Manisha Manjari Tag: कविता 210 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 5 Manisha Manjari 5 Apr 2022 · 1 min read उन्हें आज वृद्धाश्रम छोड़ आये क्षणभंगुर् सी ये जिंदगी अपनी, नित्य नवीन चलचित्र दिखाये। कल सोये थे जिस आँचल में, उसे आज वृद्धाश्रम छोड़ आये। नये कोपलों के खिलने पे, एक वक्त जो थे मुस्कुराये।... Hindi · कविता 2 5 707 Share Manisha Manjari 4 Apr 2022 · 1 min read सम्मान की निर्वस्त्रता युग परिवर्तित हो चला, पर कुंठा अभी भी वही सताये। सत्य पराजित हो रहा, और असत्य सर्वत्र जीतता जाये। प्रकाशित हो रहा जग सारा, पर अंधेरे से कोई निकल ना... Hindi · कविता 3 2 429 Share Manisha Manjari 3 Apr 2022 · 1 min read जिंदगी जब भी भ्रम का जाल बिछाती है। जिंदगी जब भी भ्रम का जाल बिछाती है, इक चेहरे को अपने साथ ले आती है। अंधेरी रातों में तन्हाईयाँ सी छा जाती हैं, और जागती सुबहों में परछाईयोँ को... Hindi · कविता 2 2 603 Share Manisha Manjari 1 Apr 2022 · 1 min read यादों की साजिशें कतरा कतरा कर वो यादें डराती हैं। जब भी ये हवाऐं वेग में गाती हैं, वो हंसी झंकार सी गूँज जाती है। कभी कभी ये हवाऐं ठहर सी जाती हैं,... Hindi · कविता 1 2 665 Share Manisha Manjari 30 Mar 2022 · 1 min read संदर्भों की आर कल एक मुसाफ़िर गुजरा, मेरी राह से। तोल रहा था खुद को कृष्णा के, नाम से। उत्सुक हो पूछा मैंने, विश्वास से। कैसे हुआ ऊँचा तु सृष्टि के, नाथ से।... Hindi · कविता 1 446 Share Manisha Manjari 28 Mar 2022 · 1 min read वाक्यों के मध्य का मौन वाक्यों के मध्य का मौन सुना है, कभी उसमें एक चीख़ सी मौजुद होती है। इक साधारण से दृश्य के पीछे, भी पूरी पटकथा ससंवाद लिखी होती है। बहते रक्त... Hindi · कविता 1 259 Share Manisha Manjari 28 Mar 2022 · 1 min read शवदाह शवदाह करने आया वो, घाट में ग्लानि नहीं थी, उसे अपने-आप में। बचपन बिताया था, जिसकी छाँव में उसी को जलाने, आया वो गाँव में। साँसे जुड़ी थी कभी, जिसकी... Hindi · कविता 5 2 298 Share Manisha Manjari 26 Mar 2022 · 1 min read मन की भ्रांतियाँ मन की भ्रांतियाँ टूट चुकीं अब, कहने को कुछ बचा ना था। शब्द मौन हो चुके थे ऐसे, साँसों का भी पता ना था। फूल हो तुम मेरी बगिया की,... Hindi · कविता 1 2 246 Share Manisha Manjari 21 Mar 2022 · 1 min read एक संवाद ये अक्स कुछ याद दिलाता है, बीते दिनों से संवाद कराता है। चेहरा तो वही है पर, आँखों में स्याह उतर आता है। लहरों पे बढ़ती नाव को, पीछे छूटे... Hindi · कविता 3 4 333 Share Manisha Manjari 16 Mar 2022 · 1 min read इन्तज़ार कभी मैं भी एक घर हुआ करता था, जहां किलकारियों का मधुर स्वर हुआ करता था। जहां गिरते पड़ते कदमों ने चलना सीखा था। जहां बसते के भरे डब्बों पे... Hindi · कविता 5 6 375 Share Previous Page 5