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लोग कहते रहे
VINOD CHAUHAN
मैं मजहबी नहीं
VINOD CHAUHAN
जटिलताओं के आगे झुकना
VINOD CHAUHAN
हरियाली तीज
VINOD CHAUHAN
बहुत हुए इम्तिहान मेरे
VINOD CHAUHAN
समझ ना पाया अरमान पिता के कद्र न की जज़्बातों की
VINOD CHAUHAN
वो कहते हैं कहाँ रहोगे
VINOD CHAUHAN
ये दौलत ये नफरत ये मोहब्बत हो गई
VINOD CHAUHAN
चंद सवालात हैं खुद से दिन-रात करता हूँ
VINOD CHAUHAN
दीप जगमगा रहे थे दिवाली के
VINOD CHAUHAN
जिंदगी हर रोज
VINOD CHAUHAN
पेड़ों की छाया और बुजुर्गों का साया
VINOD CHAUHAN
फूल तितली भंवरे जुगनू
VINOD CHAUHAN
मत कुचलना इन पौधों को
VINOD CHAUHAN
इन दरख्तों को ना उखाड़ो
VINOD CHAUHAN
आज बुजुर्ग चुप हैं
VINOD CHAUHAN
मैं जैसा हूँ लोग मुझे वैसा रहने नहीं देते
VINOD CHAUHAN
कलम और रोशनाई की यादें
VINOD CHAUHAN
तू ना मिली तो हमने
VINOD CHAUHAN
दो वक्त की रोटी नसीब हो जाए
VINOD CHAUHAN
बहुत खुश था
VINOD CHAUHAN
अंजान बनते हैं वो यूँ जानबूझकर
VINOD CHAUHAN
कब तक यूँ आजमाएंगे हमसे कहो हुजूर
VINOD CHAUHAN
I don't listen the people
VINOD CHAUHAN
काबिल बने जो गाँव में
VINOD CHAUHAN
वो जो आए दुरुस्त आए
VINOD CHAUHAN
मुझे मालूम हैं ये रिश्तों की लकीरें
VINOD CHAUHAN
बहुत झुका हूँ मैं
VINOD CHAUHAN
जो बुजुर्ग कभी दरख्त सा साया हुआ करते थे
VINOD CHAUHAN
बड़ी मुद्दतों के बाद
VINOD CHAUHAN
मेरी उम्मीदों पर नाउम्मीदी का पर्दा न डाल
VINOD CHAUHAN
वो न जाने कहाँ तक मुझको आजमाएंगे
VINOD CHAUHAN
कद्र माँ-बाप की जिसके आशियाने में नहीं
VINOD CHAUHAN
बहुत तरासती है यह दुनिया जौहरी की तरह
VINOD CHAUHAN
कौन किसके सहारे कहाँ जीता है
VINOD CHAUHAN
सारी उम्र गुजर गई है
VINOD CHAUHAN
सादगी अच्छी है मेरी
VINOD CHAUHAN
यह मेरी मजबूरी नहीं है
VINOD CHAUHAN
शहर में आग लगी है उन्हें मालूम ही नहीं
VINOD CHAUHAN
खुद क्यों रोते हैं वो मुझको रुलाने वाले
VINOD CHAUHAN
बड़े ही खुश रहते हो
VINOD CHAUHAN
लोट के ना आएंगे हम
VINOD CHAUHAN
Don't pluck the flowers
VINOD CHAUHAN
I want to hug you
VINOD CHAUHAN
I've lost myself
VINOD CHAUHAN
लोग कहते हैं कि
VINOD CHAUHAN
बचपन में लिखते थे तो शब्द नहीं
VINOD CHAUHAN
हम सम्भल कर चलते रहे
VINOD CHAUHAN
अरे आज महफिलों का वो दौर कहाँ है
VINOD CHAUHAN
भगवान भी रंग बदल रहा है
VINOD CHAUHAN