Godambari Negi 115 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Godambari Negi 10 Jul 2022 · 1 min read 'प्यारी ऋतुएँ' प्रकृति के देखो खेल अजब हैं, इसके तो हर दृश्य ग़जब हैं। प्रत्येक ऋतु होती अलबेली, अपने में ही होती है पहेली। आए ग्रीष्म तो छाया भाए, हमने छायादार वृक्ष... Hindi · कविता 1 243 Share Godambari Negi 10 Jul 2022 · 1 min read 'चाँद गगन में' लुक-छिप करता चाँद गगन में, श्वेत स्याम घन बीच। तारावली वदन मलिन हुआ, जलधर फेन उलीच। पल में झलके पलमें ढलके, चले निराली चाल। पुरवा पवन चले मदमाती, बजा बजाकर... Hindi · कविता 5 2 552 Share Godambari Negi 9 Jul 2022 · 1 min read 'गुरु' (देव घनाक्षरी) गुरु चरणों में सदा झुका रहे यह शीश, गुरु को प्रथम जपूँ फिर भागवत भजन। गुरु दिए ब्रम ज्ञान मैं अनाड़ी अनजान, गति नहीं गुरू बिन सत्य ही है यह... Hindi · कविता 217 Share Godambari Negi 8 Jul 2022 · 1 min read जीव हत्या क्यों? मनुष्य की हत्या अपराध और पाप है तो जीव हत्या के लिए भी दंड निर्धारित होना चाहिए। सब प्राणी ईश्वर ने बनाए हैं । माना प्राण रक्षा के लिए किसी... Hindi · लेख 187 Share Godambari Negi 8 Jul 2022 · 1 min read 'बदला जग मौसम भी बदला' बदला जग बदला पल-पल, बदला मौसम करता है छल। रिस गई सावन की रिमझिम, बुझी लगे जुगुनू की टिम-टिम। कहाँ ढल गई डाल नीम की, वो झूले वो उड़ान पींग... Hindi 2 2 514 Share Godambari Negi 7 Jul 2022 · 1 min read 'बादल' (जलहरण घनाक्षरी) मेघ की बारात चली, गगन में गली गली, दिनकर दिखे नहीं, धूप जाने है किधर। दामिनी लपक चले, चाल वो चपल चले, काली घटा मुख ढले, डोल रहा जलधर। मयूर... Hindi · कविता 1 2 526 Share Godambari Negi 6 Jul 2022 · 1 min read 'नटखट नटवर'(डमरू घनाक्षरी) 1- मुख मुदित वचन, मचल सचल तन, पनघट अहिरन, भर घट रख सर। उछल उछल सब, ढलक-मलक तब, हरख फरख जब, लख मिल सहचर। लखत झलक फट, चढ़ द्रुत तरु... Hindi · कविता 1 2 333 Share Godambari Negi 6 Jul 2022 · 1 min read 'शशिधर'(डमरू घनाक्षरी) दहक दहक तल, बदन सदन झल गरल लहर चल, सकल जगत पर। दरक दरक धर , विकट विपद पर , छड़ तप शशि धर, विष घट रख कर। गटक गटक... Hindi 1 2 328 Share Godambari Negi 21 Apr 2022 · 1 min read 'बेदर्दी' आँगन में जख़म पर मरहम लगाने क्या बैठे , बेदर्दी ने सारे बाजार को बेमरहम कर दिया.... Hindi · शेर 1 1k Share Godambari Negi 20 Apr 2022 · 1 min read 'सती' थी दक्ष की सुता सती, त्रिलोकी को निहारती, स्वीकारा शिव को पति, उचारे शिवम-शिवम। माने न पिता की बात, समझाती उसे मात, बीत जाए सारी रात, रहते नैन नम-नम। शिव... Hindi · कविता 1 292 Share Godambari Negi 16 Apr 2022 · 1 min read शेर तुम कितने कद्रदान थे जो ग़म हजार दे गए। हम ठहरे नादान बस सिर्फ़ मोहब्बत कर गए। Gn✍ Hindi · कविता 121 Share Godambari Negi 15 Apr 2022 · 1 min read ध्वनि धर्म से हटकर सोचें ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए मंदिर मस्जिद घर या विवाह आदि में एक ही नियम तय हो। जहां मुँह से बोलकर काम चल सकता हो लाउडस्पीकर की क्या आवश्यकता है।शोर... Hindi · लेख 125 Share Godambari Negi 15 Apr 2022 · 1 min read बदलता वक्त रिश्ते बदल गए समय की रफ़्तार में संसार डूबा है मोबाइल की धार में। छूट गई पगडंडियाँ थी जो पाँव तले, अब घूमते कहाँ पावों से घूमते हैं कार में।... Hindi · मुक्तक 1 2 169 Share Godambari Negi 14 Apr 2022 · 1 min read बेवज़ह मिलना तो था तुम से.. पर कैसे कहूँ... कहीं तुम ये न पूछ बैठो... किस लिए? क्या कहेंगे... हम को भी नहीं पता।। काम तो कुछ नहीं.. पर यों ही... Hindi · कविता 174 Share Godambari Negi 14 Apr 2022 · 1 min read नव संवत्सर नव संवत्सर आया है,नई उमंगें लाया है.. हर शाखा हो गई पल्लवित,भौंरे ने राग सुनाया है.. उपवन में छाई छटा निराली, फूल-फूल मुस्काया है.. वसुधा हुई रंग-रंगीली,उल्लास चहुँ दिशि छाया... Hindi · कविता 178 Share Previous Page 3