भरत कुमार सोलंकी Language: Hindi 78 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid भरत कुमार सोलंकी 15 Jun 2024 · 1 min read पागल प्रेम नमन मंच विसय पागल प्रेम विधा मुक्तक दिनांक 15:6:2024 पगली आज तुझे किस बात का गुमान है। मन हमारा आज खाली है उड़ने को ना विमान है। आया आज मैं... Hindi · कुण्डलिया 82 Share भरत कुमार सोलंकी 14 Jun 2024 · 1 min read कुछ ना लाया . नमन मंच बेजुबान ख्वाइश विषय मन के सिवा कुछ ना लाया विधा मुक्तक दिनांक. १४:६:२०२४ लिखी गजल पर तेरा नाम ,मेरी कलम से चढ़ ना पाया । उठा बवाल... Hindi · कुण्डलिया 1 71 Share भरत कुमार सोलंकी 10 Jun 2024 · 1 min read प्रेम।की दुनिया नमन मंच विस्य प्रेम प्रतीक्षा दिनांक १०:६:२०२४ प्यास गले की. नजर भले की देख वो श्रृंगार बनी मेरे गले की मिलना तो चाहती है। पर भुलना भी चाहती है। मैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 105 Share भरत कुमार सोलंकी 6 Jun 2024 · 1 min read मेरी भी सुनो . नमन मंच साहित्य पीडिया विषय मेरी भी सुनो दिनांक. ६:६:२०२४ बचपन से जवानी तक बन निकम्मा अपनो की नजर में आज कमल हुआ। खेलने-कुदने की उम्र में खिलौना छुड़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 68 Share भरत कुमार सोलंकी 31 May 2024 · 1 min read खुद को पागल मान रहा हु "खुद को पागल' मान रहा हूँ वक्त की बहती धार में आज खुद को सम्भाल रहा हूँ जिन्दगी के निसार में आज तड़पकर खुद को उबाल रहा हूँ, पागलपन के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 92 Share भरत कुमार सोलंकी 28 May 2024 · 1 min read अंगड़ाई अंगडाई ये बेचैन मन को अपनी अनुभुति से आराम करने की सोगात रखती है। तरुणाई से घबराकर अपनी बुती से वो आलस्य पर ओकात रखती है गलती क्यों की जनाव... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 1 84 Share भरत कुमार सोलंकी 28 May 2024 · 1 min read झुकना होगा हमे अपनो की चाहत पर ,झुकना होगा दगा किया सपनो की आहट पर ,झुकना होगा पागल पंथी पर सवार हो, पीछे तो हटना होगा खामोशी छायी कोई ग्वार हो ,नीचे... Hindi · शेर 1 99 Share भरत कुमार सोलंकी 28 May 2024 · 1 min read झुकना होगा हमे अपनो की चाहत पर ,झुकना होगा दगा किया सपनो की आहट पर ,झुकना होगा पागल पंथी पर सवार हो, पीछे तो हटना होगा खामोशी छायी कोई ग्वार हो ,नीचे... Poetry Writing Challenge-3 · शेर 1 108 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read भावो को पिरोता हु भावों को पिरोता हूं मेरे हिसाब की डायरी शब्दो का जुगाड नही मैने लिखी थी शायरी भावो का जुगाड़ नहीं महसूस करता मैं उसे शब्दों में पिरोता हूँ कर महसुस... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 99 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read नारी शक्ति नारी शक्ति जन्म संसार को उसने दिया। मां का स्थान उसे सबने दिया । सहन शीलता की बन वो मुरत ताप तपोमय से तनी तो सुरत । संसार इसकी निष्पक्षता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 137 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read नारी शक्ति नारी शक्ति जन्म संसार को उसने दिया। मां का स्थान उसे सबने दिया । सहन शीलता की बन वो मुरत ताप तपोमय से तनी तो सुरत । संसार इसकी निष्पक्षता... