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गाॅंधीजी के सत्य, अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए,
Ajit Kumar "Karn"
आभासी दुनिया में सबके बारे में इक आभास है,
Ajit Kumar "Karn"
अनुराग मेरे प्रति कभी मत दिखाओ,
Ajit Kumar "Karn"
प्यार वो नहीं है जो सिर्फ़ आपके लिए ही हो!
Ajit Kumar "Karn"
भावना लोगों की कई छोटी बातों में बिगड़ जाती है,
Ajit Kumar "Karn"
ग़मों को रोज़ पीना पड़ता है,
Ajit Kumar "Karn"
कभी पलट कर जो देख लेती हो,
Ajit Kumar "Karn"
चाहे बड़े किसी पद पर हों विराजमान,
Ajit Kumar "Karn"
सारे गिले-शिकवे भुलाकर...
Ajit Kumar "Karn"
समय बीतते तनिक देर नहीं लगता!
Ajit Kumar "Karn"
चिंता, फ़िक्र, कद्र और परवाह यही तो प्यार है,
Ajit Kumar "Karn"
उसी वक़्त हम लगभग हार जाते हैं
Ajit Kumar "Karn"
जीवन में फल रोज़-रोज़ थोड़े ही मिलता है,
Ajit Kumar "Karn"
समय-सारणी की इतनी पाबंद है तूं
Ajit Kumar "Karn"
आख़िर तुमने रुला ही दिया!
Ajit Kumar "Karn"
लोगों की मजबूरी नहीं समझ सकते
Ajit Kumar "Karn"
पास के लोगों की अहमियत का पता नहीं चलता
Ajit Kumar "Karn"
सच्चे लोग सागर से गहरे व शांत होते हैं!
Ajit Kumar "Karn"
कोई किसी के लिए कितना कुछ कर सकता है!
Ajit Kumar "Karn"
बस, अच्छा लिखने की कोशिश करता हूॅं,
Ajit Kumar "Karn"
ज़िंदगी से थोड़ी-बहुत आस तो है,
Ajit Kumar "Karn"
तुम अगर स्वच्छ रह जाओ...
Ajit Kumar "Karn"
खुश हो लेता है उतना एक ग़रीब भी,
Ajit Kumar "Karn"
ये सच है कि सबसे पहले लोग
Ajit Kumar "Karn"
रुकती है जब कलम मेरी
Ajit Kumar "Karn"
विद्वत्ता से सदैव आती गंभीरता
Ajit Kumar "Karn"
ज़िंदगी को किस अंदाज़ में देखूॅं,
Ajit Kumar "Karn"
हम किसी का वाह्य स्वरूप ही देख पाते...
Ajit Kumar "Karn"
करते हैं सभी विश्वास मुझपे...
Ajit Kumar "Karn"
आनेवाला अगला पल कौन सा ग़म दे जाए...
Ajit Kumar "Karn"
दोस्तों बात-बात पर परेशां नहीं होना है,
Ajit Kumar "Karn"
चकाचौंध की दुनियां से सदा डर लगता है मुझे,
Ajit Kumar "Karn"
आज का ज़माना ऐसा है...
Ajit Kumar "Karn"
एक दूसरे से उलझकर जो बात नहीं बन पाता,
Ajit Kumar "Karn"
एक दूसरे को समझो,
Ajit Kumar "Karn"
जब कभी आपसी बहस के बाद तुम्हें लगता हो,
Ajit Kumar "Karn"
अन्याय हो रहा यहाॅं, घोर अन्याय...
Ajit Kumar "Karn"
वक़्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता...
Ajit Kumar "Karn"
रिश्ता नहीं है तो जीने का मक़सद नहीं है।
Ajit Kumar "Karn"
चलते हैं क्या - कुछ सोचकर...
Ajit Kumar "Karn"
आज की दुनिया ऐसी ज़ालिम है...
Ajit Kumar "Karn"
दोस्तों बस मतलब से ही मतलब हो,
Ajit Kumar "Karn"
आज का युग ऐसा है...
Ajit Kumar "Karn"
मर्यादित आचरण व बड़ों का सम्मान सही है,
Ajit Kumar "Karn"
जिस माहौल को हम कभी झेले होते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
लोगों को खुद की कमी दिखाई नहीं देती
Ajit Kumar "Karn"
कोई भी व्यक्ति अपने आप में परिपूर्ण नहीं है,
Ajit Kumar "Karn"
होता है हर किसी को किसी बीती बात का मलाल,
Ajit Kumar "Karn"
"धन-दौलत" इंसान को इंसान से दूर करवाता है!
Ajit Kumar "Karn"
पहले आसमाॅं में उड़ता था...
Ajit Kumar "Karn"