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Page 3
लोगों को खुद की कमी दिखाई नहीं देती
लोगों को खुद की कमी दिखाई नहीं देती
Ajit Kumar "Karn"
कोई भी व्यक्ति अपने आप में परिपूर्ण नहीं है,
कोई भी व्यक्ति अपने आप में परिपूर्ण नहीं है,
Ajit Kumar "Karn"
होता है हर किसी को किसी बीती बात का मलाल,
होता है हर किसी को किसी बीती बात का मलाल,
Ajit Kumar "Karn"
"धन-दौलत" इंसान को इंसान से दूर करवाता है!
Ajit Kumar "Karn"
पहले आसमाॅं में उड़ता था...
पहले आसमाॅं में उड़ता था...
Ajit Kumar "Karn"
कभी-कभी इंसान थोड़ा मख़मूर हो जाता है!
कभी-कभी इंसान थोड़ा मख़मूर हो जाता है!
Ajit Kumar "Karn"
गर हो जाते कभी किसी घटना के शिकार,
गर हो जाते कभी किसी घटना के शिकार,
Ajit Kumar "Karn"
मेरी कलम आज बिल्कुल ही शांत है,
मेरी कलम आज बिल्कुल ही शांत है,
Ajit Kumar "Karn"
उम्मीद अगर बहुत ज़्यादा होती है
उम्मीद अगर बहुत ज़्यादा होती है
Ajit Kumar "Karn"
जीवन की आपाधापी में देखता हूॅं ,
जीवन की आपाधापी में देखता हूॅं ,
Ajit Kumar "Karn"
पारस्परिक सहयोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
पारस्परिक सहयोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
Ajit Kumar "Karn"
लम्बे सफ़र पर चलते-चलते ना जाने...
लम्बे सफ़र पर चलते-चलते ना जाने...
Ajit Kumar "Karn"
माता - पिता राह में चलना सिखाते हैं
माता - पिता राह में चलना सिखाते हैं
Ajit Kumar "Karn"
पैसे कमाने के लिए लोग नीचे तक गिर जाते हैं,
पैसे कमाने के लिए लोग नीचे तक गिर जाते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
पढ़ना-लिखना तो ज़रूरी है ही,
पढ़ना-लिखना तो ज़रूरी है ही,
Ajit Kumar "Karn"
जब तुम नहीं कुछ माॅंगते हो तो ज़िंदगी बहुत कुछ दे जाती है।
जब तुम नहीं कुछ माॅंगते हो तो ज़िंदगी बहुत कुछ दे जाती है।
Ajit Kumar "Karn"
मृदुभाषी व्यक्ति मीठे अपने बोल से
मृदुभाषी व्यक्ति मीठे अपने बोल से
Ajit Kumar "Karn"
जीवन की जटिलताओं को छोड़कर सरलता को अपनाना होगा।
जीवन की जटिलताओं को छोड़कर सरलता को अपनाना होगा।
Ajit Kumar "Karn"
समय-समय पर कई तरह के त्योहार आते हैं,
समय-समय पर कई तरह के त्योहार आते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
पढ़-लिखकर जो बड़ा बन जाते हैं,
पढ़-लिखकर जो बड़ा बन जाते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
जो धनी हैं वे धनी बनते जा रहे हैं,
जो धनी हैं वे धनी बनते जा रहे हैं,
Ajit Kumar "Karn"
पार्टी-साटी का यह युग है...
पार्टी-साटी का यह युग है...
Ajit Kumar "Karn"
पता नहीं किसी को कैसी चेतना कब आ जाए,
पता नहीं किसी को कैसी चेतना कब आ जाए,
Ajit Kumar "Karn"
खुद का मनोबल बढ़ा कर रखना पड़ता है
खुद का मनोबल बढ़ा कर रखना पड़ता है
Ajit Kumar "Karn"
औरत की दिलकश सी अदा होती है,
औरत की दिलकश सी अदा होती है,
Ajit Kumar "Karn"
पहली दफ़ा कुछ अशुद्धियाॅं रह सकती है।
पहली दफ़ा कुछ अशुद्धियाॅं रह सकती है।
Ajit Kumar "Karn"
कोई कमी जब होती है इंसान में...
कोई कमी जब होती है इंसान में...
Ajit Kumar "Karn"
आदमी की आदमी से दोस्ती तब तक ही सलामत रहती है,
आदमी की आदमी से दोस्ती तब तक ही सलामत रहती है,
Ajit Kumar "Karn"
ज़िंदगी की जंग जीतनी हो....
ज़िंदगी की जंग जीतनी हो....
Ajit Kumar "Karn"
सम्मान बचाने के लिए पैसा ख़र्च करना पड़ता है।
सम्मान बचाने के लिए पैसा ख़र्च करना पड़ता है।
Ajit Kumar "Karn"
आदमी कई दफ़ा झूठ बोलता है,
आदमी कई दफ़ा झूठ बोलता है,
Ajit Kumar "Karn"
तुम जो भी कर रहे हो....
तुम जो भी कर रहे हो....
Ajit Kumar "Karn"
मेरी कलम आग उगलेगी...
मेरी कलम आग उगलेगी...
Ajit Kumar "Karn"
मैंने यह जान लिया कि....
मैंने यह जान लिया कि....
Ajit Kumar "Karn"
नज़दीक आने के लिए दूर जाना ही होगा,
नज़दीक आने के लिए दूर जाना ही होगा,
Ajit Kumar "Karn"
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
Ajit Kumar "Karn"
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
Ajit Kumar "Karn"
आज के रिश्ते में पहले वाली बात नहीं रही!
आज के रिश्ते में पहले वाली बात नहीं रही!
Ajit Kumar "Karn"
सफ़र कोई अनजाना हो...
सफ़र कोई अनजाना हो...
Ajit Kumar "Karn"
मेहनत करने में जितना कष्ट होता है...
मेहनत करने में जितना कष्ट होता है...
Ajit Kumar "Karn"
औरत को बनाया तूने बहुत सोच-समझकर,
औरत को बनाया तूने बहुत सोच-समझकर,
Ajit Kumar "Karn"
मुझसे जो भी होता है वो मैं करता हूॅं!
मुझसे जो भी होता है वो मैं करता हूॅं!
Ajit Kumar "Karn"
ऐसे हालात क्यूॅं दिखाया तूने ईश्वर !
ऐसे हालात क्यूॅं दिखाया तूने ईश्वर !
Ajit Kumar "Karn"
खुशामद की राह छोड़कर,
खुशामद की राह छोड़कर,
Ajit Kumar "Karn"
खुशामद की राह छोड़कर,
खुशामद की राह छोड़कर,
Ajit Kumar "Karn"
सत्ता - सुख सबको अच्छा लगता है,
सत्ता - सुख सबको अच्छा लगता है,
Ajit Kumar "Karn"
हर काम की कोई-ना-कोई वज़ह होती है...
हर काम की कोई-ना-कोई वज़ह होती है...
Ajit Kumar "Karn"
माना इंसान अज्ञानता में ग़लती करता है,
माना इंसान अज्ञानता में ग़लती करता है,
Ajit Kumar "Karn"
औरों के लिए जो कोई बढ़ता है,
औरों के लिए जो कोई बढ़ता है,
Ajit Kumar "Karn"
सदैव मेहनत करके ही आगे बढ़ें,
सदैव मेहनत करके ही आगे बढ़ें,
Ajit Kumar "Karn"
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