मदन मोहन सक्सेना 176 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next मदन मोहन सक्सेना 11 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल ( सच्चा झूठा) ग़ज़ल ( सच्चा झूठा) क्या सच्चा है क्या है झूठा अंतर करना नामुमकिन है हमने खुद को पाया है बस खुदगर्जी के घेरे में एक जमी वख्शी थी कुदरत ने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 450 Share मदन मोहन सक्सेना 11 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल(मन करता है) ग़ज़ल(मन करता है) लल्लू पंजू पप्पू फेंकू रबड़ी को अब देख देख कर अब मेरा भी राजनीती में मन आने को करता है सच्ची बातें खरी खरी अब किसको अच्छी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 245 Share मदन मोहन सक्सेना 11 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल( ऐतबार) ग़ज़ल( ऐतबार) जालिम लगी दुनिया हमें हर शख्श बेगाना लगा हर पल हमें धोखे मिले अपने ही ऐतबार से नफरत से की गयी चोट से हर जखम हमने सह लिया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 287 Share मदन मोहन सक्सेना 11 Jul 2016 · 1 min read गज़ल (बोल) गज़ल (बोल) उसे हम बोल क्या बोलें जो दिल को दर्द दे जाये सुकूं दे चैन दे दिल को , उसी को बोल बोलेंगें जीवन के सफ़र में जो मुसीबत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 258 Share मदन मोहन सक्सेना 12 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (मौका) ग़ज़ल (मौका) गजब दुनिया बनाई है, गजब हैं लोग दुनिया के मुलायम मलमली बिस्तर में अक्सर बह नहीं सोते यहाँ हर रोज सपने क्यों, दम अपना तोड़ देते हैं नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 241 Share मदन मोहन सक्सेना 12 Jul 2016 · 1 min read गज़ल ( सेक्युलर कम्युनल ) गज़ल ( सेक्युलर कम्युनल ) जब से बेटे जबान हो गए मुश्किल में क्यों प्राण हो गए किस्से सुन सुन के संतों के भगवन भी हैरान हो गए आ धमके... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 359 Share मदन मोहन सक्सेना 12 Jul 2016 · 1 min read गज़ल (खेल जिंदगी) गज़ल (खेल जिंदगी) दिल के पास है लेकिन निगाहों से बह ओझल हैं क्यों असुओं से भिगोने का है खेल जिंदगी। जिनके साथ रहना हैं ,नहीं मिलते क्यों दिल उनसे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 226 Share मदन मोहन सक्सेना 12 Jul 2016 · 1 min read गज़ल (बहुत मुश्किल ) गज़ल (बहुत मुश्किल ) अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल ख्वाबों और यादों की गली में उम्र गुजारी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 268 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल( ये कल की बात है ) ग़ज़ल( ये कल की बात है ) उनको तो हमसे प्यार है ये कल की बात है कायम ये ऐतबार था ये कल की बात है जब से मिली नज़र... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 420 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (हार-जीत) ग़ज़ल (हार-जीत) पाने को आतुर रहतें हैं खोने को तैयार नहीं है जिम्मेदारी ने मुहँ मोड़ा ,सुबिधाओं की जीत हो रही साझा करने को ना मिलता , अपने गम में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 355 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read गज़ल ( आगमन नए दौर ) गज़ल ( आगमन नए दौर ) आगमन नए दौर का आप जिसको कह रहे बह सेक्स की रंगीनियों की पैर में जंजीर है सुन चुके है बहुत किस्से वीरता पुरुषार्थ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 457 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read गज़ल (मेरे हमसफ़र ) गज़ल (मेरे हमसफ़र ) मेरे हमनसी मेरे हमसफ़र ,तुझे खोजती है मेरी नजर तुम्हें हो ख़बर की न हो ख़बर ,मुझे सिर्फ तेरी तलाश है मेरे साथ तेरा प्यार है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 284 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (इनायत) ग़ज़ल (इनायत) दुनिया बालों की हम पर जब से इनायत हो गयी उस रोज से अपनी जख्म खाने की आदत हो गयी शोहरत की बुलंदी में ,न खुद से हम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 488 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read गज़ल ( बात अपने दिल की ) गज़ल ( बात अपने दिल की ) सोचकर हैरान हैं हम , क्या हमें अब हो गया है चैन अब दिल को नहीं है ,नींद क्यों आती नहीं है बादियों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 473 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read गज़ल (ख्बाब) गज़ल (ख्बाब) ख्बाब था मेहनत के बल पर , हम बदल डालेंगे किस्मत ख्बाब केवल ख्बाब बनकर, अब हमारे रह गए हैं कामचोरी, धूर्तता, चमचागिरी का अब चलन है बेअरथ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 416 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read गज़ल (बात करते हैं ) गज़ल (बात करते हैं ) सजाए मौत का तोहफा हमने पा लिया जिनसे ना जाने क्यों बो अब हमसे कफ़न उधार दिलाने की बात करते हैं हुए दुनिया से बेगाने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 503 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (चार पल) ग़ज़ल (चार पल) प्यार की हर बात से महरूम हो गए आज हम दर्द की खुशबु भी देखो आ रही है फूल से दर्द का तोहफा मिला हमको दोस्ती के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 293 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (मेरे मालिक मेरे मौला ) ग़ज़ल (मेरे मालिक मेरे मौला ) मेरे मालिक मेरे मौला ये क्या दुनिया बनाई है किसी के पास खाने को मगर बह खा नहीं पाये तेरी दुनियां में कुछ बंदें,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 244 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read गज़ल (कुदरत) गज़ल (कुदरत) क्या सच्चा है क्या है झूठा अंतर करना नामुमकिन है. हमने खुद को पाया है बस खुदगर्जी के घेरे में .. एक जमी बक्शी थी कुदरत ने हमको... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 426 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल(ये किसकी दुआ है ) ग़ज़ल(ये किसकी दुआ है ) मैं रोता भला था , हँसाया मुझे क्यों शरारत है किसकी , ये किसकी दुआ है मुझे यार नफ़रत से डर ना लगा है प्यार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 269 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read तुम्हारा तुम जानो तुम्हारा तुम जानो जहां तक मेरा सवाल है हर रात्रि सोने से पहले और हर सुबह उठने से पहले तुम्हारा ख्याल जेहन में आ जाता है। हर समय ये ख्याल... Hindi · कविता 316 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read मुक्तक (जान) मुक्तक (जान) ये जान जान कर जान गया ,ये जान तो मेरी जान नहीं जिस जान के खातिर जान है ये, इसमें उस जैसी शान नहीं जब जान वह मेरी... Hindi · मुक्तक 567 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Jul 2016 · 1 min read मुक्तक(अमाबस की अंधेरी में ज्यों चाँद निकल आया है ) तुम्हारा साथ ही मुझको करता मजबूर जीने को तुम्हारे बिन अधूरे हम बिबश हैं जहर पीने को तुम्हारा साथ पाकर के दिल ने ये ही पाया है अमाबस की अंधेरी... Hindi · मुक्तक 550 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Jul 2016 · 1 min read गज़ल (ये कैसा परिवार) गज़ल (ये कैसा परिवार) मेरे जिस टुकड़े को दो पल की दूरी बहुत सताती थी जीवन के चौथेपन में अब ,वह सात समन्दर पार हुआ रिश्तें नातें -प्यार की बातें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 294 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (अब समाचार ब्यापार हो गए ) ग़ज़ल (अब