विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 110 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 30 Apr 2020 · 1 min read दोहा खुद ही बनने को बड़ा, लम्बी लगी कतार। जो दिल रखे बड़ा नहीं, सभी जतन बेकार।।२।। Hindi · दोहा 1 249 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 30 Apr 2020 · 1 min read प्रेम गीत मैं तो रोगी हुआ जान तेरे प्यार में, अब आके खुद ही मेरा दवा कीजिए। तर-बतर हो गया है तन ये स्वेद से, अपने पल्लू से ठंडी हवा कीजिये। अभिलाषी... Hindi · गीत 1 527 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 30 Apr 2020 · 1 min read दिल लगाकर तो देखो 2122 2122 2122 212 यूँ न जाओ दूर अब तुम,दिल लगाकर तो देखो। इश्क़ सच्चा है ये मेरा , आजमाकर तो देखो। तुम क्यों रखती हो इतना अजब मुझसे फासला,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 475 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 30 Apr 2020 · 1 min read मजबूर मजदूर चले वे सहर में ही शहर के लिए। रखे संग भोजन दोपहर के लिए। तलाशे थे वे दिनभर न रोज़ी मिला- चले खाली ही हाथ वे घर के लिए। Hindi · मुक्तक 1 240 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 22 Apr 2020 · 1 min read मान के बदले मान भला है या बुरा कोई न हम पहचान पाते हैं। किसी के दिल में क्या है चोर कब ये जान पाते हैं। बहुत ही जाँचे-परखे तो हमें भी ये समझ... Hindi · मुक्तक 435 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 21 Apr 2020 · 1 min read दोहा होती है जग की यहीं , देख पुरानी रीत। हार के बाद ही मिले, खुशी भरा इक जीत।।१।। Hindi · दोहा 2 298 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 21 Apr 2020 · 1 min read योजनायें योजनायें भले बनी, देखो कई हजार। रहते हैं फिर भी अभी,गरीब बन लाचार। गरीब बन लाचार,उनकी न कोई सुनता। सभी बने बेदर्द, दुख कोई नहीं हरता। लाख करें वे जतन,... Hindi · कुण्डलिया 2 356 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 21 Apr 2020 · 1 min read मुक्तक चेहरे से ये पर्दा हटा दीजिये। क्या है आपके दिल में बता दीजिये। देखिये इधर अब शर्म को छोड़कर, प्यार है अगर मुझसे जता दीजिये। Hindi · मुक्तक 2 440 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 21 Apr 2020 · 1 min read एक ग़ज़ल एक ग़ज़ल (2122 1122 1122 22) प्यार में अब हम तो हद से गुज़र जायेंगे। गर मिली तू न हमें तो हम मर जायेंगे। एक तुम्हीं पर तो है ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 244 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 21 Apr 2020 · 1 min read हर काम को विशेष करो हर काम को विशेष करो मत बैठो बेकार यूँ ही किसी काम का श्रीगणेश करो, कोई काम न होता छोटा हर काम को विशेष करो। शुरुआत में होती है सबको... Hindi · कविता 4 243 Share Previous Page 3