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नज़र से तीर मत मारो
DrLakshman Jha Parimal
"पारदर्शिता की अवहेलना"
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मुझे तुम अपनी बाँहों में
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“जागू मिथिलावासी जागू”
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“कारवाँ”
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हँसना चाहता हूँ हँसाना चाहता हूँ ,कुछ हास्य कविता गढ़ना चाहत
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डिज़िटल युग का पदार्पण हो गया! हम द्रुत गति से सफलता के सभी आ
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नभ के चमकते तारे तो बन गए ! प्रकाश सभी तारों में विद्धमान है
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अनोखे संसार की रचना का ताना बाना बुनने की परिक्रिया होने लगी
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भाषाओं पे लड़ना छोड़ो, भाषाओं से जुड़ना सीखो, अपनों से मुँह ना
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रंग -भेद ना चाहिए ,विश्व शांति लाइए ,सम्मान सबका कीजिए,
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करो तुम प्यार ही सबसे, सबों को अपना तुम मानो !
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“बधाई और शुभकामना”
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"युग -पुरुष "
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सुबह हर दिन ही आता है,
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रहो तुम प्यार से जुड़कर ,
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“हम हो गए दीवाने”
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"মেঘ -দূত "
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তুমি জে স্যাং থাকো তো
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आज कल सोशल मीडिया में सकारात्मक भंगिमा को स्वीकारते नहीं हैं
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" मैं और मिथिलाक्षर /तिरहुता लिपि " (संस्मरण )
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उद्देश और लक्ष्य की परिकल्पना मनुष्य स्वयं करता है और उस लक्
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अपवाद हमें हरेक युग में देखने को मिलता है ! एकलव्य एक भील बं
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जनाब, दोस्तों के भी पसंदों को समझो ! बेवजह लगातार एक ही विषय
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“अपना बना लो”
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"गणेश चतुर्थी की शुभकामना "
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" गाड़ी चल पड़ी उसी रफ्तार से "
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# खरी बात
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नहीं है पूर्णता मुझ में
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" आराधक "
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मैं रहूँ या ना रहूँ
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" मेरा प्यार "
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"मेरा प्यार "
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" कृष्णक प्रतीक्षा "
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" कृष्णा का आवाहन "
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“चिकनी -चुपड़ी बातें”
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What strange things did Modi Ji say on foreign soil? The ear
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"आज का दुर्योधन "
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अकेले बन नहीं सकती कभी गीतों की ये लड़ियाँ !
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नयी कोई बात कहनी है नया कोई रंग भरना है !
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“मधुरबोल”
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“ प्रजातन्त्र का सम्मान “
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" गप्प लिय मोदी सं आ टाका लिय बाइडन सं "
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" REMINISCENCES OF A RED-LETTER DAY "
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मंज़िल को तुम्हें यदि पाना हो ,तो चलते चलो तुम रुकना नहीं !
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“मेरी किताब “पुष्प -सार” और मेरी दो बातें”
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“साजन”
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" हमारी टिप्पणियाँ "
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"मन की खुशी "
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# खरी बात
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