सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2758 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 14 Next सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Dec 2022 · 1 min read प्रेम रोग मे हर कोई दिखता बीमार है प्रेम रोग मे हर कोई दिखता बीमार है ***************************** भावों की एकता से खिलता विचार है, नजरों की देखनी से मिलता दीदार हे। दिल की जुस्तजु कोई न् समझ पाया,... Hindi · कविता 78 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Dec 2022 · 1 min read मधुर मुलाकात ***** मधुर-मुलाकात **** ********************** सितारों से भरी बारात थी, चाँदनी से खिली वो रात थी। दर्द ए जुदाई अधूरी जुस्तजू, आँसओं की हुई बरसात थी। नयनों से नयन जब मिल... Hindi · कविता 78 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Dec 2022 · 1 min read बोझ जो सिर पर उतार दो *बोझ जो भी सिर पर उतार दो* ************************* बोझ जो भी सिर पर उतार दो, हँसकर बाकी के पल गुजार दो। भार हम ने ढोया कभी नही, गम हुए हों... Hindi · ग़ज़ल 93 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Dec 2022 · 1 min read नैनों से बहता नीर है * नैनों से बहता नीर है * ******************* नैनों से बहता नीर है, सीने में होती पीर है। पेचीदा तेरी घर डगर, दिल मे रखती धीर है। काली हो या... Hindi · ग़ज़ल 75 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Dec 2022 · 1 min read तन मन के लोभी *तन-मन के लोभी* **************** यूँ सोचा न था कभी, होंगे हम प्रेम-रोगी। खड़े होंगे कतार में, हो कर बांवरें वैरागी। दर-दर ठोकरें खाई, बनकर रमता जोगी। ऐसी कौन-सी चीज, अभी... Hindi · कविता 1 88 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Dec 2022 · 1 min read सिंदूरी किरदार ***** सिंदूरी - किरदार **** *********************** चाहत मेरी बस है इतनी, तेरे गले का गलहार बनूँ। तन-मन की हो सुंदर बगिया, कंचन काया का शिंगार बनूँ। प्रिय तेरे ही जीवन... Hindi · कविता 89 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Dec 2022 · 1 min read काली जुल्फ़े समझा जाओ *काली जुल्फ़े समझा जाओ* *********************** बहक गया हूँ जीवन पथ पर, दो पल आकर समझा जाओ। घर-आंगन भी तो है मरझाया, बगिया प्यारी महका जाओ। गोरे - गोरे कोमल हाथों... Hindi · कविता 85 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Dec 2022 · 1 min read मधुर मिलन प्रेम सौगात *मधुर मिलन प्रेम-सौगात* ********************* रहते तो हो पिया तुम साथ, करती क्यों नही कोई बात। रूठे - रूठे तुम रहते हो, बता कौन है तम्हारे साथ। मुँह क्यो फेरा तुमने... Hindi · कविता 110 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Dec 2022 · 1 min read परिचित ******** परिचय ******** *********************** हाड मांस का हूँ एक टुकड़ा, मानुष रूप का सुंदर मुखड़ा। मानव - जाति ही पहचान मेरी, इंसानियत भरा दिल धड़का। मानवतावादी ही रहा धर्म मेरा,... Hindi · कविता 121 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Dec 2022 · 1 min read प्रेम रंग ******* प्रेम-रंग ******* ********************* खोया - खोया रहता साया, प्रेम रंग की कैसी माया। खोई - खोई रहती वो भी, क्या बीमारी जान न पाया। सौहार्द भँवर डूबे हम तुम,... Hindi · कविता 185 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Dec 2022 · 1 min read सजनी से खुलकर बात हुई सजनी से खुलकर बात हुई ********************* सजनी से खुलकर बात हुई, जैसे फूलों की बरसात हुई। यह बात नहीं थी ख्यालों में, बिन मांगे पूरी सौगात हुई। प्रथम प्यार कोई... Hindi · कविता 125 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Dec 2022 · 1 min read बारिश बनकर सावन की * बारिश बनकर सावन की * ********************** बारिश बन कर मैं सावन की, बंजर धरती पर बरसात करूँ। फूलों से हरा-भरा उपवन हो, भंवरा बनकर मैं रसपान करूँ। तन-मन प्यासा... Hindi · कविता 89 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Dec 