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 109 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read वसियत जली जमाने की रफ्तार में, हमारी चाल धीमी जरुर हुई राहगीरों पर छाप छोड़, वो यू सीधी गुरुर हुई ।। गुरुर की आजमाईश पर, मेरे अपने यु शिकार हुए कुछ को... Hindi · कुण्डलिया 80 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read वासियत जली थी जमाने की रफ्तार में, हमारी चाल धीमी जरुर हुई राहगीरों पर छाप छोड़, वो यू सीधी गुरुर हुई ।। गुरुर की आजमाईश पर, मेरे अपने यु शिकार हुए कुछ को... Poetry Writing Challenge-3 · कुण्डलिया 100 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read जिंदगी को बोझ मान जिन्दगी ने हमें निकम्मा बना दिया अन्धेरी चाहत ने हमें शम्मा बना दिया बोझ जिन्दगी का उठाये फिर रहा हूँ प्रतीक्षा की अंगार पर खुद को रख आज राख बना... Poetry Writing Challenge-3 · कुण्डलिया 93 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read जिंदगी को बोझ मान जिन्दगी ने हमें निकम्मा बना दिया अन्धेरी चाहत ने हमें शम्मा बना दिया बोझ जिन्दगी का उठाये फिर रहा हूँ प्रतीक्षा की अंगार पर खुद को रख आज राख बना... Hindi · ग़ज़ल 61 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read यही विश्वास रिश्तो की चिंगम है " रिश्तो को संगम " भाव का दाव रख आंखो से आंखों को मिलाकर अपनी भाव विभोर की छाव रख वो स्वप्न नयनी आयी नजरों को झुकाकर यही भावनाएँ, बनी... Poetry Writing Challenge-3 · कुण्डलिया 1 95 Share भरत कुमार सोलंकी 26 May 2024 · 2 min read दिनकर तुम शांत हो दिनकर तुम शांत हो आज तेरी बेशर्मी की हद हो गयी तपन की आंच भी सरहद हो गयी सुहाना समझते थे हम तुमे रावण बन मर्यादा तोडी मंद हो गयी... Poetry Writing Challenge-3 · गीतिका 119 Share भरत कुमार सोलंकी 26 May 2024 · 2 min read दिनकर शांत हो दिनकर तुम शांत हो आज तेरी बेशर्मी की हद हो गयी तपन की आंच भी सरहद हो गयी सुहाना समझते थे हम तुमे रावण बन मर्यादा तोडी मंद हो गयी... Hindi · कुण्डलिया · शेर 95 Share भरत कुमार सोलंकी 25 May 2024 · 1 min read किस तिजोरी की चाबी चाहिए किस तिजोरी की चाबी चाहिए यादो की खामोशी वारदात पर वो निकल कर बोला आक्रोश ही था वादों की तकरार पर खड़ा होकर बोला हा खामोश होकर मैं सुन रहा... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 2 172 Share भरत कुमार सोलंकी 23 May 2024 · 1 min read क्यो नकाब लगाती " क्यो नकाब लगाती हो।" सफर पर जाने वाली मुसाफिर तु आपनी सुरत पर क्यों नकाल लगाती है। क्यो घृणित कार्य करने वाली शातिर अपनी सुरत पर उठने वाले जवाब... Hindi · कविता 100 Share भरत कुमार सोलंकी 23 May 2024 · 1 min read क्यो नकाब लगाती हो " क्यो नकाब लगाती हो।" सफर पर जाने वाली मुसाफिर तु आपनी सुरत पर क्यों नकाल लगाती है। क्यो घृणित कार्य करने वाली शातिर अपनी सुरत पर उठने वाले जवाब... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 71 Share भरत कुमार सोलंकी 23 May 2024 · 2 min read किस बात का गुमान है किस बात का गुमान है। हां! तुम्हे किस बात का गुमान है। क्या बोलने खातिर तेरे मुंह में जुवान है ! तेरी तरह हमने अपनी किताबों का हिसाब नहीं लगाया... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 1 97 Share भरत कुमार सोलंकी 23 May 2024 · 2 min read तुझे किस बात ला गुमान है किस बात का गुमान है। हां! तुम्हे किस बात का गुमान है। क्या बोलने खातिर तेरे मुंह में जुवान है ! तेरी तरह हमने अपनी किताबों का हिसाब नहीं लगाया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 90 Share भरत कुमार सोलंकी 20 May 2024 · 1 min read में बेरोजगारी पर स्वार विसय. बेरोजगारी पर सवार विधा. मुक्तक दिनांक. २०:५:२०२४ 212 212. 212. 22 जिन्दगी का एक पल अब हावि हैं". बन्दगी की सादगी आजादी है ! बरस कई बीत गये यही... Hindi · ग़ज़ल 81 Share भरत कुमार सोलंकी 20 May 2024 · 1 min read मै बेरोजगारी पर सवार हु विसय. बेरोजगारी पर सवार विधा. मुक्तक दिनांक. २०:५:२०२४ 212 212. 