Shekhar Chandra Mitra Tag: ग़ज़ल/गीतिका 115 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Shekhar Chandra Mitra 12 Nov 2021 · 1 min read जुल्मतों के दौर में अमीरों को और अमीर बनाया जा रहा है! गरीबों को और गरीब बनाया जा रहा है!! अपने चुनावी दौरे में किए हुए वादों को! बहुत ही अच्छे तरीके से निभाया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 149 Share Shekhar Chandra Mitra 8 Nov 2021 · 1 min read इश्क़ से इंकलाब तक जिस्म की हो या ज़ेहन की तुम तोड़ डालो हर ज़ंजीर! खोखली इबादत से नहीं, मेहनत से बनती तक़दीर!! सरकार भरोसे भारत का अब कुछ नहीं होने वाला नौजवानों को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 197 Share Shekhar Chandra Mitra 31 Oct 2021 · 1 min read आख़िरी निशानी कुछ दिन जवानी और रह गई है! थोड़ी-सी कहानी और रह गई है! सब कुछ दे दिया तन से मन तक आख़िरी निशानी और रह गई है! जो लिख सकता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 152 Share Shekhar Chandra Mitra 28 Oct 2021 · 1 min read हुक़ूमत को ललकारने वाला शायर तुम्हारे घावों को बड़े प्यार से सहला रहा है! तुम्हें मीठी-मीठी लोरियों से बहला रहा है!! बेरहमी से कत्ल करके भी तुम्हारे भविष्य का आज वह तुम्हारा मसीहा कहला रहा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 128 Share Shekhar Chandra Mitra 28 Oct 2021 · 1 min read सत्ता को चुनौती देने वाला कवि अंधेरा होने वाला अभी और घना है! हमारा मुस्तक़बिल बेहद डरावना है!! दुनिया में कहीं बदनामी न हो जाए उनका हाथ अवाम के लहू से सना है!! ज़िल्ल-ए-इलाही का फ़रमान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 191 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Aug 2021 · 1 min read कशमकश एक ख़लिश -सी दिल में है! शायर अब बिस्मिल में है!! यही नज़्म यही ग़ज़ल फिलहाल मेरे हासिल में है!! यह इश्क़ ही मसीह में है यह इश्क़ ही क़ातिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 196 Share Shekhar Chandra Mitra 4 Aug 2021 · 1 min read अंधकार युग हाल न पूछो फकीरों का खाना ख़राब कबीरों का... औने-पौने दामों में होता सौदा जमीरों का... सच को सूली मिलनी तय आया दौर वजीरों का... दरबारी कवियों के आगे कौन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 167 Share Shekhar Chandra Mitra 27 Jul 2021 · 1 min read रोमांटिक विद्रोही ई दुनिया जंगल लागेला ख़तरा में हर पल लागेला... जेतने चलीं हम ओतने धंसीं राह में दलदल लागेला... क्रांति के बस बात करेला ऊ कवनो पागल लागेला... धरती के डूबा... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका 243 Share Shekhar Chandra Mitra 16 Jul 2021 · 1 min read चले आते समझाने लोग चले आते समझाने लोग! अक्सर मुझे बचकाने लोग!! कुदरत की अनदेखी करके जाया करते बुतखाने लोग!! मेरे कैसे हो सकते भला जो खुद से ही बेगाने लोग!! मेरा पागलपन कहा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 301 Share Shekhar Chandra Mitra 16 Jul 2021 · 1 min read बहुत देर कर दी जब मुहब्बत थी तो दौलत नहीं अब दौलत है तो मुहब्बत नहीं! जब मुहब्बत थी तो शोहरत नहीं अब शोहरत है तो मुहब्बत नहीं!! जब मुहब्बत थी तो क़िस्मत नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 186 Share Shekhar Chandra Mitra 2 Jul 2021 · 1 min read भगतसिंह के ख़्वाब कुचल डालो रिवाजों को! बदल डालो समाजों को!! इस सड़ी-गली व्यवस्था के निकलने दो जनाजों को!! बुतों को बाहर फेंक कर घर में लाओ किताबों को!! गुनगुन करते हुए भौंरों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 220 Share Shekhar Chandra Mitra 16 Jun 2021 · 1 min read एक और इंकलाब लूट गया देश! मर गया देश!! पूरी तरह से सड़ गया देश!! अपनों की कररतूतों पर मारे शरम के गड़ गया देश!! सारी दुनिया सोच रही किसके हाथ में पड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 210 Share Shekhar Chandra Mitra 15 Jun 2021 · 1 min read आदि विद्रोही नौजवानों का विद्रोही व्यवहार होना चाहिए जीना है तो मरने को तैयार होना चाहिए। ( १) कोई लाश नहीं हम कि लहरों में डोला करें अब आर होना चाहिए या... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 255 Share Shekhar Chandra Mitra 15 Jun 2021 · 1 min read भगतसिंह की देन तू तो निभा गया अपना हर फर्ज भगत सिंह! कैसे चुकाएंगे हम तेरा कर्ज, भगत सिंह! तू मूर्दों की बस्ती में था एक मर्द, भगत सिंह कैसे चुकाएंगे हम तेरा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 259 Share Shekhar Chandra Mitra 15 Jun 2021 · 1 min read एक और इंकलाब ? सदियों पुराने जुल्म का हिसाब इंकलाब है चाहे कोई सवाल हो जवाब इंकलाब है... सरदार भगतसिंह और भीमराव अंबेडकर जिसके लिए फना हुए वो ख़्वाब इंकलाब है... तख्त और... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 269 Share Previous Page 3