Paras Nath Jha 228 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 5 Paras Nath Jha 29 Jun 2023 · 1 min read पर्वत विपत्ति से कभी भी वीर नहीं केवल कायर ही घबराता है वीर तो इसे चुनौती मान कर भय को ही सदा दहलाता है नभ को छू लेने की जिद्द में... Hindi · कविता 106 Share Paras Nath Jha 28 Jun 2023 · 2 min read इमरजेंसी अपने देश में यह आपातकाल ही नहीं लोगों के अधिकारों का अपहरण था पूरे इक्कीस महीने तक सम्पूर्ण देश में आम आदमी का घुट-घुट कर मरन था विद्युत गति से... Hindi · कविता 1 1 100 Share Paras Nath Jha 27 Jun 2023 · 3 min read दुर्योधन की पीड़ा युग के किस काल खण्ड में किस व्योम तले किन किन गोदों में बचपन से मैं पला बढ़ा और विधाता ने किस घड़ी किन हाथों से भाग्य की लकीरों में... Hindi · कविता 1 123 Share Paras Nath Jha 26 Jun 2023 · 1 min read सपनों का शहर जिंदगी जीने की तलाश में भटकता है जब कोई स्वयं को घर से बहुत दूर भगा कर तब देता हूॅं विराम उनके व्यर्थ भटकन को उनकी जिजीविषा को मैं पुनः... Hindi · कविता 1 1 66 Share Paras Nath Jha 26 Jun 2023 · 1 min read हरियाली अब तप रहा है सूरज हमारा और जल रही हमारी धरती है तबे की तरह गर्म हमारे कमरों में गर्मी अपनी मनमानी करती है सड़कों पर वृक्षों की छाॅंव अब... Hindi · कविता 64 Share Paras Nath Jha 25 Jun 2023 · 1 min read कृत्रिम साैन्दर्य मन में है शोर चित पावन चित चोर संवेदित हो रहा है मेरा भी पोर पोर जा रही है कैसे इठलाती बलखाती कहाॅं से आई कौन है ये सुंदर नारी... Hindi · कविता 194 Share Paras Nath Jha 25 Jun 2023 · 1 min read संतान बस एक कदम तुम चलो और चलूॅं एक कदम मैं भी फिर दोनों मिलकर साथ चलेंगे तब कदम हमारे आगे बढ़ेंगे साथ मिलकर चलना ही तो जीवन का एक अभिन्न... Hindi · कविता 66 Share Paras Nath Jha 25 Jun 2023 · 1 min read पोषण मेला मुझे अब तक भी कहाॅं मालूम हुआ क्या ऐसा था इसका विशेष प्रयोजन क्यों ऐसे अचानक ही किया गया था पोषण मेला का यहाॅं पर आयोजन प्रखण्ड परिसर के नये... Hindi · कविता 105 Share Paras Nath Jha 25 Jun 2023 · 1 min read इस तरह कोई जाता है क्या ऐसा भी क्या हो गया था कि आपने अचानक ही जाने को जल्दी मचा दिया इस तरह से भी कभी अपनों को छोड़ कोई एक बारगी दूर देश में जाता... Hindi · कविता 95 Share Paras Nath Jha 24 Jun 2023 · 3 min read बीमार पत्नी की इच्छा मेरी तबीयत क्यों नहीं कभी भी पूरी तरह से ही पूरा खराब हो जाय कहीं भी दुर्घटना का शिकार होकर हाथ पैर दोनों टूट कर बेकार जाय मुझे कभी भी... Hindi · कविता 1 130 Share Paras Nath Jha 24 Jun 2023 · 1 min read अंधेरे में कब ही मर चुकी आत्मा की लज्जा सुख गया ऑंखों में पानी उम्र जब उपर चढ़ती गई तब कहाॅं रही कोठे की रानी बाजार में नई लड़कियों के आने से... Hindi · कविता 153 Share Paras Nath Jha 23 Jun 2023 · 1 min read राष्ट्रवाद इधर कुछ वर्षाें से फिर राष्ट्रवाद की भावना यहाॅं सब लोगों के दिलों में धीरे-धीरे घर करने लगी है देश हित की सारी बातें सब लोगों की जुबान पर अब... Hindi · कविता 223 Share Paras Nath Jha 22 Jun 2023 · 2 min read निर्वासन उन लाेगाें का वर्षाें से वहाँ रहना उन्हें अब बहुत ही खलने लगा था आतंक की भीषण आग में झूलस सम्पूर्ण कश्मीर ही जलने लगा था अपने इस दुर्भाग्य पर... Hindi · कविता 1 245 Share Paras Nath Jha 22 Jun 2023 · 1 min read मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल इस पृथ्वीलोक के सारे जीवों में मनुष्य जीवन है बड़ा अनमोल इसलिए कड़वी बोली कभी नहीं सबसे हमेशा मीठी बोली ही