अंजनीत निज्जर 262 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 अंजनीत निज्जर 12 Oct 2019 · 1 min read प्रेम परिभाषा मैंने प्रेम को अनुराग-विराग, आसक्ति-विरक्ति, मिलन-बिछोह से कहीं दूर बहुत दूर पाया मैंने देखा, मर्यादा के बंधनों में प्रेम व्यथित रहा देह की पीड़ा आत्मा की ग्लानि रही मैंने पाया... Hindi · कविता 3 2 279 Share अंजनीत निज्जर 11 Oct 2019 · 1 min read तुझे क्या चाहिए ज़िंदगी? तुझे क्या चाहिए ज़िंदगी? चंद लम्हे सुकून भरे दूर किसी हरयाले जंगल में जुगनूओं की टिमटिमाहट चांदनी रात में चाँदी सी फैली समुन्द्र की रेत झींगुर का गान हल्की सी... Hindi · कविता 3 3 511 Share अंजनीत निज्जर 11 Oct 2019 · 1 min read मैं, मैं ही हूँ मत समझो कि मैं कमतर हूं, शायद में सबसे बेहतर हूं। हां खुद को कभी साबित नहीं किया, जो किया अपनों के लिए किया। मुझ में भी भाव उमड़ते हैं,... Hindi · कविता 4 2 221 Share अंजनीत निज्जर 11 Oct 2019 · 1 min read तुम कुछ भी समझो मुझे तुम कुछ भी समझो मुझे,राधा मत समझना सर्वस्व लुटा कर भी केवल प्रियतमा कहलाऊंगी तुम कुछ भी समझो मुझे,लेकिन मैं सीता नहीं हूँ लाँछन सह जाऊँगी लेकिन अग्नि से अपनी... Hindi · कविता 4 4 534 Share अंजनीत निज्जर 11 Oct 2019 · 1 min read दुआ मांगते चलो दुआ मांगते चलो , हर किसी की ख़ुशी की दुआ मांगते चलो, देखो जो किसी राहगीर को तो उसकी मंजिल की दुआ मांगते चलो, देखो जो किसी किसी विद्यार्थी को... Hindi · कविता 3 2 422 Share अंजनीत निज्जर 11 Oct 2019 · 1 min read खामोशी कितनी परतें कितने तह हैं ना तुम्हारी आँखों में भी बातों में भी कि जैसे तुम तुम नहीं कोई और हो या फिर वो जिसे देखा था फिरते हुए सड़कों... Hindi · कविता 3 2 384 Share अंजनीत निज्जर 11 Oct 2019 · 1 min read मैं नारी हूं सब कुछ तो नहीं आता मुझे, पर थोड़ा-थोड़ा सब सीखा है। दक्ष नहीं हूं किसी काम में, थोड़ा-थोड़ा सब आता है। "अन्नपूर्णा" तो नहीं हूं, पर खाना बना लेती हूं।... Hindi · कविता 3 4 530 Share अंजनीत निज्जर 10 Oct 2019 · 1 min read क्या कठिन था ? दूर रह कर देख लिया तुमने, क्या ज्यादा कठिन था ? प्रेम या घृणा, संयोग या वियोग वियोग महज रस उत्तपति रही कठिनता का पर्याय तो प्रेम ही रहा कहाँ... Hindi · कविता 3 240 Share अंजनीत निज्जर 10 Oct 2019 · 1 min read कर्मठ कहाँ रुक पाता है, कर्मठ कहाँ रुक पाता है, कर्मठ कहाँ रुक पाता है, राह है काँटों भरी, नंगे पाओं है चलना , जानते हुए भी चलता जाता है , कर्मठ कहाँ रुक पाता... Hindi · कविता 3 257 Share अंजनीत निज्जर 9 Oct 2019 · 1 min read घर बिखर जाता है, घर बिखर जाता है, जब करने लगते है, दरकिनार छोटी छोटी खुशियों को, जब करने लगते है अनदेखा अपनों की भावनाओं को, जब करने लगते है मृगतृष्णाओं का पीछा, जब... Hindi · कविता 3 2 370 Share अंजनीत निज्जर 8 Oct 2019 · 1 min read ढूंढ़ने से भी नहीं मिलते,वो गुजरे पल ढूंढ़ने से भी नहीं मिलते,वो गुजरे पल, वो पुराने दोस्त कॉलेज के कैंटीन की चाय,वो दोस्तों की हाय-बाय, छोटी छोटी खुशियाँ मनाना, दिन त्यौहार पर हल्ला-गुल्ला शोर मचाना, रामलीला के... Hindi · कविता 5 2 343 Share अंजनीत निज्जर 8 Oct 2019 · 1 min read सड़क वो सड़क है जहाँ मोड़ है ढालान है आते जाते लोग हैं किनारों पर कहीं पेड़-पौधे कहीं घर-मकान हैं चलते हुए पाहिए हैं और मैं हूँ चलते हुए कदमों के... Hindi · कविता 3 238 Share Previous Page 6