Sanjay ' शून्य' Language: Hindi 209 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 5 Sanjay ' शून्य' 14 May 2023 · 1 min read स्वभाव अश्व न खाए मांस को, शेर न खाए घास। सबकी अपनी प्रकृति है, इसमें क्या उपहास।। कुछ ताड़ना से सुधरते, कुछ को चाहीए त्रास। कुछ लाठी के भूत है, कुछ... Poetry Writing Challenge · कविता 2 187 Share Sanjay ' शून्य' 14 May 2023 · 1 min read सावधानी हटी दुर्घटना घटी कहीं रावण, कहीं मारीच,सुपनखा न मिल जाए। कहीं बहरूपिया कोई, न तुमको ठग के ले जाए।। रखो तुम प्रश्न रूपी वाण, स्वयं चैतन्य तरकश में। लगे जब घाव तो मारीच,... Poetry Writing Challenge · कविता 1 211 Share Sanjay ' शून्य' 14 May 2023 · 1 min read प्रेम प्रेम के आदी है हमसब, मां प्रेम से ही पहचानी गई। प्रेम के कारण ही सुदामा और मीरा जगजानी भई।। प्रेम के कारण ही खाए थे, राम ने शबरी के... Poetry Writing Challenge · कविता 196 Share Sanjay ' शून्य' 14 May 2023 · 1 min read मतदान लो चल रहा है देश में नगर निकाय के चुनाव है। न पार्टियों की कमी यहां न नेता का अभाव है।। धरती है राम कृष्ण की शिव बुद्ध का प्रभाव... Poetry Writing Challenge · कविता 1 218 Share Sanjay ' शून्य' 14 May 2023 · 1 min read धोखा वीर कहां कब रोता है, सर्वदा मृत्यु संग सोता है। खुद खातिर नहीं चाहिए कुछ, वह राष्ट्र समर्पित होता है।। वह कठिन रास्ते चुनता है, तुम चुन लेते हो गद्दारों... Poetry Writing Challenge · कविता 155 Share Sanjay ' शून्य' 14 May 2023 · 1 min read धनमद अक्सर ऐसा हो जाता है, सहसा जब धन मिल जाता है। खुद को भगवान बताने को, वह सारे जुगत लगाता है।। फिर सत्य कहां करूणा कैसी, मानव गुण सब खा... Hindi · कविता 1 203 Share Sanjay ' शून्य' 14 May 2023 · 1 min read सहजता जीवन सहज सरल है, तुम बोझ न बढ़ाओ। बस राम नाम जपकर, आगे कदम बढ़ाओ।। बस राम नाम लेकर, हनुमत समुद्र लांघे। बिन राम नाम के तो, तुलसी थे बस... Hindi · कविता 1 233 Share Sanjay ' शून्य' 14 May 2023 · 1 min read सारा रा रा सात रंग हमने दिए विश्व हुआ सतरंगा। हरा रंग लेके भैया मुस्लिम हुआ पतिंगा....बोलो सारा रा रा सबके एक एक रूप है हमरा रूप अनूप। सफेद रंग को लेकर ईसाई... Hindi 1 431 Share Sanjay ' शून्य' 14 May 2023 · 1 min read हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा कहीं रावण, कहीं मारीच,सुपनखा न मिल जाए। कहीं बहरूपिया कोई, न तुमको ठग के ले जाए।। रखो तुम प्रश्न रूपी वाण, स्वयं चैतन्य तरकश में। लगे जब घाव तो मारीच,... Poetry Writing Challenge 1 451 Share Previous Page 5