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ख़्वाबों में तुम भले डूब जाओ...
Ajit Kumar "Karn"
मासूम बच्चे बड़े हो जाते हैं...
Ajit Kumar "Karn"
आप तनाव में तनिक मत रहो,
Ajit Kumar "Karn"
हो कहीं न कहीं ग़लत रहा है,
Ajit Kumar "Karn"
ये ईश्वर की दया-दृष्टि ही तो है
Ajit Kumar "Karn"
समय जो चाहेगा वही होकर रहेगा...
Ajit Kumar "Karn"
किसी ने प्रेरित किया है मुझे
Ajit Kumar "Karn"
आज का ज़माना ही ऐसा है,
Ajit Kumar "Karn"
रहता है जिसका जैसा व्यवहार,
Ajit Kumar "Karn"
अन्याय के युग में जी रहे हैं हम सब,
Ajit Kumar "Karn"
सरकार का अन्यायपूर्ण रवैया बंद होना चाहिए।
Ajit Kumar "Karn"
ज़रूरत में ही पूछते हैं लोग,
Ajit Kumar "Karn"
ये ज़िंदगी भी अजीब है यारों!
Ajit Kumar "Karn"
आप थोड़ा-थोड़ा ही काम करें...
Ajit Kumar "Karn"
कोई ग़लती करे या सही...
Ajit Kumar "Karn"
आपके छोटे-छोटे मीठे आचार-व्यवहार,
Ajit Kumar "Karn"
कब किसी बात का अर्थ कोई,
Ajit Kumar "Karn"
कुछ लोग प्यार से भी इतराते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
इस दुनिया में कई तरह के लोग हैं!
Ajit Kumar "Karn"
दोस्त, दोस्त तब तक रहता है
Ajit Kumar "Karn"
रक्षा बंधन का पावन त्योहार जब आता है,
Ajit Kumar "Karn"
वियोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
Ajit Kumar "Karn"
हर जरूरी काम ढंग से होने चाहिए...
Ajit Kumar "Karn"
जब काम किसी का बिगड़ता है
Ajit Kumar "Karn"
इंसान बहुत सोच समझकर मुक़ाबला करता है!
Ajit Kumar "Karn"
कभी किसी की किसी से खूब बनती है,
Ajit Kumar "Karn"
आप विषय पर खूब मंथन करें...
Ajit Kumar "Karn"
ये जो मीठी सी यादें हैं...
Ajit Kumar "Karn"
यहाॅं हर इंसान मतलबी है,
Ajit Kumar "Karn"
जिस तन पे कभी तू मरता है...
Ajit Kumar "Karn"
तुम्हारे अंदर भी कई गुण होंगे,
Ajit Kumar "Karn"
कौन किसको पूछता है,
Ajit Kumar "Karn"
अनमोल जीवन के मर्म को तुम समझो...
Ajit Kumar "Karn"
स्वतंत्रता सही मायने में तभी सार्थक होगा....
Ajit Kumar "Karn"
बिगड़ी छोटी-छोटी सी बात है...
Ajit Kumar "Karn"
तू क्या जाने कितना प्यार करते हैं तुझसे...
Ajit Kumar "Karn"
अलविदा कह जाओगे जब दुनियां को...
Ajit Kumar "Karn"
जो घटनाएं घटित हो रही हैं...
Ajit Kumar "Karn"
ना जाने कब किस मोड़ पे क्या होगा,
Ajit Kumar "Karn"
किसी के प्रति बहुल प्रेम भी
Ajit Kumar "Karn"
हमें एक-दूसरे को परस्पर समझना होगा,
Ajit Kumar "Karn"
हम बस अपने कर्म कर रहे हैं...
Ajit Kumar "Karn"
हर मनुष्य के अंदर नेतृत्व की भावना होनी चाहिए।
Ajit Kumar "Karn"
इस ज़िंदगी के रंग कई होते हैं...
Ajit Kumar "Karn"
इंसान उसी वक़्त लगभग हार जाता है,
Ajit Kumar "Karn"
ना जाने ज़िंदगी में कई दाॅंव - पेंच होते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
सम्मान पाने के लिए सम्मान देना पड़ता है,
Ajit Kumar "Karn"
हम हिम्मत हार कर कैसे बैठ सकते हैं?
Ajit Kumar "Karn"
टुकड़ों-टुकड़ों में बॅंटी है दोस्ती...
Ajit Kumar "Karn"
दुनिया के चकाचौंध में मत पड़ो
Ajit Kumar "Karn"