Rajesh Kumar Kaurav 255 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 Rajesh Kumar Kaurav 23 Feb 2017 · 1 min read बेंटियों पर क्या लिखू बेंटियों पर क्या लिखूँ , लिख चुके हजारों लोग। दें दी सारी उपमा , कम पड़ा शब्दकोश। लिखनें को कुछ नही, पुछने मन करता है। ढ़ेर रचनाओं के वाद, क्यो... Hindi · कविता 352 Share Rajesh Kumar Kaurav 21 Feb 2017 · 1 min read पत्रकारिता ? पत्रकारिता हो रही बाजारू, कलम बिकती बाजार में। रसूदखोर प्रशंसा पाते, श्रेय मिलता अखवार में।। रीति युग का प्रचलन, हाबी ह़ोता दिख रहा। अधिकारि व नेताओं की, यश गाथा ही... Hindi · कविता 893 Share Rajesh Kumar Kaurav 5 Feb 2017 · 1 min read युग की पुकार कवि,स्वयं बना खलनायक, कविता लुटी वाजार में। कामुकता पर चली कलम, नारी के श्रृगांर में। सीता को दोषी ठहराया, क्यों अकेली कुटिया में। दुशासन की कर प्रशंसा, दोष द्रोपती पहनाव... Hindi · कविता 292 Share Rajesh Kumar Kaurav 2 Feb 2017 · 1 min read युग संदेश उठों पार्थ,संसय को छोडों, आगें बढ़ अब नाते जोडो़ं। शंखनाद कर सबें बुलाओं, स्वच्छता की बात बताओं। मिलजुल कर सबको है चलना, बाह्य शौंच मुक्त भारत को करना। गली गली... Hindi · कविता 226 Share Rajesh Kumar Kaurav 31 Jan 2017 · 1 min read भटकाव कोयल भटकी अपनी उडा़न में, जा पहुँची कौऔं के गाँव में। ड़री सहमी कुछ ब़ोल न पायी, कौओं ने समझा है बिरादरी का भाई। दुबला गया भूख प्यास उड़ान में,... Hindi · कविता 1 457 Share Previous Page 6