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ख़ुशबू आ रही है मेरे हाथों से
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कहां की बात, कहां चली गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कौन सा हुनर है जिससे मुख़ातिब नही हूं मैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरे हाथों से छूट गई वो नाजुक सी डोर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
उनकी नज़रों में अपना भी कोई ठिकाना है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यूं मेरी आँख लग जाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इश्क़ का माया जाल बिछा रही है ये दुनिया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लोग टूट जाते हैं अपनों को मनाने में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ये दुनिया भी हमें क्या ख़ूब जानती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इन समंदर का तसव्वुर भी क्या ख़ूब होता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
उसके क़दम जहां भी पड़ते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बदमिजाज सी शाम हो चली है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नीली बदरिया में चांद निकलता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आईना ने आज़ सच बोल दिया
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सच्चे हमराह और हमसफ़र दोनों मिलकर ही ज़िंदगी के पहियों को सह
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तन्हाई ही इंसान का सच्चा साथी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुझे भी अब उनकी फ़िक्र रहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गुलाबों सी महक है तेरे इन लिबासों में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िंदगी को अब फुर्सत ही कहां,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
उसने मुझे लौट कर आने को कहा था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अब मेरे दिन के गुजारे भी नहीं होते हैं साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बड़ी सादगी से सच को झूठ,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लड़कियों को हर इक चीज़ पसंद होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लड़कियां गोरी हो, काली हो, चाहे साँवली हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हरे खेत खलिहान जहां पर, अब दिखते हैं बंजर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैं बड़ा ही खुशनसीब हूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुछ लोगों के बाप,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
क्षितिज पर कविता
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
महफ़िल मे किसी ने नाम लिया वर्ल्ड कप का,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अब तो तुम्हारी मांग में सिंदूर भरने के बाद ही,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*कागज पर जिंदगी*
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शब का आँचल है मेरे दिल की दुआएँ,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शब की गहराई में सुरमई इश्क़ की कहानी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शब की रातों में जब चाँद पर तारे हो जाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
किसी के ख़्वाबों की मधुरता देखकर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शब की ख़ामोशी ने बयां कर दिया है बहुत,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यूं जरूरतें कभी माँ को समझाने की नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बिखरे हुए सपने हैं मेरे
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बीवी के अंदर एक मां छुपी होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बस तुझे अब दुआओं में मांगा करते हैं
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हमने सुना था के उनके वादों में उन कलियों की खुशबू गौर से पढ़
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इश्क़ का मौसम रूठने मनाने का नहीं होता,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जुगनू की छांव में इश्क़ का ख़ुमार होता है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िंदगी का जंग
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कांच के जैसे टूट जाते हैं रिश्ते,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बुन लो सपने रात ढलती चांदनी में
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गांव का घर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"