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रुख़ से पर्दा जरा हटा दे अब।
पंकज परिंदा
बे सबब तिश्नगी.., कहाँ जाऊँ..?
पंकज परिंदा
चाँद यूँ ही नहीं छुपा होगा।
पंकज परिंदा
म्यान में ही, रहने दो, शमशीर को,
पंकज परिंदा
मस्अला क्या है, ये लड़ाई क्यूँ.?
पंकज परिंदा
क्यों मूँछों पर ताव परिंदे.!
पंकज परिंदा
ज्ञान रहे सब पेल परिंदे,
पंकज परिंदा
इन हवाओं को न जाने क्या हुआ।
पंकज परिंदा
बहता जल कल कल कल...!
पंकज परिंदा
हाल हुआ बेहाल परिदे..!
पंकज परिंदा
जन्म जला सा हूँ शायद..!!
पंकज परिंदा
बाहर मीठे बोल परिंदे..!
पंकज परिंदा
जीवन...!!
पंकज परिंदा
फूल सी खुश्बू लुटातीं बेटियां
पंकज परिंदा
इश्क़ में क्या अज़ाब है साहिब,
पंकज परिंदा
ज़ख्म फूलों से खा के बैठे हैं..!
पंकज परिंदा
राधा/किशोर छंद...!
पंकज परिंदा
प्रिये..!!
पंकज परिंदा
मन्दिर, मस्ज़िद धूप छनी है..!
पंकज परिंदा
जोर लगा के हइसा..!
पंकज परिंदा
बिन मौसम.., बरसे हम।
पंकज परिंदा
लहज़ा रख कर नर्म परिंदे..!!
पंकज परिंदा
सोना बन..., रे आलू..!
पंकज परिंदा
एक उलझी किताब है जीवन
पंकज परिंदा
यूँ न फेंको गुलाल.. रहने दो.!
पंकज परिंदा
जब जब हमको याद करोगे..!
पंकज परिंदा
मैं बेबस सा एक "परिंदा"
पंकज परिंदा
श्रृगार छंद - मात्रिक
पंकज परिंदा
हर मुश्किल का हल निकलेगा..!
पंकज परिंदा
आजकल कुछ सुधार है प्यारे..?
पंकज परिंदा
बग़ावत की लहर कैसे..?
पंकज परिंदा
अँखियाँ प्यासी हरि दर्शन को अब काहे की देर।
पंकज परिंदा
"माँ" सम्पूर्ण विज्ञान
पंकज परिंदा
"वक़्त की मार"
पंकज परिंदा
शून्य सा अवशेष मैं....!
पंकज परिंदा
भगवन तेरे भारत में ये, कैसी विपदा आई है....!
पंकज परिंदा
कुण्डलियाँ छंद
पंकज परिंदा
कुण्डलियाँ छंद
पंकज परिंदा
कुछ अश्आर...
पंकज परिंदा
गर्दिशों में हैं सितारे.....!!
पंकज परिंदा
सर्द पूनम का मुझे सपना सुहाना याद है...!
पंकज परिंदा
हम अकेले अनमने से हो गये.....!!
पंकज परिंदा
आसमां में चाँद छुपकर रो रहा है क्यूँ भला..?
पंकज परिंदा
वंदना
पंकज परिंदा
आदमी
पंकज परिंदा
आग जो रूह को जलाती है...
पंकज परिंदा
मुक्तक
पंकज परिंदा
मुक्तक
पंकज परिंदा
मुक्तक
पंकज परिंदा
मुक्तक
पंकज परिंदा