सुखविंद्र सिंह मनसीरत Tag: कविता 1348 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Jan 2023 · 1 min read आन मिल जाओ सजना ****** आन मिल जाओ सजना ******** ********************************** दो कदम ही सही दौड़े चले आओ सजना, आये हैं तेरे दर पर आन मिल जाओ सजना। बेला चली आई है प्यारी प्रेम... Hindi · कविता 102 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Jan 2023 · 1 min read मैं औरत मेरा वजूद है कहाँ *मैं औरत मेरा वजूद हैं कहाँ* *********************** मैं औरत मेरा वजूद हैं कहाँ, थककर हारी देख सारा जहां। मायके से मैं ससुराल् आ गई, छोड़ बाबुल घर-बार आ गई ,... Hindi · कविता 74 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Jan 2023 · 1 min read अभी दो सांस बाकी है ***** अभी दो सांस बाकी हैं ***** ***************************** चलें आओ अभी दो सांस बाकी है, प्रेम की फंसी गले में फांस बाकी है। खुली कब से दोनों बाहें मेरी यूँ... Hindi · कविता 88 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Jan 2023 · 1 min read भाव दिल में थे न कभी घटे ** भाव दिल में थे न कभी घटे ** ************************** रात-भर बदलते रहे हम करवटें, बिस्तर पर पड़ी बहुत सी सिलवटें। पहली नजर की देखनी का सिला, देखते ही प्यारी... Hindi · कविता 176 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Jan 2023 · 1 min read बंद डायरी के पन्ने **** बंद डायरी के पन्ने **** *********************** झूठा था तू झूठ बोल गया, झूठे सारे बोल बोल गया। खिलौना जानकर खूब खेला, खेल खेल कर मुंह मोड़ गया। हर सुंदर... Hindi · कविता 125 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 5 Jan 2023 · 1 min read बाबुल मैं तेरे सिर की पगड़ी बाबुल मं तेरे सिर की पगड़ी ********************** बाबुल मै तेरे सिर की पगड़ी, पगड़ी का सम्मान बढ़ाऊंगी, तेरे ही तो आंगन की गुड़िया, हर हाल मैं फर्ज निभाऊंगी। तेरे सी... Hindi · कविता 86 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Jan 2023 · 1 min read बेटी मॉ की है परछाई **बेटी मां की है परछाईं** ********************* बेटी मारके से चली आई, ससुराल में आ कर समा्ई, दो घरों से वो आने वाली, होती हर घर में बेटी पराई। बिन बेटी... Hindi · कविता 125 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Jan 2023 · 1 min read सुनो सखी एक बात बताऊँ *सुनो सखी एक बात बताऊं* *********************** सुनो सखी एक बात बताऊँ, जन्म - जन्म तेरा साथ पाऊं। पत्ता-पत्ता डाली-डाली गवाह, हवा बन कर मै समा जाऊं। तितली सी तू फूलों... Hindi · कविता 130 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Jan 2023 · 1 min read चाँद सितारे झूठे हैं *** चाँद सितारें झूठें हैं *** ********************** सभी चाँद सितारें झूठे हैं, खाली दिल प्रेम के भूखे है। गैरों से उम्मीद क्या करनी, खुद अपने हम से रूठें हैं। पंछी... Hindi · कविता 89 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Jan 2023 · 1 min read सर्दी की छुट्टियां *** सर्दी की छुट्टियां *** ******************* हो गई सर्दी की छुट्टियां, मनाओ मौज मस्तियां। ठंड पड़ रही पुरजोर है, कांप रही बड़ी हस्तियां। गर्म रखो अपनी रजाई, लो चाय की... Hindi · कविता 96 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Jan 2023 · 1 min read आओ मिलकर नया साल मनाएं *आओ मिलकर नया साल मनाएं* *************************** आओ मिल कर नया साल मनाएं। गीत ख़ुशी के सभी मिल कर गाएं। शिकवे - शिकायतें भूल कर सारी, फिर से हम सभी एक... Hindi · कविता 89 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Dec 2022 · 1 min read रोशन सारी हवालात हुई *** रोशन सारी हवालात हुई**** ************************** ★ प्रियतम से थी आज बात हुई, रुक रुक कर जैसे बरसात हुई। झम - झम बरसा बदरा नभ से, दिन के बाद काली... Hindi · कविता 76 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Dec 2022 · 1 min read धरती पर ही रब हुआ ** धरती पर ही रब