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जान की बाजी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गर लगे आग तुम बुझाना मत
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नदी सा बहक जाऊं
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
करवाचौथ दिवस मनाना हो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूबा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चिराग योजना
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जमीं पर चाँद हो उतरा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ओस की बूंदें
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जगजीत की याद में
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्रभु लीला
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गहरी नींद सुला दिया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ਸਰਕਾਰੀ ਸਕੂਲਾਂ ਦੀ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सरकारी स्कूलां दी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बड़े बड़ेरूआं ने सरकारी स्कूल बनाये
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जन शिक्षा मंच संघर्षशील है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
धुंआ धीरे धीरे सुलगता है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
शिकवा शिकायत नही
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
विजयदशमी दशहरा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
वक्त ही वक्त पर वक्त न था
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पतझड़ से झड़ते अरमान
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मिलकर हम कदम बढ़ाएंगे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हरदम मिलती मात है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सेवानिवृत्ति बीरभान
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मंजिल बहुत करीब है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मन मे जो गहरी पीर है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हर बात में तेरा जिक्र है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
परियों की रानी बिटिया रानी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ਪਪਰੀਆਂ ਦੀ ਰਾਣੀ ਧੀ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सुन ओ बारिश कुछ तो रहम कर
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जीने को तेरी एक याद काफी है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नहीं कोई यहाँ अपना
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हर पल मरते रोज हैं
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बारिश की फुहार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
शहर में दम घुटता है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
विद्या की देवी हे शारदे माँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बदलाव
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्रभु संग प्रीत लगाई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सुनो सखी एक बात बताऊँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बस्तों में मिलती अब शराब है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नारी मंथन
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अपना शहर बेगाना हुआ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कोई साथी पास नही
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कोई नही किसी का मीत है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तुम बिन हुम् नही
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्रीत न कोई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्यार बन गया व्यापार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मन बहुत उदास है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तेरी तस्वीर
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बिगड़े हालात आज है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चलता नही कोई ज़ोर है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत