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नज़र से तीर मत मारो
नज़र से तीर मत मारो
DrLakshman Jha Parimal
"पारदर्शिता की अवहेलना"
DrLakshman Jha Parimal
मुझे तुम अपनी बाँहों में
मुझे तुम अपनी बाँहों में
DrLakshman Jha Parimal
“जागू मिथिलावासी जागू”
“जागू मिथिलावासी जागू”
DrLakshman Jha Parimal
“कारवाँ”
“कारवाँ”
DrLakshman Jha Parimal
हँसना चाहता हूँ हँसाना चाहता हूँ  ,कुछ हास्य कविता गढ़ना चाहत
हँसना चाहता हूँ हँसाना चाहता हूँ ,कुछ हास्य कविता गढ़ना चाहत
DrLakshman Jha Parimal
डिज़िटल युग का पदार्पण हो गया! हम द्रुत गति से सफलता के सभी आ
डिज़िटल युग का पदार्पण हो गया! हम द्रुत गति से सफलता के सभी आ
DrLakshman Jha Parimal
नभ के चमकते तारे तो बन गए ! प्रकाश सभी तारों में विद्धमान है
नभ के चमकते तारे तो बन गए ! प्रकाश सभी तारों में विद्धमान है
DrLakshman Jha Parimal
अनोखे संसार की रचना का ताना बाना बुनने की परिक्रिया होने लगी
अनोखे संसार की रचना का ताना बाना बुनने की परिक्रिया होने लगी
DrLakshman Jha Parimal
भाषाओं पे लड़ना छोड़ो, भाषाओं से जुड़ना सीखो, अपनों से मुँह ना
भाषाओं पे लड़ना छोड़ो, भाषाओं से जुड़ना सीखो, अपनों से मुँह ना
DrLakshman Jha Parimal
रंग -भेद ना चाहिए ,विश्व शांति लाइए ,सम्मान सबका कीजिए,
रंग -भेद ना चाहिए ,विश्व शांति लाइए ,सम्मान सबका कीजिए,
DrLakshman Jha Parimal
करो तुम प्यार ही सबसे, सबों को अपना तुम मानो !
करो तुम प्यार ही सबसे, सबों को अपना तुम मानो !
DrLakshman Jha Parimal
“बधाई और शुभकामना”
“बधाई और शुभकामना”
DrLakshman Jha Parimal
"युग -पुरुष "
DrLakshman Jha Parimal
सुबह हर दिन ही आता है,
सुबह हर दिन ही आता है,
DrLakshman Jha Parimal
रहो तुम प्यार से जुड़कर ,
रहो तुम प्यार से जुड़कर ,
DrLakshman Jha Parimal
“हम हो गए दीवाने”
“हम हो गए दीवाने”
DrLakshman Jha Parimal
"মেঘ -দূত "
DrLakshman Jha Parimal
তুমি জে স্যাং থাকো তো
তুমি জে স্যাং থাকো তো
DrLakshman Jha Parimal
आज कल सोशल मीडिया में सकारात्मक भंगिमा को स्वीकारते नहीं हैं
आज कल सोशल मीडिया में सकारात्मक भंगिमा को स्वीकारते नहीं हैं
DrLakshman Jha Parimal
" मैं और मिथिलाक्षर /तिरहुता लिपि " (संस्मरण )
DrLakshman Jha Parimal
उद्देश और लक्ष्य की परिकल्पना मनुष्य स्वयं करता है और उस लक्
उद्देश और लक्ष्य की परिकल्पना मनुष्य स्वयं करता है और उस लक्
DrLakshman Jha Parimal
अपवाद हमें हरेक युग में देखने को मिलता है ! एकलव्य एक भील बं
अपवाद हमें हरेक युग में देखने को मिलता है ! एकलव्य एक भील बं
DrLakshman Jha Parimal
जनाब, दोस्तों के भी पसंदों को समझो ! बेवजह लगातार एक ही विषय
जनाब, दोस्तों के भी पसंदों को समझो ! बेवजह लगातार एक ही विषय
DrLakshman Jha Parimal
“अपना बना लो”
“अपना बना लो”
DrLakshman Jha Parimal
"गणेश चतुर्थी की शुभकामना "
DrLakshman Jha Parimal
" गाड़ी चल पड़ी उसी रफ्तार से "
DrLakshman Jha Parimal
# खरी बात
# खरी बात
DrLakshman Jha Parimal
नहीं है पूर्णता मुझ में
नहीं है पूर्णता मुझ में
DrLakshman Jha Parimal
" आराधक "
DrLakshman Jha Parimal
मैं  रहूँ  या  ना रहूँ
मैं रहूँ या ना रहूँ
DrLakshman Jha Parimal
" मेरा प्यार "
DrLakshman Jha Parimal
"मेरा प्यार "
DrLakshman Jha Parimal
" कृष्णक प्रतीक्षा "
DrLakshman Jha Parimal
" कृष्णा का आवाहन "
DrLakshman Jha Parimal
“चिकनी -चुपड़ी बातें”
“चिकनी -चुपड़ी बातें”
DrLakshman Jha Parimal
What strange things did Modi Ji say on foreign soil? The ear
What strange things did Modi Ji say on foreign soil? The ear
DrLakshman Jha Parimal
"आज का दुर्योधन "
DrLakshman Jha Parimal
अकेले बन नहीं सकती कभी गीतों की ये लड़ियाँ !
अकेले बन नहीं सकती कभी गीतों की ये लड़ियाँ !
DrLakshman Jha Parimal
नयी कोई बात कहनी है नया कोई रंग भरना है !
नयी कोई बात कहनी है नया कोई रंग भरना है !
DrLakshman Jha Parimal
“मधुरबोल”
“मधुरबोल”
DrLakshman Jha Parimal
“ प्रजातन्त्र का सम्मान “
“ प्रजातन्त्र का सम्मान “
DrLakshman Jha Parimal
" गप्प लिय मोदी सं आ टाका लिय बाइडन सं "
DrLakshman Jha Parimal
" REMINISCENCES OF A RED-LETTER DAY "
DrLakshman Jha Parimal
मंज़िल को तुम्हें यदि पाना हो ,तो चलते चलो तुम रुकना नहीं !
मंज़िल को तुम्हें यदि पाना हो ,तो चलते चलो तुम रुकना नहीं !
DrLakshman Jha Parimal
“मेरी किताब “पुष्प -सार” और मेरी दो बातें”
“मेरी किताब “पुष्प -सार” और मेरी दो बातें”
DrLakshman Jha Parimal
“साजन”
“साजन”
DrLakshman Jha Parimal
" हमारी टिप्पणियाँ "
DrLakshman Jha Parimal
"मन की खुशी "
DrLakshman Jha Parimal
# खरी बात
# खरी बात
DrLakshman Jha Parimal
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