Godambari Negi Language: Hindi 111 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Godambari Negi 8 Jul 2022 · 1 min read 'बदला जग मौसम भी बदला' बदला जग बदला पल-पल, बदला मौसम करता है छल। रिस गई सावन की रिमझिम, बुझी लगे जुगुनू की टिम-टिम। कहाँ ढल गई डाल नीम की, वो झूले वो उड़ान पींग... Hindi 2 2 515 Share Godambari Negi 7 Jul 2022 · 1 min read 'बादल' (जलहरण घनाक्षरी) मेघ की बारात चली, गगन में गली गली, दिनकर दिखे नहीं, धूप जाने है किधर। दामिनी लपक चले, चाल वो चपल चले, काली घटा मुख ढले, डोल रहा जलधर। मयूर... Hindi · कविता 1 2 527 Share Godambari Negi 6 Jul 2022 · 1 min read 'नटखट नटवर'(डमरू घनाक्षरी) 1- मुख मुदित वचन, मचल सचल तन, पनघट अहिरन, भर घट रख सर। उछल उछल सब, ढलक-मलक तब, हरख फरख जब, लख मिल सहचर। लखत झलक फट, चढ़ द्रुत तरु... Hindi · कविता 1 2 334 Share Godambari Negi 6 Jul 2022 · 1 min read 'शशिधर'(डमरू घनाक्षरी) दहक दहक तल, बदन सदन झल गरल लहर चल, सकल जगत पर। दरक दरक धर , विकट विपद पर , छड़ तप शशि धर, विष घट रख कर। गटक गटक... Hindi 1 2 330 Share Godambari Negi 21 Apr 2022 · 1 min read 'बेदर्दी' आँगन में जख़म पर मरहम लगाने क्या बैठे , बेदर्दी ने सारे बाजार को बेमरहम कर दिया.... Hindi · शेर 1 1k Share Godambari Negi 20 Apr 2022 · 1 min read 'सती' थी दक्ष की सुता सती, त्रिलोकी को निहारती, स्वीकारा शिव को पति, उचारे शिवम-शिवम। माने न पिता की बात, समझाती उसे मात, बीत जाए सारी रात, रहते नैन नम-नम। शिव... Hindi · कविता 1 295 Share Godambari Negi 16 Apr 2022 · 1 min read शेर तुम कितने कद्रदान थे जो ग़म हजार दे गए। हम ठहरे नादान बस सिर्फ़ मोहब्बत कर गए। Gn✍ Hindi · कविता 123 Share Godambari Negi 15 Apr 2022 · 1 min read ध्वनि धर्म से हटकर सोचें ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए मंदिर मस्जिद घर या विवाह आदि में एक ही नियम तय हो। जहां मुँह से बोलकर काम चल सकता हो लाउडस्पीकर की क्या आवश्यकता है।शोर... Hindi · लेख 127 Share Godambari Negi 15 Apr 2022 · 1 min read बदलता वक्त रिश्ते बदल गए समय की रफ़्तार में संसार डूबा है मोबाइल की धार में। छूट गई पगडंडियाँ थी जो पाँव तले, अब घूमते कहाँ पावों से घूमते हैं कार में।... Hindi · मुक्तक 1 2 170 Share Godambari Negi 14 Apr 2022 · 1 min read बेवज़ह मिलना तो था तुम से.. पर कैसे कहूँ... कहीं तुम ये न पूछ बैठो... किस लिए? क्या कहेंगे... हम को भी नहीं पता।। काम तो कुछ नहीं.. पर यों ही... Hindi · कविता 175 Share Godambari Negi 14 Apr 2022 · 1 min read नव संवत्सर नव संवत्सर आया है,नई उमंगें लाया है.. हर शाखा हो गई पल्लवित,भौंरे ने राग सुनाया है.. उपवन में छाई छटा निराली, फूल-फूल मुस्काया है.. वसुधा हुई रंग-रंगीली,उल्लास चहुँ दिशि छाया... Hindi · कविता 179 Share Previous Page 3