2022 · 1 min read रूठकर चल दी बहारें **रूठ कर चल दी बहारें ** ********************** रूठ कर हैं चल दी बहारें, छोड़ कर यूँ किस के सहारे। प्रेम की तो रूत शेष आंगन, नैन प्यासे राहें निहारें। जागता... Hindi · ग़ज़ल 120 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Dec 2022 · 1 min read दिल झूम उठा ****** दिल झूम उठा ****** ************************ आया सन्देश दिल झूम उठा, है कौन से देश दिल झूम उठा। देखते रहते हर रोज खोल उसे, हुआ जब प्रवेश दिल झूम उठा।... Hindi · कविता 172 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Dec 2022 · 2 min read समझिए चालीस पार हुए समझिए चालीस पार हुए ********************* लटों से चाँदी झलक आए, कमर का कमरा बन जाए, समझिए चालीस पार हुए। मस्ती के दिन भी पार हए। आँखों पर चश्मा चढ़ जाए,... Hindi · कविता 85 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Dec 2022 · 1 min read दीवाना बनाया है तुमने **** दीवाना बनाया है तुमने **** *************************** कमर का कमरा बनाया है तुमने, लटों में चाँदी को दिखाया है तुमने, कमरों के दरवाजे खुले तुम रखना, खुली बाँहों में हमें... Hindi · गीत 118 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 17 Dec 2022 · 1 min read बदल गए इस कदर **** बदल गए इस कदर **** ************************* बदल गए इस कदर पता न था, परत गई है नज़र पता न था। न रोशनी ही मिली न अंधेरा, तमस गया है... Hindi · ग़ज़ल 93 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 17 Dec 2022 · 1 min read या तेरी मेरी यारी *** या तेरी मेरी यारी *** ******************** या तेरी मेरी सै इसी यारी, लागती न्यू जान से प्यारी। लम्बे रूट पाई जावेगी या, बीच महँ ना कोई सवारी। बिना रुकया... Hindi · कविता 90 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Dec 2022 · 1 min read बोतल भरी शराब से है बोतल भरी शराब से है ******************* बोतल भरी शराब से है, जोबन भरा शबाब से है। कैसे कहूँ बयान को मैं, नीयत ज़रा खराब से है। कोई न ढूंढ पा... Hindi · ग़ज़ल 207 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Dec 2022 · 1 min read ਘੁਟ ਕੇ ਸੀਨੇ ਲਾਵਾਂ **** ਘੁਟ ਕੇ ਸੀਨੇ ਲਾਵਾਂ **** *********************** ਖੁੱਲੀਆਂ ਨੇ ਮੇਰਿਆ ਦੋਹੋਂ ਬਾਹਾਂ, ਤੈਨੂੰ ਘੁਟ ਕੇ ਸੀਨੇ ਨਾਲ ਲਾਵਾਂ। ਦੋ ਦਿਨ ਦੀ ਰੁੱਤ ਪ੍ਰੋਹਣੀ ਇੱਥੇ, ਮੌਜਾਂ ਲਈ ਹੈ ਜ਼ਿੰਦਗਾਨੀ ਇੱਥੇ, ਦਿਨ... Punjabi · ਕਵਿਤਾ 108 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Dec 2022 · 1 min read सब कुछ रब पर छोड़ दिया ** सब कुछ रब पर छोड़ दिया ** *************************** सब कुछ रब पर ही है छोड़ दिया, जब से खुद को रब से जोड़ लिया। पल पल छिन छिन हर... Hindi · ग़ज़ल 113 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Dec 2022 · 1 min read यौवन से भरी कली सजदा सलाम करते हैं **यौवन से भरी कली सजदा सलाम करते हैं** ************************************ हर जन्म हो मेरी यही दुआ सुबह शाम करते हैं, कसम से आप पर हम तो जी जान से मरते हैं,... Hindi · कविता 132 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Dec 2022 · 1 min read परिवार ****** परिवार ****** ******************* सुंदर घर संसार है, सुखमय गर परिवार है। सुख -शांति-समृद्धि हो, जीवन का आधार है। सपनों से भरा घरौंदा, हर जन का सत्कार है। प्रेम -... Hindi · कविता 99 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Dec 2022 · 1 min read गम सहने की आदत है गम सहने की आदत है ******************* गम सहने की आदत है, चुप रहने की आदत है। लब को कैसे मैं रोकूँ, कुछ कहने की आदत है। आँखों में झलके पानी,... Hindi · ग़ज़ल 144 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Dec 2022 · 1 min read जीवन धारा ******* जीवन धारा ******* ************************ बहती रहे सदा जीवन धारा, गिरे न कभी जीवन का पारा। आएगा ये पल फिर न दुबारा, जी लो जी भर लम्हा सुनहरा। मस्ती नहीं... Hindi · कविता 239 