हुआ ** ********************** तू ही मेरा सब कुछ हुआ, धरती पर ही रब हुआ। मन मंदिर में है धर लिया, दिल में ही कब से... Hindi · कविता 106 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Dec 2022 · 1 min read हर प्रीत अवतरन दिवस **** हरप्रीत अवतरण दिवस **** **************************** अवतरण दिवस हरप्रीत का आया, गीत जन्म दिवस का सब ने गाया। माँ- बापू का बेटा बहुत है लाडला, खुशियों भरा दिन फिर से... Hindi · कविता 127 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Dec 2022 · 1 min read मिले दो चार यार पुराने मिले दो चार यार पुराने हैं ******************** मिले दो-चार यार पुराने हैं, याद आये गुज़रे जमाने हैं। भरा जो भावों का पिटारा, खुले बातों के तहखाने हैं। जाम से जाम... Hindi · कविता 1 72 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Dec 2022 · 1 min read उठ जाग मुसाफिर सुबह होने वाली है * उठ जाग मुसाफिर सुबह होने वाली है * ******************************** उठ जाग मुसाफिर सुबह होने वाली है, भीड़ बहुत संसार मे जगह खोने वाली है। हर कोई खोया है खुद... Hindi · कविता 72 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Dec 2022 · 1 min read प्रेम रोग मे हर कोई दिखता बीमार है प्रेम रोग मे हर कोई दिखता बीमार है ***************************** भावों की एकता से खिलता विचार है, नजरों की देखनी से मिलता दीदार हे। दिल की जुस्तजु कोई न् समझ पाया,... Hindi · कविता 65 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Dec 2022 · 1 min read मधुर मुलाकात ***** मधुर-मुलाकात **** ********************** सितारों से भरी बारात थी, चाँदनी से खिली वो रात थी। दर्द ए जुदाई अधूरी जुस्तजू, आँसओं की हुई बरसात थी। नयनों से नयन जब मिल... Hindi · कविता 66 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Dec 2022 · 1 min read तन मन के लोभी *तन-मन के लोभी* **************** यूँ सोचा न था कभी, होंगे हम प्रेम-रोगी। खड़े होंगे कतार में, हो कर बांवरें वैरागी। दर-दर ठोकरें खाई, बनकर रमता जोगी। ऐसी कौन-सी चीज, अभी... Hindi · कविता 1 75 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Dec 2022 · 1 min read सिंदूरी किरदार ***** सिंदूरी - किरदार **** *********************** चाहत मेरी बस है इतनी, तेरे गले का गलहार बनूँ। तन-मन की हो सुंदर बगिया, कंचन काया का शिंगार बनूँ। प्रिय तेरे ही जीवन... Hindi · कविता 77 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Dec 2022 · 1 min read काली जुल्फ़े समझा जाओ *काली जुल्फ़े समझा जाओ* *********************** बहक गया हूँ जीवन पथ पर, दो पल आकर समझा जाओ। घर-आंगन भी तो है मरझाया, बगिया प्यारी महका जाओ। गोरे - गोरे कोमल हाथों... Hindi · कविता 70 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Dec 2022 · 1 min read मधुर मिलन प्रेम सौगात *मधुर मिलन प्रेम-सौगात* ********************* रहते तो हो पिया तुम साथ, करती क्यों नही कोई बात। रूठे - रूठे तुम रहते हो, बता कौन है तम्हारे साथ। मुँह क्यो फेरा तुमने... Hindi · कविता 95 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Dec 2022 · 1 min read परिचित ******** परिचय ******** *********************** हाड मांस का हूँ एक टुकड़ा, मानुष रूप का सुंदर मुखड़ा। मानव - जाति ही पहचान मेरी, इंसानियत भरा दिल धड़का। मानवतावादी ही रहा धर्म मेरा,... Hindi · कविता 112 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Dec 2022 · 1 min read प्रेम रंग ******* प्रेम-रंग ******* ********************* खोया - खोया रहता साया, प्रेम रंग की कैसी माया। खोई - खोई रहती वो भी, क्या बीमारी जान न पाया। सौहार्द भँवर डूबे हम तुम,... Hindi · कविता 167 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Dec 2022 · 1 min read सजनी से खुलकर बात हुई सजनी से खुलकर बात हुई ********************* सजनी से खुलकर बात हुई, जैसे फूलों की बरसात हुई। यह बात नहीं थी ख्यालों में, बिन मांगे पूरी सौगात हुई। प्रथम