगे के सभी , देते हैं आवाज ।
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बुझी नहीं है आज तक, आजादी की आग ।
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स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कुछ दोहे .....
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