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Dec 2022 · 1 min read मिले गैरों की तरह *** मिले गैरों की तरह *** ********************* अपने मिले गैरों की तरह, छूटे हुए राहों की तरह। वो छोड़ कर आये नहीं टूटी हुई बाँहों की तरह। माया बड़ी काया... Hindi · ग़ज़ल 89 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Dec 2022 · 1 min read इश्क ********* इश्क ********* *********************** ये इश्क छुपाये नहीं छुपता है, किसी के रोके नहीं रुकता है। दरिया की गहराई सा गहरा, अथाह सागर कम पड़ता है। लहर-लहर लहराए है जाता,... Hindi · कविता 109 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Dec 2022 · 1 min read भंवरा ************** भंवरा ************* ********************************* उपवन में खिली कली पर भंवरा मंडराए, सूंघ पुष्प की खुश्बू पल में भंवरा इतराए। कच्ची कली कचनार की कानन में देखी, देख-देख पागलपन में भंवरा... Hindi · कविता 222 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Dec 2022 · 1 min read तहरीर तुम बना दो * शब्दों की सुंदर तहरीर तुम बना दो * ****************************** शब्दों की सुंदर तहरीर तुम बना दो, हासिल हो मंजिल तदबीर तुम बना दो। हाथों में बंधी बेड़ी खुली नहीं... Hindi · ग़ज़ल 90 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Dec 2022 · 1 min read जिंदगी से सदा लड़ता रहा हूँ * जिंदगी से सदा लड़ता रहा हूँ * ************************** जिन्दगी से सदा मैं लडता रहा हूँ, इसी में ही जीता - मरता रहा हूँ। प्रेम डाह ने तन मन को... Hindi · कविता 110 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 11 Dec 2022 · 1 min read माटी में ही मिल जाए ******** माटी में ही मिल जाना ********** ************************************ माटी में है जन्म लिया माटी में ही मिल जाना। पलभर में है बुझ जाना पलभर में खिल जाना। मानवजन तो धरती... Hindi · गीत 91 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 11 Dec 2022 · 1 min read दो बोल प्यार के **** दो बोल प्यार के **** ********************** बोलने से पहले सदा तोलो, फिर मुख मुखरित हो बोलो। यही बोल बढ़ाते सम्मान हैं, चिंतन कर सारे भेद खोलो। ये दिल तो... Hindi · कविता 268 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Dec 2022 · 1 min read समय सही पुराना है ** समय सही पुराना है ** ********************* बदल गया भई ज़माना है, समय सही वही पुराना है। बदल गए सभी रिश्ते-नाते, बिखर गया बड़ा घराना है। परत गया जुबां से... Hindi · कविता 92 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Dec 2022 · 1 min read हुई हरकी हिला हूँ ज़ोर से मैं तो हुई हरकत हिला हूँ जोर से मैं तो ************************** हुई हरकत हिला हूँ ज़ोर से मैं तो, खड़ा हूँ राह तेरी भोर से मैं तो। महकता तन-बदन तेरा उड़े खुश्बू,... Hindi · कविता 86 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Dec 2022 · 1 min read जब बेटा तुम कमाओगे **** जब बेटा तुम कमाओगे **** *************************** जब कभी बेटा तुम खुद कमाओगे, कमाई की कीमत जान जाओगे। कैसे पूरा करता है बाप मांगों को, दशा- व्यथा भरी कथा पढ़... Hindi · कविता 95 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Dec 2022 · 1 min read रुख्सार से यूँ न खेला करे ******** रुख्सार से यूँ न खेला करे *********** **************************************** कह दो ज़ुल्फ़ से दूर रहे,रुख्सार से यूँ न खेला करे। गोरे रंग पर रगड़ पड़े,चुपचाप हो कर न झेला करे।... Hindi · कविता 96 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Dec 2022 · 1 min read कुछ लूट जाट है *कुछ लूट जाते हैं तो कुछ लूट जाते हैं* ******************************* कुछ लुट जाते हैं तो कुछ लूट जाते हैं, कुछ फूल पाते हैं तो कुछ शूल पाते हैं। कुछ गरज... Hindi · कविता 92 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Dec 2022 · 1 min read आखिरी मुराद ***** आखिरी मुराद ***** ********************** खुश रहो तुम आबाद रहो, जहां में जहाँ जिंदाबाद रहो। मिलो भी नहीं कोई गम नहीं, बन कर सुखद तुम याद रहो। देखा तुम्हें हम... Hindi · कविता 72 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Dec 2022 · 1 min read मेरी वफ़ाई काम नहीं आई मेरी वफ़ाई काम नहीं आई ********************** मेरी वफाई काम नहीं आई, तेरी बेवफ़ाई में मार है खाई। महलों में तेरे हैं खीर-हलवे, होते हर दम प्रेम के जलवे, हमारे लिए... Hindi · गीत 106 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Dec 2022 · 1 min read प्रेम रूप साकार ***** प्रेम रूप साकार ***** ************************ ढाई अक्षरों का शब्द प्यार है, हो जाए तो बना दे लाचार है। मन ही मन हिलोरे खाती तरंगे, लहरों सी शीतल प्रेम फुहार... Hindi · कविता 154 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Dec 2022 · 1 min read आँखों से बरसते मोती ** ऑंखों से बरसते मोती ** ********************** आँखों से बरसते मोती हैं, दुख पीड़ा को जो धोती है। गैरों की गौर में जीने लगे, अपनों की गोद में रोती है।... Hindi · कविता 103 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Dec 2022 · 1 min read प्रभु जी हम तेरे सवाली **प्रभु जी हम तेरे सवाली** ********************** प्रभु जी हम तेरे है सवाली, तू ही हम सब का है माली। तेरे बिना कुछ भी न हो पाए, तेरी रजा में सुख... Hindi · गीत 71 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Dec 2022 · 1 min read तपती रेत सा प्यार *** तपती रेत सा प्यार *** ********************* तपती रेत सा ही प्यार है, मिल जाए तो मजेदार है। मर्ज ए दिल की दवा नहीं, हौसला ही तो मददगार है। खो... Hindi · कविता 109 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Dec 2022 · 1 min read अपना अपना नसीब ***** अपना-अपना नसीब ***** *************************** कोई अमीर तो कोई गरीब है, सभी का अपना-अपना नसीब है। किसी को महल बंगले बहुत रंगले, कोई ढूंढता हो छत की तरकीब है। देखे... Hindi · कविता 88 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Dec 2022 · 1 min read खिल कर कली किधर को चली खिल कर कली किधर को चली ************************** बन कर कली है वो खिली, खिल कर कली किधर को चली। है महक महकाती मन विरही को, इधर-उधर जिधर भी हो मनचली।... Hindi · कविता 110 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Dec 2022 · 1 min read प्रीत पराई होती दुखदाई * प्रीत पराई होती दुखदाई * ********************** प्रीत - पराई होती दुखदाई, ठोकरें खाए बहुत हरजाई। देखूं निहारूं बन कर पपैया, कोई ना स मझे दर्द- जुदाई। हास्य पात्र बना... Hindi · कविता 94 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Dec 2022 · 1 min read ये दुनिया बहुत गोल है ** ये दुनिया बहुत गोल है ** ********************** ये दुनिया बहुत ही गोल है, करती रहती भाव - मोल है। बातों - बात बिगड़ती रहती, समझ से परे नाप -... Hindi · कविता 71 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Nov 2022 · 1 min read दिल की बात बताऊँ कैसे दिल की बात बताऊँ कैसे ********************* दिल की बात बताऊँ कैसे, खस्ता हाल सुनाऊँ कैसे। उन की प्रीत पराई देखी, अपना खास बनाऊँ कैसे। सब नाकाम हुई तरकीबें, आया प्यार... Hindi · ग़ज़ल 85 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Nov 2022 · 1 min read लगी पैसा बुरी बीमारी *लगी पैसा बुरी बीमारी* ******************* राजा हो चाहे भिखारी। लगी पैसा बुरी बीमारी। पग-पग पर रिश्वतखोरी, या चलती है सीनाजोरी, अफ़सर हो चाहे मदारी। लगी पैसा बुरी बीमारी। पैसों से... Hindi · गीत 106 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Nov 2022 · 1 min read किस किस के दुख दूर करूँ किस किस के दुख दूर करूँ ********************** किस किस के दुख दूर करूँ यह दुनिया दुखिया सारी। पेट आग कहीं न बुझती, पग - पग पर है मारो मारी। कोई... Hindi · गीत 81 Share Previous Page 14 Next