प्यार कोई... Hindi · कविता 110 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Dec 2022 · 1 min read बारिश बनकर सावन की * बारिश बनकर सावन की * ********************** बारिश बन कर मैं सावन की, बंजर धरती पर बरसात करूँ। फूलों से हरा-भरा उपवन हो, भंवरा बनकर मैं रसपान करूँ। तन-मन प्यासा... Hindi · कविता 76 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Dec 2022 · 1 min read दिल झूम उठा ****** दिल झूम उठा ****** ************************ आया सन्देश दिल झूम उठा, है कौन से देश दिल झूम उठा। देखते रहते हर रोज खोल उसे, हुआ जब प्रवेश दिल झूम उठा।... Hindi · कविता 158 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Dec 2022 · 2 min read समझिए चालीस पार हुए समझिए चालीस पार हुए ********************* लटों से चाँदी झलक आए, कमर का कमरा बन जाए, समझिए चालीस पार हुए। मस्ती के दिन भी पार हए। आँखों पर चश्मा चढ़ जाए,... Hindi · कविता 74 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 17 Dec 2022 · 1 min read या तेरी मेरी यारी *** या तेरी मेरी यारी *** ******************** या तेरी मेरी सै इसी यारी, लागती न्यू जान से प्यारी। लम्बे रूट पाई जावेगी या, बीच महँ ना कोई सवारी। बिना रुकया... Hindi · कविता 75 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Dec 2022 · 1 min read यौवन से भरी कली सजदा सलाम करते हैं **यौवन से भरी कली सजदा सलाम करते हैं** ************************************ हर जन्म हो मेरी यही दुआ सुबह शाम करते हैं, कसम से आप पर हम तो जी जान से मरते हैं,... Hindi · कविता 113 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Dec 2022 · 1 min read परिवार ****** परिवार ****** ******************* सुंदर घर संसार है, सुखमय गर परिवार है। सुख -शांति-समृद्धि हो, जीवन का आधार है। सपनों से भरा घरौंदा, हर जन का सत्कार है। प्रेम -... Hindi · कविता 86 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Dec 2022 · 1 min read जीवन धारा ******* जीवन धारा ******* ************************ बहती रहे सदा जीवन धारा, गिरे न कभी जीवन का पारा। आएगा ये पल फिर न दुबारा, जी लो जी भर लम्हा सुनहरा। मस्ती नहीं... Hindi · कविता 200 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Dec 2022 · 1 min read इश्क ********* इश्क ********* *********************** ये इश्क छुपाये नहीं छुपता है, किसी के रोके नहीं रुकता है। दरिया की गहराई सा गहरा, अथाह सागर कम पड़ता है। लहर-लहर लहराए है जाता,... Hindi · कविता 95 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Dec 2022 · 1 min read भंवरा ************** भंवरा ************* ********************************* उपवन में खिली कली पर भंवरा मंडराए, सूंघ पुष्प की खुश्बू पल में भंवरा इतराए। कच्ची कली कचनार की कानन में देखी, देख-देख पागलपन में भंवरा... Hindi · कविता 202 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Dec 2022 · 1 min read जिंदगी से सदा लड़ता रहा हूँ * जिंदगी से सदा लड़ता रहा हूँ * ************************** जिन्दगी से सदा मैं लडता रहा हूँ, इसी में ही जीता - मरता रहा हूँ। प्रेम डाह ने तन मन को... Hindi · कविता 93 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 11 Dec 2022 · 1 min read दो बोल प्यार के **** दो बोल प्यार के **** ********************** बोलने से पहले सदा तोलो, फिर मुख मुखरित हो बोलो। यही बोल बढ़ाते सम्मान हैं, चिंतन कर सारे भेद खोलो। ये दिल तो... Hindi · कविता 250 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Dec 2022 · 1 min read समय सही पुराना है ** समय सही पुराना है ** ********************* बदल गया भई ज़माना है, समय सही वही पुराना है। बदल गए सभी रिश्ते-नाते, बिखर गया बड़ा घराना है। परत गया जुबां से... Hindi · कविता 79 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Dec 2022 · 1 min read हुई हरकी हिला हूँ ज़ोर से मैं तो हुई हरकत हिला हूँ जोर से मैं तो ************************** हुई हरकत हिला हूँ ज़ोर से मैं तो, खड़ा हूँ राह तेरी भोर से मैं तो। महकता तन-बदन तेरा उड़े खुश्बू,... Hindi · कविता 63 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Dec 2022 · 1 min read जब बेटा तुम कमाओगे **** जब बेटा तुम कमाओगे **** *************************** जब कभी बेटा तुम खुद कमाओगे, कमाई की कीमत जान जाओगे। कैसे पूरा करता है बाप मांगों को, दशा- व्यथा भरी कथा पढ़... Hindi · कविता 71 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Dec 2022 · 1 min read रुख्सार से यूँ न खेला करे ******** रुख्सार से यूँ न खेला करे *********** **************************************** कह दो ज़ुल्फ़ से दूर रहे,रुख्सार से यूँ न खेला करे। गोरे रंग पर रगड़ पड़े,चुपचाप हो कर न झेला करे।... Hindi · कविता 72 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Dec 2022 · 1 min read कुछ लूट जाट है *कुछ लूट जाते हैं तो कुछ लूट जाते हैं* ******************************* कुछ लुट जाते हैं तो कुछ लूट जाते हैं, कुछ फूल पाते हैं तो कुछ शूल पाते हैं। कुछ गरज... Hindi · कविता 79 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Dec 2022 · 1 min read आखिरी मुराद ***** आखिरी मुराद ***** ********************** खुश रहो तुम आबाद रहो, जहां में जहाँ जिंदाबाद रहो। मिलो भी नहीं कोई गम नहीं, बन कर सुखद तुम याद रहो। देखा तुम्हें हम... Hindi · कविता 51 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Dec 2022 · 1 min read प्रेम रूप साकार ***** प्रेम रूप साकार ***** ************************ ढाई अक्षरों का शब्द प्यार है, हो जाए तो बना दे लाचार है। मन ही मन हिलोरे खाती तरंगे, लहरों सी शीतल प्रेम फुहार... Hindi · कविता 134 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Dec 2022 · 1 min read आँखों से बरसते मोती ** ऑंखों से बरसते मोती ** ********************** आँखों से बरसते मोती हैं, दुख पीड़ा को जो धोती है। गैरों की गौर में जीने लगे, अपनों की गोद में रोती है।... Hindi · कविता 79 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Dec 2022 · 1 min read तपती रेत सा प्यार *** तपती रेत सा प्यार *** ********************* तपती रेत सा ही प्यार है, मिल जाए तो मजेदार है। मर्ज ए दिल की दवा नहीं, हौसला ही तो मददगार है। खो... Hindi · कविता 87 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Dec 2022 · 1 min read अपना अपना नसीब ***** अपना-अपना नसीब ***** *************************** कोई अमीर तो कोई गरीब है, सभी का अपना-अपना नसीब है। किसी को महल बंगले बहुत रंगले, कोई ढूंढता हो छत की तरकीब है। देखे... Hindi · कविता 65 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Dec 2022 · 1 min read खिल कर कली किधर को चली खिल कर कली किधर को चली ************************** बन कर कली है वो खिली, खिल कर कली किधर को चली। है महक महकाती मन विरही को, इधर-उधर जिधर भी हो मनचली।... Hindi · कविता 90 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Dec 2022 · 1 min read प्रीत पराई होती दुखदाई * प्रीत पराई होती दुखदाई * ********************** प्रीत - पराई होती दुखदाई, ठोकरें खाए बहुत हरजाई। देखूं निहारूं बन कर पपैया, कोई ना स मझे दर्द- जुदाई। हास्य पात्र बना... Hindi · कविता 76 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Dec 2022 · 1 min read ये दुनिया बहुत गोल है ** ये दुनिया बहुत गोल है ** ********************** ये दुनिया बहुत ही गोल है, करती रहती भाव - मोल है। बातों - बात बिगड़ती रहती, समझ से परे नाप -... Hindi · कविता 59 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Nov 2022 · 1 min read वासना के भर से प्रेम पात्र खाली है ?वासना के भार से प्रेम पात्र खाली है* ****************************** वासना के भार से प्रेम पात्र खाली है, प्यार के बिना अधूरी पड़ी थाली है। ढूंढती है नारी विश्वास अपने प्यार... Hindi · कविता 58 Share Previous Page 3 Next