बोल अगर जीवन है तो मृत्यु भी है सच... Hindi · कविता 299 Share Paras Nath Jha 21 Jun 2023 · 1 min read सन्नाटा अब कितना बुरा लग रहा है यहाॅं पर सबकाे ये काला कहर क्यों पूरी तरह से ही बिल्कुल बेहाल हाे गया है ये सुंदर शहर इस शहर में चारों ओर... Hindi · कविता 146 Share Paras Nath Jha 20 Jun 2023 · 1 min read श्राप अभी भी विश्वास नहीं होता है शायद है विधि का यही विधान गांधारी के दिये श्राप का ही शायद है यह गंभीर परिणाम जिस तरह आज तुम्हारे कारण हस्तिनापुर हो... Hindi · कविता 177 Share Paras Nath Jha 20 Jun 2023 · 1 min read हर युग में श्री राम मुखौटा पहनने से ही कोई राम या काेई रावण नहीं होता सच में लोग वही है काटता जो हमेशा ही बोता। हर चेहरे के पीछे राम और रावण हमेशा से... Hindi · कविता 211 Share Paras Nath Jha 20 Jun 2023 · 1 min read शून्यता की ओर अगर भूल से कभी भी मन में आ जाता हो कोई उत्तम विचार और जाेर से बक बक करने को मन को करने लगे एकदम लाचार किसी हाल में भूलकर... Hindi · कविता 203 Share Paras Nath Jha 19 Jun 2023 · 1 min read संदेह भरी निगाहें कहते हैं कि कई शताब्दी बीत जाते हैं जीवन के असली रंग ढ़ंग को बदलने में वर्त्तमान सामाजिक परिवेश को भी एक नये प्रकार के अलग ही रुप में ढ़लने... Hindi · कविता 1 100 Share Paras Nath Jha 17 Jun 2023 · 2 min read जयद्रथ बध चक्रब्यूह में फंसे अभिमन्यु को आज कायरों ने घेर कर था मारा इसके अतिरिक्त कौरवों के पास उन्हें रोकने का नहीं कोई था चारा इन सब बातों से अनभिज्ञ अर्जुन... Hindi · कविता 228 Share Paras Nath Jha 15 Jun 2023 · 1 min read संजीवनी लाने चला हनुमान कैसा विधान है ये कैसी माया है आज शोक भगवन पर ही छाया है भाई लक्ष्मण गोद में मूर्क्षित है पड़ा चिन्ता में भगवन का शरीर है गड़ा लक्ष्मण बिना... Hindi · कविता 159 Share Paras Nath Jha 15 Jun 2023 · 2 min read घर का छत कैसे भूल सकता उस पल को अब मैं सीखा था जब अपने पैरों पर चलना आपकी अंगुली पकड़ कर साथ साथ चलते चलते लड़ख़ड़ा कर फिसलना बचपन में जब कभी... Hindi · कविता 345 Share Paras Nath Jha 14 Jun 2023 · 2 min read चक्रब्यूह मन में कहीं भी कोई संशय क्यों हो जब दाव पर लगी है कुल की लाज विजय मिले रण में या मिले पराजय लड़ने से अब वह नहीं आएगा बाज... Hindi · कविता 2 267 Share Paras Nath Jha 13 Jun 2023 · 1 min read हॅंसना हँसना भी एक अनाेखी ही कला है यह सबके वश की बात कहाँ है कुछ तो बिना किसी मतलब के भी जाेर से ठहाका मार कर हँसता रहता पर कुछ... Hindi · कविता 93 Share Paras Nath Jha 13 Jun 2023 · 1 min read सेवानिवृत्ति भोर में सूरज की किरणों को देख के क्या तुम अब नींद से जाग पाओगे ऑफिस जाने की जल्दी में क्या कभी तुम घर से भूखे प्यासे ही भाग पाओगे... Hindi · कविता 242 Share Paras Nath Jha 13 Jun 2023 · 1 min read मातृभूमि निर्भीक वीर खड़ा रणभूमि में जान की ही बाजी लगाने को मातृभूमि के टुकड़े टुकड़े को वापस अपने घर में लाने को अकिंचन वह भयभीत कहाॅं है आज शीश अपना... Hindi · कविता 238 Share Paras Nath Jha 12 Jun 2023 · 2 min read द्रोपदी की पुकार राज सभा में घोर सन्नाटा छाया है तो क्या हुआ बात इतनी है कि युधिष्ठिर छल से हारा है जुआ द्रोपदी को कटु भाषा का मूल्य अब चुकाना होगा आज... Hindi · कविता 354 Share Paras Nath Jha 11 Jun 2023 · 1 min read लक्ष्य अगर कठिन हो नदियों की प्रतिष्ठा पानी है अगर शिखर के मोह को तजना होगा पर्वत शिखर को छोड़ कर तुम्हें इस धरातल पर ही सजना होगा अंगारों के बीच में तप गल... Hindi 73 Share Previous Page 5