समाचार ब्यापार हो गए ) किसकी बातें सच्ची जानें अब समाचार ब्यापार हो गए पैसा जब से हाथ से फिसला दूर नाते रिश्ते दार हो गए जिटल डिजिटल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 270 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (आज के हालात ) ग़ज़ल (आज के हालात ) आज के हालात में किस किस से हम शिकवा करें हो रही अपनों से क्यों आज यारों जंग है खून भी पानी की माफिक बिक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 234 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (ये जीबन यार ऐसा ही ) ग़ज़ल (ये जीबन यार ऐसा ही ) ये जीबन यार ऐसा ही ,ये दुनियाँ यार ऐसी ही संभालों यार कितना भी आखिर छूट जाना है सभी बेचैन रहतें हैं ,क्यों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 314 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (मुसीबत यार अच्छी है) मुसीबत यार अच्छी है पता तो यार चलता है कैसे कौन कब कितना, रंग अपना बदलता है किसकी कुर्बानी को किसने याद रक्खा है दुनिया में जलता तेल और बाती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 388 Share मदन मोहन सक्सेना 15 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (लाचारी ) ग़ज़ल (लाचारी ) कुछ इस तरह से हमने अपनी जिंदगी गुजारी है जीने की तमन्ना है न मौत हमको प्यारी है लाचारी का दामन आज हमने थाम रक्खा है उनसे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 300 Share मदन मोहन सक्सेना 15 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल ( खुद से अनजान) ग़ज़ल ( खुद से अनजान) जानकर अपना तुम्हे हम हो गए अनजान खुद से दर्द है क्यों अब तलक अपना हमें माना नहीं नहीं है अब सुबह से शाम तक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 348 Share मदन मोहन सक्सेना 15 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (आये भी अकेले थे और जाना भी अकेला है) पैसोँ की ललक देखो दिन कैसे दिखाती है उधर माँ बाप तन्हा हैं इधर बेटा अकेला है रुपये पैसोँ की कीमत को वह ही जान सकता है बचपन में गरीवी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 311 Share मदन मोहन सक्सेना 15 Jul 2016 · 1 min read जिस गली जिस शहर में चला सीखना , दर्द उसके मिटाने भी जाया करो दूर रह कर हमेशा हुए फासले ,चाहें रिश्तें कितने क़रीबी क्यों ना हों कर लिए बहुत काम लेन देन के ,विन मतलब कभी तो जाया करो पद पैसे की इच्छा... Hindi · गीत 264 Share मदन मोहन सक्सेना 15 Jul 2016 · 1 min read अनोखा प्यार का बंधन अर्पण आज तुमको हैं जीवन भर की सब खुशियाँ पल भर भी न तुम हमसे जीवन में जुदा होना रहना तुम सदा मेरे दिल में दिल में ही खुदा बनकर... Hindi · गीत 577 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Jul 2016 · 1 min read शरण में आया तेरी राम जी शरण में आया तेरी राम जी संग मेरे घूमते थे, संग मेरे खाते करते थे, मुझसे वे बड़ी बड़ी बातें दुर्दिन में मेरे वो ,आये नहीं काम जी अब तो... Hindi · कविता 278 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Jul 2016 · 1 min read मेरी नजर (मुक्तक) मेरी नजर भटक रही थी मेरी नजर जिस हमसफ़र की तलाश में मैं जी रहा था अब तलक जिस खूब सूरत आस में देखा तुम्हें नजरें मिली मानों प्यार मेरा... Hindi · मुक्तक 296 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Jul 2016 · 1 min read मुक्तक (जान) मुक्तक (जान) ये जान जान कर जान गया ,ये जान तो मेरी जान नहीं जिस जान के खातिर जान है ये, इसमें उस जैसी शान नहीं जब जान वह मेरी... Hindi · मुक्तक 478 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Jul 2016 · 1 min read परायी दुनिया परायी दुनिया अपना दिल जब ये पूछें की दिलकश क्यों नज़ारे हैं परायी लगती दुनिया में बह लगते क्यों हमारे हैं ना उनसे तुम