212. 22 जिन्दगी का एक पल अब हावि हैं". बन्दगी की सादगी आजादी है ! बरस कई बीत गये यही... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 1 86 Share भरत कुमार सोलंकी 20 May 2024 · 1 min read मेरा वजूद क्या " मेरा वजूद क्या है ?" बचपन में मैं मां मांकी गोद में पलकर , बिन चाहत के उतरा खिलौनो को देखकर अपनो के लाड़ में पलकर , आदत से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 67 Share भरत कुमार सोलंकी 20 May 2024 · 1 min read मेरा वजूद क्या है " मेरा वजूद क्या है ?" बचपन में मैं मां मांकी गोद में पलकर , बिन चाहत के उतरा खिलौनो को देखकर अपनो के लाड़ में पलकर , आदत से... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 90 Share भरत कुमार सोलंकी 19 May 2024 · 1 min read मन के सवालों का जवाब नही " मन के सवाल का जवाब नहीं विचारशील मै बैठकर कागज कलम की तन्हाई पर कुछ सवाल उभरे हैं। एकान्त की पराकाष्ठा पर इस मन की गहराई के सवाल का... Poetry Writing Challenge-3 · कुण्डलिया 71 Share भरत कुमार सोलंकी 19 May 2024 · 1 min read मन के सवालों का जवाब नाही " मन के सवाल का जवाब नहीं विचारशील मै बैठकर कागज कलम की तन्हाई पर कुछ सवाल उभरे हैं। एकान्त की पराकाष्ठा पर इस मन की गहराई के सवाल का... Hindi · ग़ज़ल 110 Share भरत कुमार सोलंकी 18 May 2024 · 2 min read हमारी योग्यता पर सवाल क्यो १ हमारी योग्यता पर सवाल क्यो रख तानो को मन पर ख्यालो को खोजते है छोड सवालो को लालची मन का पता नही शादी पर लडको की योग्यता पर सवाल क्यो... Hindi · कविता 96 Share भरत कुमार सोलंकी 18 May 2024 · 2 min read लड़को की योग्यता पर सवाल क्यो हमारी योग्यता पर सवाल क्यो रख तानो को मन पर ख्यालो को खोजते है छोड सवालो को लालची मन का पता नही शादी पर लडको की योग्यता पर सवाल क्यो... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 85 Share भरत कुमार सोलंकी 17 May 2024 · 1 min read दहेज ना लेंगे दहेज ना लेंगे मन के मंच पर खुद से खडे होकर, वादा करेंगे। मा बाप को छोद आयी बन उस खुश किस्मत से ना दहेज लेंगे रख संस्कार जिसने अपनी... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 83 Share भरत कुमार सोलंकी 17 May 2024 · 1 min read दहेज ना लेंगे दहेज ना लेंगे मन के मंच पर खुद से खडे होकर, वादा करेंगे। मा बाप को छोद आयी बन उस खुश किस्मत से ना दहेज लेंगे रख संस्कार जिसने अपनी... Hindi · ग़ज़ल 74 Share भरत कुमार सोलंकी 17 May 2024 · 1 min read दहेज की जरूरत नहीं लोगो की परम्परा को तोड़ उस अमानत की दर को जोड़ खुद से कहूंगा मुझे दहेज की जरूरत नही भाग्य ने मुझे वो खुशहाली सोप मेरे बदनसीब को रोक मुझसे... Hindi · ग़ज़ल 78 Share भरत कुमार सोलंकी 17 May 2024 · 1 min read दहेज की जरूरत नही लोगो की परम्परा को तोड़ उस अमानत की दर को जोड़ खुद से कहूंगा मुझे दहेज की जरूरत नही भाग्य ने मुझे वो खुशहाली सोप मेरे बदनसीब को रोक मुझसे... Poetry Writing Challenge-3 · कोटेशन 84 Share भरत कुमार सोलंकी 16 May 2024 · 2 min read मै पत्नी के प्रेम में रहता हूं विसय मैं पत्नी के प्रेम में रहता हूं । विधा. मुक्तक दिनांक. १६:५:२०२४ बिन ब्याह आजाद ख्यालो में मैं उसके चक्कर. काटता हू अकेला बैठ ,मैं उसके ख्यालों में ,चाहकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 72 Share भरत कुमार सोलंकी 15 May 2024 · 1 min read मै ना सुनूंगी "ना सुनूंगी " भोली सुरत लेके तु मुझको क्यो बहकाता है। आलाप ना कर, तेरी मैं ना सुनगी बहाना लेके तु मीठे बोल से क्यों समझाता है । आलाप ना... Hindi · ग़ज़ल 1 91 Share भरत कुमार सोलंकी 15 May 2024 · 1 min read मै ना सुनूंगी "ना सुनूंगी " भोली सुरत लेके तु मुझको क्यो बहकाता है। आलाप ना कर, तेरी मैं ना सुनगी बहाना लेके तु मीठे बोल से क्यों समझाता है । आलाप ना... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 94 Share भरत कुमार सोलंकी 15 May 2024 · 1 min read भूल ना था भुल ना था पश्चाताप के आलम में मैअपना वजूद खोज रहा विग्रह् के मनोरम मे मै रख कलम कुछ सोच रहा क्यो मैं अपने मां बाप की भूल था उम्मीद... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 79 Share भरत कुमार सोलंकी 15 May 2024 · 1 min read भूल ना था भुल ना था पश्चाताप के आलम में मैअपना वजूद खोज रहा विग्रह् के मनोरम मे मै रख कलम कुछ सोच रहा क्यो मैं अपने मां बाप की भूल था उम्मीद... Hindi · ग़ज़ल 79 Share भरत कुमार सोलंकी 14 May 2024 · 1 min read मन की प्रीत मन की मीत ही मेरी प्रीत है आकाश में उड़ते परिन्दाे का ,कुछ तो अरमान होता है धरती पर रेंगते जीव का भी, कुछ न कुछ तो अरमान होता है... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 91 Share भरत कुमार सोलंकी 14 May 2024 · 1 min read मन की प्रीत मन की मीत ही मेरी प्रीत है आकाश में उड़ते परिन्दाे का ,कुछ तो अरमान होता है धरती पर रेंगते जीव का भी, कुछ न कुछ तो अरमान होता है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 75 Share भरत कुमार सोलंकी 13 May 2024 · 2 min read ममता का सागर मां ममता का सागर मां बेटे की उम्मीद है मा बेटे की जिद है। मां की फटकार बेटे को सही गलत की पहचान करवाती है मौका लालच बेटे को सब्जीवन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 98 Share भरत कुमार सोलंकी 13 May 2024 · 2 min read मा ममता का सागर मां ममता का सागर मां बेटे की उम्मीद है मा बेटे की जिद है। मां की फटकार बेटे को सही गलत की पहचान करवाती है मौका लालच बेटे को सब्जीवन... Hindi · कविता 75 Share भरत कुमार सोलंकी 12 May 2024 · 2 min read पास तो आना- तो बहाना था" •. पास तो आना- तो बहाना था" मन की बन तू शायरी मन से लिखता हूँ डायरी खास बनकर खामोश मन के पास तेरा तो आना-जाना था। कलम मेरी खुश... Hindi · कुण्डलिया 1 1 76 Share भरत कुमार सोलंकी 12 May 2024 · 2 min read पास आना तो बहाना था •. पास तो आना-जाना था" मन की बन तू शायरी मन से लिखता हूँ डायरी खास बनकर खामोश मन के पास तेरा तो आना-जाना था। कलम मेरी खुश हो गयी... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 79 Share भरत कुमार सोलंकी 11 May 2024 · 1 min read वक़्त का समय 3.5.37 वक्त के दरियों में कुदने की मेरी औकात नही रक्त के दरिया में नहाने की मेरी सोगात लगी निश्छल भाव से किसी गैर के मन में समाया था। रक्त... Hindi · मुक्तक 68 Share भरत कुमार सोलंकी 11 May 2024 · 1 min read प्रेम का वक़ात 3.5.37 वक्त के दरियों में कुदने की मेरी औकात नही रक्त के दरिया में नहाने की मेरी सोगात लगी निश्छल भाव से किसी गैर के मन में समाया था। रक्त... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 75 Share भरत कुमार सोलंकी 11 May 2024 · 1 min read आक्रोश तेरे प्रेम का अटल इरादा रख मून म पटल पर देख क्यों खामोश बनी? इसी विचार पर रख मन को नकल कर सका फिर क्यों आक्रोश था ? लिखी अपनी कलम से तेरे... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 71 Share भरत कुमार सोलंकी 11 May 2024 · 1 min read आक्रोश प्रेम का अटल इरादा रख मून म पटल पर देख क्यों खामोश बनी? इसी विचार पर रख मन को नकल कर सका फिर क्यों आक्रोश था ? लिखी अपनी कलम से तेरे... Hindi · ग़ज़ल 85 Share Page 1 Next