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पत्थर जैसे दिल से दिल लगाना पड़ता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरी सुख़न-गोई बन गई है कलाम मेरा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ख़ुश-कलाम जबां आज़ के दौर में टिक पाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लोग कब पत्थर बन गए, पता नहीं चला,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वो तमन्नाएं भी ज़िद पे उतर आईं हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आशिक़ों को बेवफ़ाई मिली,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चराग़ों ने इन हवाओं को क्या समझ रखा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिस तौर भी कट रही वो ज़िंदगी तेरे नाम पर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वफ़ाओं ने मुझे लूट लिया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आँखें खोलूं तो सारा ज़माना नज़र आता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ये मत पूछो यारों, मेरी क्या कहानी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तू इतनी चुप जो हो गई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वफ़ा के ख़ज़ाने खोजने निकला था एक बेवफ़ा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जो अपनी ग़म-ए-उल्फ़त से गिला करते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जब एक लौ एक उम्मीद जला करती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रोज़ दरवाज़े खटखटाती है मेरी तन्हाइयां,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यूं वक्त लगता है ज़िंदगी को तन्हा गुजरने में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुछ ही देर लगती है, उम्र भर की यादें भुलाने में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्यार में पड़े किसी इंसान की दो प्रेमिकाएं होती हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यूं सजदे में सर झुका गई तमन्नाएं उसकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जो लोग टूट जाते हैं किसी से दिल लगाने से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
उलझाया रखा है तन्हाइयों ने इश्क़-ए-सफ़र में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तुझे हमने अपनी वफ़ाओं की हद में रखा हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चांद सूरज भी अपने उजालों पर ख़ूब इतराते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िंदगी का जंग
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
एक हिम्मत, एक उम्मीद जगानी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दूसरों के दिलों में अपना घर ढूंढ़ना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वो मुज़्दा भी एक नया ख़्वाब दिखाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुछ तो रम्ज़ है तेरी यादें ज़ेहन से नहीं जाती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तिरा चेहरा भी रुखसत हो रहा है जहन से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
संभालने को बहुत सी चीजें थीं मगर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
फुरसत के वो दिन भी बीत गए अब तो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हमारा ये जीवन भी एक अथाह समंदर है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दरवाज़े का पट खोल कोई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यूं जो कहने वाले लोग है ना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नाराज़गी जताई जा रही है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आज़ महका महका सा है सारा घर आंगन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तमाम उम्र अंधेरों में कटी थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जुदाई का प्रयोजन बस बिछड़ना ही नहीं होता,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पूरी ज़िंदगी भर तन्हा रहना एक जबरदस्त नशा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वक्त अपनी करवटें बदल रहा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िम्मेदारियों ने तन्हा कर दिया अपनों से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रंग बिरंगे फूलों से ज़िंदगी सजाई गई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आवारग़ी भी ज़रूरी है ज़िंदगी बसर करने को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़माने की ख़राबी न देखो अपनी आंखों से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तमीज़ और तहज़ीब यूं विरासत में मिले हैं मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यूं संघर्षों में पूरी ज़िंदगी बेरंग हो जाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
धड़कनों ने इबादत शुरु कर दी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरे टूटे हुए ख़्वाब आकर मुझसे सवाल करने लगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हर मोड़ पर कोई न कोई मिलता रहा है मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"