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" अनुभव " . समय के साथ जो एहसास कराता है
पूनम झा 'प्रथमा'
"अपने" कितने अपने :- ----------------------- कई अपनों को पराये होते देखा है हमने।
पूनम झा 'प्रथमा'
उनके सवालों पर मेरा जवाब चल रहा है दोस्तों। सवाल जवाब का यहाँ सैलाब चल रहा है दोस्तों।
उनके सवालों पर मेरा जवाब चल रहा है दोस्तों। सवाल जवाब का यहाँ सैलाब चल रहा है दोस्तों।
पूनम झा 'प्रथमा'
हे कृष्णा ...... * गोविन्द कहूं
हे कृष्णा ...... * गोविन्द कहूं
पूनम झा 'प्रथमा'
" तितली और नन्ही हथेली " ---------------------- अहा ! रंग बिरंगी तितलियाँ ।
पूनम झा 'प्रथमा'
हे मुरारि, जय राधे कृष्ण ,श्याम जपूं।
हे मुरारि, जय राधे कृष्ण ,श्याम जपूं।
पूनम झा 'प्रथमा'
क्यूं दिखती खुशी में कमी-सी है ? क्यूं आँखों में भी थोड़ी नमी-सी है ?
क्यूं दिखती खुशी में कमी-सी है ? क्यूं आँखों में भी थोड़ी नमी-सी है ?
पूनम झा 'प्रथमा'
आतंकित है बेईमान,जारी इस फरमान से। मुँह लटकाये गद्दार,चलते थे जो अभिमान से।
आतंकित है बेईमान,जारी इस फरमान से। मुँह लटकाये गद्दार,चलते थे जो अभिमान से।
पूनम झा 'प्रथमा'
सन्देश देती है दीपक
सन्देश देती है दीपक
पूनम झा 'प्रथमा'
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