अलग रहना ,मैं कहता अपने दिल... Hindi · गीत 588 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Jul 2016 · 1 min read खुशबुओं की बस्ती खुशबुओं की बस्ती खुशबुओं की बस्ती में रहता प्यार मेरा है आज प्यारे प्यारे सपनो ने आकर के मुझको घेरा है उनकी सूरत का आँखों में हर पल हुआ यूँ... Hindi · गीत 507 Share मदन मोहन सक्सेना 21 Jul 2016 · 2 min read (कल की ही बात है) कल की ही बात है जब से मैंने गाँव क्या छोड़ा शहर में ठिकाना खोजा पता नहीं आजकल हर कोई मुझसे आँख मिचौली का खेल क्यों खेला करता है जिसकी... Hindi · कविता 558 Share मदन मोहन सक्सेना 22 Jul 2016 · 1 min read चाहें दौलत हो ना हो कि पास अपने प्यार हो हे रब किसी से छीन कर मुझको ख़ुशी ना दीजिये जो दूसरों को बख्शी को बो जिंदगी ना दीजिये तन दिया है मन दिया है और जीवन दे दिया प्रभु... Hindi · कविता 271 Share मदन मोहन सक्सेना 25 Jul 2016 · 1 min read सांसों के जनाजें को तो सव ने जिंदगी जाना देखा जब नहीं उनको और हमने गीत ना गाया जमाना हमसे ये बोला की फागुन क्यों नहीं आया फागुन गुम हुआ कैसे ,क्या तुमको कुछ चला मालूम कहा हमने ज़माने... Hindi · गीत 2 494 Share मदन मोहन सक्सेना 27 Jul 2016 · 1 min read देकर दुआएँ आज फिर हम पर सितम वो कर गए हम आज तक खामोश हैं और वो भी कुछ कहते नहीं दर्द के नग्मों में हक़ बस मेरा नजर आता है देकर दुआएँ आज फिर हम पर सितम वो कर... Hindi · कविता 569 Share मदन मोहन सक्सेना 28 Jul 2016 · 1 min read आज हम फिर बँट गए ज्यों गड्डियां हो तास की नरक की अंतिम जमीं तक गिर चुके हैं आज जो नापने को कह रहे , हमसे बह दूरियाँ आकाश की आज हम महफूज है क्यों दुश्मनों के बीच में आती... Hindi · कविता 227 Share मदन मोहन सक्सेना 2 Aug 2016 · 1 min read मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -२ , अंक ११ ,अगस्त २०१६ में प्रकाशित प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -२ , अंक ११ ,अगस्त २०१६ में प्रकाशित हुयी है . आप भी अपनी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 237 Share मदन मोहन सक्सेना 4 Aug 2016 · 1 min read कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल ख्वाबों और यादों की गली में उम्र गुजारी है समय के साथ... Hindi · कविता 274 Share मदन मोहन सक्सेना 8 Aug 2016 · 1 min read अरमानो के मेले में जब ख्बाबों के महल टूटे सजा क्या खूब मिलती है किसी से दिल लगाने की तन्हाई की महफ़िल में आदत हो गयी गाने की हर पल याद रहती है निगाहों में बसी सूरत तमन्ना अपनी... Hindi · कविता 307 Share मदन मोहन सक्सेना 9 Aug 2016 · 3 min read आ गया राखी का पर्ब राखी का त्यौहार आ ही गया ,इस त्यौहार को मनाने के लिए या कहिये की मुनाफा कमाने के लिए समाज के सभी बर्गों ने कमर कस ली है। हिन्दुस्थान में... Hindi · लेख 517 Share मदन मोहन सक्सेना 12 Aug 2016 · 1 min read ग़ज़ल (गज़ब हैं रंग जीबन के) ग़ज़ल (गज़ब हैं रंग जीबन के) गज़ब हैं रंग जीबन के गजब किस्से लगा करते जबानी जब कदम चूमे बचपन छूट जाता है बंगला ,कार, ओहदे को पाने के ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 284 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Aug 2016 · 3 min read राखी रक्षा बंधन और रिश्तें राखी का त्यौहार आ ही गया ,इस त्यौहार को मनाने के लिए या कहिये की मुनाफा कमाने के लिए समाज के सभी बर्गों ने कमर कस ली है। हिन्दुस्थान में... Hindi · लेख 1 480 Share मदन मोहन सक्सेना 22 Aug 2016 · 1 min read ग़ज़ल( समय से कौन जीता है समय ने खेल खेले हैं) ग़ज़ल( समय से कौन जीता है समय ने खेल खेले हैं) अपनी जिंदगी गुजारी है ख्बाबों के ही सायें में ख्बाबों में तो अरमानों के जाने कितने मेले हैं भुला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 336 Share Previous Page 2 Next