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जो ना है देखे. साहित्य का हित l
अरविन्द व्यास
विरह बता तुझसे विरह, कब कैसे है होय l
अरविन्द व्यास
जन्मदिन से शुरू शुरू, उलटी गिनती मान l
अरविन्द व्यास
प्यास पहेली. चार वर्णों का नर l
अरविन्द व्यास
प्रीत सहज ही होत है, बस भोलों की रीत l
अरविन्द व्यास
विहग दड़बे में फसा, दुख देख छटपटाय l
अरविन्द व्यास
नैना से नैना मिले, मन पाने इतराय l
अरविन्द व्यास
शेर बुढा हो हो गिरे, गिद्ध चील हैं खाय ।
अरविन्द व्यास
बर्बाद व बर्बाद है, सच्चे सच्चे मित्र l
अरविन्द व्यास
जीवन में, घमंड है l
अरविन्द व्यास
बड़ा घमंड चढा चढ़ा, ना खरा माप दंड ।
अरविन्द व्यास
जो दिख जाती है, तेरी एक झलक l
अरविन्द व्यास
सबसे परम सत्य रिश्ता, बस मैया ll
अरविन्द व्यास
सडक समतल या पहाड़ी, सहज चलना हमें ही है l
अरविन्द व्यास
संदेश न, संदेह है, मिटे है, प्रीत देह l
अरविन्द व्यास
मिलन, सहज रोके कोरोना l
अरविन्द व्यास
कुछ जीवन पर वफा करदो l
अरविन्द व्यास
जो बिना भय, कूद जाता है l मुक्तक चौपाई
अरविन्द व्यास
वह क्यों है, जो नहीं है l
अरविन्द व्यास
दुख पर सोचो, दुख पाओगे l
अरविन्द व्यास
हारा तो, प्रीत है पाई l
अरविन्द व्यास
नहीं से ये दुनिया, नहीं बनी ।
अरविन्द व्यास
ये स्वर्ग और नरक पे, क्यों करता संदेह l
अरविन्द व्यास
उसके हुश्न में, एक खासी खासियत रहती है l
अरविन्द व्यास
वाह वाह, परवाह l
अरविन्द व्यास
प्रीत करके भी, हो अन्य l
अरविन्द व्यास
स्वर्ग में भी, चलती है l
अरविन्द व्यास
बुद्धी, जीवन, संतुष्ट नही l
अरविन्द व्यास
मुर्ख प्रलय कोप होते है l
अरविन्द व्यास
चमका देती, चकरा देती, चकमा देती l
अरविन्द व्यास
दशहरा की शुभ कामनाएं
अरविन्द व्यास
कितना भरम है, करता करम है l
अरविन्द व्यास
मुसीबतें सहज, सही सही सबक है l
अरविन्द व्यास
मोह क्रोध ओ वासना, लोभ, मद पाँच द्वेष l
अरविन्द व्यास
लैला, मजनू उपर गए,
अरविन्द व्यास
सोच में बस रखा रखा, सहज काम ही काम l
अरविन्द व्यास
प्रीत रीत में मदमस्त, लिए मस्त रस रंग l
अरविन्द व्यास
प्रीत लोगों ने, नाम दिया l
अरविन्द व्यास
मानव मन मन में महके, जो मानव मन मनाये l
अरविन्द व्यास
सहज सादगी में रहा l
अरविन्द व्यास
सुधार, उधार, होता जाता है l
अरविन्द व्यास
जो बिना भय, कूद जाता है l
अरविन्द व्यास
आशिक शायद, हो सके कायर l
अरविन्द व्यास
छलछदम, निकाले दम दम l
अरविन्द व्यास
सही होश में रह रह, होश दो l
अरविन्द व्यास
मिलन से, मिल मिल l
अरविन्द व्यास
मानवता झूठ है, अप्राकृतिक है l
अरविन्द व्यास
ओ री जवां मस्ती, चुस्ती, प्रीत बस्ती, प्रीत कश्ती l
अरविन्द व्यास
इन दुखों सुखों से गुजर, सहज सहज कर काम l
अरविन्द व्यास
४ क्षणिकाएं , एक पंक्तिय
अरविन्द व्यास